नाको- 7 यादों की बारात

Update: 2017-06-18 11:05 GMT
भारतीय समाज में वरार्थ अर्थात् बारात का विशेष स्थान है और 90 के दशक तक बारातें खूब सजाई जाती थीं, हाथी, घोड़े, टेंट, बैंड बाजा, नाच, तम्बू, कनात, तुरही, शहनाई, कवि, भाट, गाँजा, भांग, तम्बाकू, सुर्ती, बीड़ी, सिगरेट, पान आदि की व्यवस्था बारात के मुखिया लोग करते थे। बारात की शोभा बढाने के लिये चुन-चुनकर विशिष्ट व्यक्तियों को बुलाया जाता था और बारातियों के ले जाने और ले आने की उत्तम व्यवस्था की जाती थी।
निंदक जी ने भी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ा। बुलाए तो बहुत सारे लोग गये जिनमें से जो लोग पहुँच सके वे थे- सर्वश्री  पंकज कुमार मिश्र, पं. अरुण कुमार शुक्ला, संजय अनेजा, सुधीर पाण्डेय, शिव सिंह, अशोक सुथार, नरेन्द्र नाथ चतुर्वेदी, कृष्ण मोहन मिश्र, प्रीतम पाण्डेय सांकृत, अतुल कुमार यादव, सचिन कंसल, अशोक शर्मा, असित कुमार मिश्र, Manoj Ojha, Vinay Kumar Mishra, Dhananjay Tiwari, Rajeev Pandey, Ashish Singh, Prakash Pande, Dhirendra Yadav, Gangesh Rao Chandel, Nityanand Shukla, Vinay Tripathi, Abhishek Singh Rajput, Santosh Rai, Ritesh Tripathi, Sarvesh Tripathi, Rakesh Kr Pandey, Lalit Kumar, Sanjay Kumar Pandey, Sarwan Kumar Puri, Sudhanshu Mani Tripathi, Nishant Kumar Singh, Deepak Pandey, Siddharth Priyadarshi, Rudra Pratap Singh, Arvind Kumar Singh, Ramprasad Prajapati, Rajesh Kumar Chaturvedi। 
अनेजा जी तो निंदक जी के साथ दुल्हे की अम्बेस्डर में सिफ्ट हो गये, बाकी इन सभी विशिष्ट जनों को एक बस दे दी गयी जिसकी सारी जिम्मेदारी अशोक सुथार को सौंप दी गयी।
बस में सवार लोग भले ही अति आधुनिक थे। बस वाला नहीं था। बस का भाड़ा तय करने में इतनी सिफारिश लग गयी थी कि बस लगभग तेल पर ही जा रही थी। बस वाला भी कम माहिर नहीं था, बारात जहाँ जा रही थी, वहाँ से भी एक बारात कहीं नजदीक ही ले जाने का साटा ले लिया था। 
बस जब बारात लेकर पहुँची तो वहाँ पर पहले से ही बस की प्रतीक्षा कर रहे बाराती सीट छेंकने के लिये दौड़ पड़े। बस में बैठे बाराती उतरने के लिये और सीट छेंकने वाले चढने के लिये एकदूसरे से उलझ पड़े। इसी बीच किसी ने बस में से कुछ उल्टा-सीधा बोल दिया तो बस के नीचे वालों का तो वह गाँव ही था। मंगलगान के साथ लाठी तान का मेल हुआ और प्रत्येक बाराती को बस से क्रमशः उतार-उतारकर 4-5 लाठी का जलपान कराया गया। इस वादे के साथ कि जो अगर कुछ हंगामा खड़ा किया गया तो सुबह विदाई भरपूर दी जाएगी, कहकर नीचे वाले बस में चढे और अपने गंतव्य की ओर निकल पड़े। 
तब तक दुल्हे की अम्बेस्डर आ गयी। निंदक जी और अनेजा जी उतरे। बरातियों की श्मशानी मुख मुद्रा देखकर पूछा कि क्या हुआ? सभी ने एक सुर में कहा- कुछ नहीं कुछ नहीं कुछ नहीं...... आप लोग देर से आए इसीलिये चिंता हो रही थी।
पास ही में खड़े गाँव के अन्य बूढ़े, बच्चे, औरतों ने जोरदार हँसी के साथ तालियाँ बजाईं। बैंड वालों ने अपना पिस्टिन फूँका और बैंड पर थाप दी- धम्मड़ धम्मड़ धम्मड़..... धाँय धाँय धाँय..... 
द्वारपूजा की तैयारी शुरु हुई। 
जून का महीना था, पुरुवा हवा ललकार कर बह रही थी। बारात जब दरवाजे पर लगी तो बारातियों का जोरदार स्वागत हुआ। भरपूर जलपान कराया गया। लड़की पक्ष द्वारा किये गये आदर सत्कार से बारातियों की सारी पीटान मिट गयी। सारा डर जाता रहा। तभी बैंड वालों ने धुन छेड़ा - डफलीवाले........ फिर क्या था जम के डांस हुआ। द्वारपूजा के बाद बारात वापस शामियाने में आ गयी। बारातियों का भोजन सबसे अंत में होता था। तब नाच जमीं। मस्त पुरुवा हवा, जबरदस्त जलपान के बाद जब सिगरेट की टान का समागम हुआ तब पेट में उफान आना ही था आ गया। जून में तो नदियाँ तक सूख जाती हैं। बिना जल निपटान कैसे हो?
वक्त जब आता है तो मोहलत कहाँ देता है। अपने मित्रों से आग्रह कर कि कहीं से भी पानी लेकर आओ, कहकर 15-20 लोग तो निकल पड़े। 4-5 लोग पानी की तलाश में निकले। उनकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी। उससे इन लोगों ने अपनी समस्या बताई। उसने कहा कि अहो! मेरा परम सौभाग्य की आपलोगों की सेवा का सुअवसर मिला। कहकर अंदर चला गया। असित ने तब एक बात आपस में कही कि चाहे जो कहो जितने हरमिया हैं बरियाती चले गये हैं। ये देखो गेट पर का लिखा है- लहरीगुरु मिश्र सदन। मन ही मन मिश्र हो गये।
उधर Lahari लालमिर्च पिसवाकर पांच मिट्टी के बरतन मेंटा में सरसो तेल लगा कर रक्खे थे। झटपट उनको खाली कर लाकर इन लोगों को दिया। पटपट इनलोगों ने इनके दरवाजे पर ही उसको भरा और अपने साथियों की ओर सरपट हुए। 
जिन-जिन लोगों ने उससे धोया उन लोगों को थ्री इडियट्स के तोहफा कुबूल हो की मुद्रा में टेंट के पीछे पुरुवा हवा का सेवन विचित्र आवाजों के साथ करते हुए पाया गया।
खुश तो केवल वे थे जो ढेले पत्थर पर आश्रित रहे........... 

अंतिम भाग शेष.............

आलोक पाण्डेय
बलिया उत्तरप्रदेश

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