ये किसका अफसाना : आलोक पाण्डेय

Update: 2017-06-05 11:14 GMT
उस दिन देर शाम घर पहुँचा तो देखा कि पत्नी पहाड़ी नागिन जैसे पेटारी में से निकल के कोरियोडोर में रेंग रही है, उसका ऐसा हमलातुर रूप पहली बार देखा था, ये बबिता कौन है? मुझे क्या पता, कह के मैं अपने एकमेव सुहाग के सेज पर बैठ गया तो वह और भड़क उठी, उसपर अब आपको बैठने का कोई अधिकार नहीं? मैने कहा कि एक शाम थोड़ा लेट क्या आया तुमने दूसरी शादी ही रचा ली? मजाक के मूड में नहीं हूँ कौन है ये बबिता बताइए और उसी के साथ रासलीला रचाइए, मेरा आपसे आज से कोई सम्बन्ध नहीं, वह बोली। वाह जब सम्बन्धे नहीं तो बताना क्या, सोचा कि बोल दूँ पर मामले की संगीनता को मद्देनजर रखते हुए ब्रह्मचर्य जैसा संयम साधते हुए उसके हाथ लगाया तो वह उसे ऐसे झटकी कि जो हाथ मेरे नकली होते उतनी दूर जा के गिरते जितनी दूर जा के समंदर में कभी स्काई लैब गिरा था, मैंने स्त्रैण शिरोमणि दशरथ जी को याद किया और मन ही मन तड़प उठा कि हे सूर्यकुल भूषण मेरी ले दे के एक ही शादी हुई और वह भी कैकेयी स्वभावा से, यह कैसी लीला है प्रभु, मेरी कैकेयी में एक साथ सभी सीरियलों की कलह कुशल कलाकाराएँ कैसे, कहाँ से उतर आयीं? आप तो सौतपुत्र के लफड़े के शिकार हुए थे जयजीव, मैं तो सौत का शिकार होने को हूँ, वह भी ऐसी का जिसका नाम भी पहली बार सुन रहा हूँ। मैंने सारी शक्ति लगा के कहा कि कुछ बताओगी भी कि केजरीवाल की बहन बनी रहोगी, सबूतहीन आरोपिया हुई जा रही हो? मैं अपनी फूलन से इतना प्यार करता था, हूँ, रहूँगा कि हाल फिलहाल तक हम दोनों दो मोबाइल एक फेसबुक एकाउंट रहे हैं, ये अलग बात है कि वह एकाउंट मेरा रहा, विश्वास का, विश्वसनीयता का ऐसा अनुपम उदाहरण इस जगत में दूसरा नहीं होगा। वह उठी और सर्वेश तिवारी श्रीमुख के आलोकपुराण का वह पहला अंक ले आ के ऐसे पटकी जैसे मायावती का इवीएम में गड़बड़ी का आरोप स्वयंसिद्ध हो गया हो और मैं मुख्यमंत्री योगी से तेरे द्वार खड़ा एक योगी हो जाने वाला होऊँ। 
एक सांस में सारा आलोकपुराण पढ़ गया, लोग बाग हँस रहे थे, कहकहे लगा रहे थे, इसबात से बेखबर कि मेरा दाम्पत्य जीवन उस पलंग पर बदकर अंतिम सांस लेने को आतुर था जिसको पहली बार कसवाने के लिए पूरे एक सौ इक्यावन रुपये खर्च किया था और यही नहीं वही पलंग जब हमदोनों के फेबिकोलिक जोड़ को देखकर टूट गया था तब मैंने पेयर बदलने की जगह रिपेयर कराना मंजूर कर पूरे आठ सौ चालीस रुपये खर्च किया था, वह टूटने के कागार पर था। 
मुझे उस पोस्ट से पहले इस घोस्ट की बहन के सवाल पर कमेंट करना था। मैं एक साथ क्रोध, आवेश, हास मिश्रित भाव से कहा कि यह एक काल्पनिक कहानी है जो मेरे नाम से इसने लिखा है। तो हेलन अंदाज में, बेलन मुद्रा बना के मेरी जेलन ने कहा कि वाह वाह वाह वाह.... आप एतना बड़का आदमी हो गए हैं कि आपके नाम से कहानी लिखाने लगी, कल निर्णय होगा कि क्या होगा?
वह तो भला हो सर्वेश का कि इसने धड़ाधड़ तीन-चार अंक आलोकपुराण के निकाल दिये और वीडियो का पात्र घुसा कर मेरे नाम के नायक की जो कुटाई करा दिया जिसने मेरे दाम्पत्य पर लगे घाव को सदा के लिए सुखा दिया। ऐसे दुर्दात लेखक सर्वेश के यहाँ से जब निमंत्रण आया तो पत्नी का दबाव था कि आपको जाना ही होगा। 
कई मित्र दावा कर रहे थे कि वीडियो भी आ रहा है, जबकि सबको पता था कि जो होकर भी नहीं है वह आएगा कैसे पर चलते-चलते पत्नी भी कहने से नहीं चूकी कि मेरे चरित्रहीन पाण्डेय वीडियो से बचना और बबिता के संग फोटो जरुर खींचना। 
जबकि उसे भी पता है कि ये दोनों सही नहीं है 
पर यारों का कहना रहा कि दोनों यहीं हैं, यहीं-कहीं हैं। 
मुझे खुशी बहुत हो रही थी, जिसकी खुशी में अफगानिस्तान के काबुल में अफगानी जलेबी तलाशते यायावर बाबा के अगल-बगल दनादन बम धमाके हुए जा रहे थे, तो मैं जगत जननी जगदम्बा जानकी जी से विनय कर रहा था कि हे माता इनकी पत्नी पर क्या बीत रही होगी कि
सबके छोड़ के अइनीं सिया बाबुल घरवा से, पियवा मोर बसेला काबुल में ना....,खैर पूजिहिं मनकामना हमारी का भाव लिए 
मैं अकेला ही चला था करवतहीं के लिए मगर 
अरविंद अंकुश मिलते गए और नीरज खिलता गया। 

नमस्कार! 
अंतिम भाग जल्द ही 
आलोक पाण्डेय
बलिया उत्तरप्रदेश

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