"भखौती"............ : धनंजय तिवारी

Update: 2017-05-30 10:25 GMT
"भईया मैरवा, जातार का ?" जैसे ही हम मोटरसाइकिल चालू कईनी, गुल्लू हमके टोकले.
"हा." हम कहनी " तहरो चले के बा का ?"
"हां." गुल्लू कहले अउरी आके पीछे बईठ गईले.
"बाजार करे के बा कि कवनो अउरी काम बा?" हम पूछनी.
"नाही! बाजार नईखे करेके. पिंटू बो बच्चा डॉक्टर किहाँ भरती बाड़ी, उन्ही के देखे के बा."
पिंटू के घर पश्चिम टोला में रहे.
"का भईल बा हो ?" हम चिंता से पूछनी " कवनो सीरियस बात नईखे न ?"
"ना ना. डिलीवरी होखेवाला बा."
"पर पिंटूआ के त पहिले ही से दुगो लड़की बाड़ी सन." हम याद क के कहनी "फिर ऐ महगाई के जमाना में तीसरा बच्चा के का जरुरत बा ?"
"बेटी से वंश ना नु चली भईया. एगो लडिका त जरूरी बा."
"और अगर तिसरका भी लड़की भईल त ?"
"फेनु कोशिश होई." गुल्लू कहले
गुल्लू से बहस कईल व्यर्थ रहे. अइसन सोच खाली उन्ही के थोड़े रहे. पूरा समाज के त इहे सोच बा.
थोड़ी देर में हमनी के मैरवा पहुच गईनी जा अउरी हम सीधे बच्चा डॉ किहाँ पहुच गईनी. पिंटूआ गेट पर ही मुह लटकवले मिल गईल'. उ बड़ा टेंशन में लागत रहे.
"कैसन तबियत बा हो ? कुछ नया समाचार?" गुल्लू व्यग्रता से पूछले.
"होई का जब करम ही फूट गईल होखे. फेरु से करम फूटनी आईल बाड़ी."
"मने." हम पूछनी.
"एकर माने फेरु से लड़की भईल बिया." गुल्लू कहले " चिंता के कवनो बात नईखे. निराश भईला के जरुरत नईखे. भगवान किहाँ देर बा पर अंधेर ना. बहुत लोग के त सात सात लईकी के बाद लईका भईल बाड सन."
गुल्लू के ढाढस बढ़वला से पिंटूआ तनी सामान्य भईल.
"का गवारन जैसन बात करतार गुल्लू." हम खिसिया के कहनी." कवना जमाना के बात करतार. आज लड़की अउरी लड़का में कवनो अंतर नईखे. पिंटू तू एके भगवान के इच्छा मान के स्वीकार कर अउरी तीनो लड़की कुल के बढ़िया से पालन पोसन कर. खाली औलाद पैदा कईल महत्वपूर्ण नईखे बल्कि ओकर अच्छा से परवरिश भी जरूरी बा."
          "भईया लेक्चर देहल बड़ा आसान होला पर जेकरा पर गुजरेला उहे बुझेला. बिना बेटा के जिंदगी भी कवनो जिंदगी बा. बेटी त बियाह होई अउरी दूसरा के घर चल जाई. बुढ़ापा के लाठी त बेटा ही बनेला." पिंटूआ खिसिया के कहलस. साफ़ रहे कि ओकरा हमार सलाह बढ़िया ना लागल. ओकरा के काउंटर करे के हमरा लगे अनेको पॉइंट रहे पर ओइसे कवनो फायदा ना रहे. ओकरा से बहस कईला के मतलब, भईस के आगे बीन बजावल रहे. हम चुप रह गईनी.
"तू छठी मैया के भखौती कईले बाड़ कभी?" गुल्लू कुछ सोच के पूछले.
"ना त?"
"फेरु हमार बात मान अउरी छठी मैया के भखौती मांग. अगिला बार जरूर बेटा होई. इहा के भखौती कभी बाव ना जाला."
"ऐसन बात बा त हम जरूर मान्गेब भखौती. छठ आवे द." पिंटूआ आशा से कहलस.
हम कुछ देर बाद गुल्लू के वही छोड़ के बाजार करे चल  गईनी.

               दू साल बाद हमके फेरु गावे आवे के अवसर मिलल. दिवाली में ना गईला के दुःख त जरूर रहे पर चुकी मौका छठ के रहे, ख़ुशी कई गुना ज्यादा रहे.
शाम के घाट पर अभूतपूर्व नजारा रहे. छठ मैया के घाट पर जाए वाला रास्ता पर हरिहर कालीन बिछल रहे अउरी पूरा रास्ता के लाइटिंग भईल रहे. छठी मैया के स्थान पर भी टेंट लागल रहे अउरी खूब सजावट रहे. लोग के चाय पानी के भी इंतजाम रहे. हमके इ सब देखके बहुत प्रसन्नता रहे. हमार सोच रहे कि इ सारा व्यवस्था गाव के लोग मिलके कईले होई. गाव के तरक्की देखके मन गदगद रहे.
तभिये पिंटू अउरी गुल्लू के आगमन भईल. दुनु जाना गोड लागल लोग. त्यौहार के मौका पर खुश त सब लोग रहे पर पिंटूआ के चेहरा ख़ुशी अलगे रहे.
"भईया हमहू बेटा के बाप बन गईनी."    उ घमंड से कहलस. ओकरा बात से साफ़ रहे की उ हमके इ अहसास दियवलस कि हमार सलाह गलत रहे.
"अरे इ त बड़ा ख़ुशी के बात बा." हम कहनी.
"सलाह के देले रहे." गुल्लू कहले "इ सब छठी मैया के भखौती के परिणाम ह."
"एहू में कवनो शक बा." पिंटूआ कृतज्ञता से कहलस " आज इहा के वजह से हमहू बस गईनी."
"सुखले गोड लागला से काम ना चली. मिठाई खियाव." हम कहनी.
"मिठाई भी मिली भईया." गुल्लू कहले " अभी तू छठ पूजा के आनंद ल. इ सारा इंतजाम देखतार न, इ सब पिंटूआ कईले बा. खाली पईसा से ही सब कुछ ना होला. इ सब करे खातिर करेजा चाही."
                आपन तारीफ़ सुनके जवन चमक पिंटूआ के चेहरा पर जवन चमक भईल, ओइसन चमक के आगे सूरज के रौशनी भी फीका रहे.
               पिंटूआ सारा इंतजाम कईले बा, इ सुनके हमार माथा ठनकल. जहा तक हमार जानकारी रहे. ओकर पान के टंकी रहे अउरी घर खर्च भी बड़ा मुस्किल से चले. ऐ सब आयोजन से कम से कम ५० हज़ार खर्च भईल होई. एतना पईसा ओकरा लगे कहाँ से आईल, मन में आईल कि इ सवाल एक बार पूछी. पर सबके सामने पूछल ठीक ना रही इ सोचके चुपा गईनी.
              छठ मैया के पूजा बढ़िया से बीत गईल अउरी अगिला दिने गुल्लू मिठाई लेके अयिले.  मिठाई पूरा गाव में बटात रहे. हम सोचनी कि इहो कवनो नया चलन होई. पहिले त मिठाई ना बटाऊ. तब उ बतवले की छठी मैया के भखौती के पूरा भईला के ख़ुशी में इ मिठाई बटात रहे. पिंटूआ के साथै गुल्लू भी एगो भखौती मंगले रहले. एक ओर जहा पिंटू बेटा भईला पर छठ धूमधाम से मनावे के भखौती मंगले त वही गुल्लू ओकर दस कठ्ठा खेत मिल गईला पर मिठाई बाटे के. पिंटूआ दस कठ्ठा जमीन गुल्लू के बैनामा क देले रहे आपन भखौती उतारे खातिर अउरी अब मिठाई बाट के गुल्लू आपन भखौती उतारत रहले.


धनंजय तिवारी

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