अगले 48 घंटे समाजवादी पार्टी के लिए बेहद अहम, वरना दो फाड़ तय!
समाजवादी पार्टी में छिड़ी महाभारत अब अपने निर्णायक दौर में है. पार्टी के पुराने नेता भी अब इस मसले को सुलझाने के लिए सामने आ गए हैं. माना जा रहा है कि 24 अक्टूबर को मुलायम सिंह की अध्यक्षता में होने वाली बैठक अहम है.
इस बैठक के साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि समाजवादी पार्टी में विभाजन होगा या वह इस बच जाएगी. इधर, अखिलेश यादव के करीबी उदयवीर सिंह की बर्खास्तगी ने मामले को और उलझा दिया है.
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सुलझा लिया जाएगा. वरिष्ठ संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी का मानना है कि परिस्थिति तो गंभीर है, लेकिन इसका समाधान हो जाना चाहिए. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी अब यह अहसास हो गया होगा कि नुकसान तो हो रहा है.
त्रिपाठी ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए तो लगता है कि अब एक चमत्कार की जरुरत है इस समस्या को सुलझाने के लिए.
बीजेपी के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा, 'अब तो लग ही रहा है कि पार्टी में दो फाड़ हो गया है. पता नहीं क्यों, सपा नेता जनता को क्यों गुमराह कर रहे हैं? जो करना है करें. जनता ने समाजवादी पार्टी को वोट किया था. अब जवाबदेही भी उनकी ही है. अब उससे बचने की कवायद है. इसलिए मुलायमवादी, अखिलेशवादी, रामगोपालवादी, शिवपालवादी हो रहे हैं. बाद में कहेंगे कि हम अखिलेशवादी हैं, हम मुलायमवादी हैं.'
यह पूछे जाने पर क्या की समाजवादी पार्टी के टूटने पर बीजेपी को नुकसान होगा, उन्होंने कहा, 'इससे काम नहीं चलने वाला है. जनता पूछेगी कि आपने सरकार चलाई है तो आपने क्या किया.'
पाठक ने कहा कि यह जो परिवारिक ड्रामा चल रहा है उससे नुकसान सिर्फ और सिर्फ जनता का है. सपा जवाबदेही से बचना चाह रही है. दरअसल, सरकार में कोई काम हुआ ही नहीं. न्याय व्यवस्था ध्वस्त है. इसलिए यह पूरा ड्रामा रचा जा रहा है.