बीजू अर्थात् दूसरा या जूठन

Update: 2017-06-18 11:19 GMT
सुना है कि आम पृथ्वी पर केवल लंकापति रावण की अशोक वाटिका में था और लंकादहन के बाद लौटते समय हनुमान जी इसके फलों को भी अपने साथ लेकर आए और श्रीराम को खिलाए थे। तब उन गुठलियों से ही आम जहाँ-तहाँ फैला। 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मुख से निकली वस्तु या तो वमन (उल्टी) है या फिर जूठन है और यह दोनों खाना पाप है। राम ने शबरी का जूठन खाया था इसलिए शेषशायी होने पर भी मेघनाद के नागपाश में बॅधे थे और लक्ष्मण ने प्रेम भाव में भी जूठन को देखा और नहीं खाए तो उन्हे शक्ति बाण भी लगा और नागपाश में भी बॅधे।
तो मैं कह रहा था मुख से निकली वस्तु या तो वमन है या फिर जूठन। किंतु राम के मुख का जूठन होने के कारण यह आम जितनी बार मुख मे आता है उतनी बार एक नया स्वाद देता है। आम ही एकमात्र ऐसा खाद्य पदार्थ है जो बार-बार मुख में आने जाने के बाद भी जूठा नहीं माना जाता।
और उसमें भी इस बीजू आम की बात ही अलग है। एक जमाना था जब आम के दिन मे रिश्तेदारी में जाने पर बाल्टी में आम पानी में डूबाकर सामने रख दिया जाता था और खाने वालों को भी मानना पड़ेगा कि खाते-खाते पेट तो क्या अपने कपड़े तक खराब कर लेते थे।
आम और राम जितना मुख में आए जाए मीठा होता जाता है। 
आलोक पाण्डेय
बलिया उत्तरप्रदेश

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