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बिहार

धार्मिक ग्रंथ की..... ये कैसी भ्रांतियां?

धार्मिक ग्रंथ की..... ये कैसी भ्रांतियां?
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,,,,,,,,,,,अभय सिंह

धार्मिक ग्रंथ की ।

जला रहे प्रतियां।।

विक्षिप्त मनोवृति।

ये कैसी भ्रांतियां?

मानसिक संतुलन।

हो रहा असंतुलित।।

उजागर हुई मनसा।

कार्य यह है घृणित।।

यह जो तौर तरीका।

उचित नही चलन।।

कठोर हो करवाई।

हो इसका पालन।।

पनप रही परंपरा।

उन्माद को फैलाना।।

चेहरे हुए बेनकाब।

जान चुका जमाना।।

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