विद्युत आपूर्ति बाधित।
उपभोक्ता हुए बेहाल।।
चले गए कर्मचारी।
कर के हड़ताल।।
चरम पर प्रदर्शन।
वापस लेने की मांग।।
खुलेआम चुनौती।
रच रहे है स्वांग।।
मान मनुहार का ।
चला खूब दौर।।
निजीकरण प्रक्रिया।
निरस्त करने का जोर।।
भोगना पड़ा उन्हें भी।
जिन पर ना बकाया।।
आखिर क्या कसूर?
अंधेरा जो छाया।।
तंत्र हुआ है फेल।
सूझ ना पाई राह।।
ज्वलंत ये मुद्दा।
हुए लोग तबाह।।
..................अभय सिंह