रजेशर की पत्नी रमसुगनी देबी अपने पति को चाय का कप देते हुए बोली ।
रमसुगनी- "रउवा एगो बात पाता बा?"
रजेशर- "का?"
रमसुगनी- "रामसनेहिया के लइकवा 'मुनेरवा' शाराब पीयत बा ।"
रजेशर-'हम्म ।जानत बानी। हम त कई बार ओकारा के किशनवा, परदेशिया के संघे जुआ खेलत देखले बानी ।
रमसुगनी-"ओहनी के गलत काम करत रउवा जब देखनी त डंटनी ना काहे ना ।"
रजेशर- 'हामारा ओकरा से का मतलब बा ।उ कवनो हामार लइका ,भाई या भतीजा थोड़े ना ह ।
जा हामारा के खाना बनाव ।दोसरा के बारे में मत चिंता कर की के गलत काम करत बा, के सही ।'
'बुडबक मुअले पाराया के फीकीरी'(मुहावरा)।
अपने पति के अनमयस्कता पूर्ण बर्ताव पर रमसुगनी को निराशा हुआ ।
रमसुगनी सोच में पड़ गयी कि आज अगर मेरा पति दुसरे के लड़के के गलत काम को देखकर अपनी आँखे मोड़ ले रहा है तो हो सकता है कि कल दूसरे लोग भी मेरे लड़के के द्वारा किए गलत काम को देखकर मुंह मोड़ सकते हैं ।
रगसुगनी मन में बड़बड़ायी-
'हामारा जल्दी रामसनेही औरी रामसनेही बो औरी किशनवा आ परदेशिया के माई-बाप से इ बात बाता देबे के चाही ।'
अपने साड़ी का पल्लू सर पर रखकर जो रमसुगनी शादी के बाद कभी घर के दहलीज से बाहर कदम कभी नहीं रखी थी आज वो प्रथम बार किसी के संतान के गलत आदत को सुधारने के लिए निकल चुकी थी ।
वर्तमान परिवेश में हम अपने आस-पास रमसुगनी जैसे लोग लुप्तप्राय हो गये हैं ।
किसी को किसी से मतलब नहीं है ।रिजर्व नेचर के लोग बहुतायत मात्रा में पाये जा रहे हैं ।तटस्थता की प्रवृत्ति सभी के मन-मस्तिष्क में घर करता चला जा रहा है ।बुद्धिजीवी होने के नाते हमें स्वयं पहल करना होगा एवं आगे आना होगा ।नशा करना व जुआ खेलना अपराध है । हमें यह सोचना होगा कि यदि आज हम किसी को अपराध करने से रोकेंगे तो दूसरे लोग हमारे घर के बच्चों को भी कल अपराधी बनने से रोकेंगे ।
तटस्थ होना किसी के लिए भी सही नही है।राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा है -
"समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध ।"
मैं अपना एक व्यक्तिगत अनुभव शेयर करना चाहूंगा ।बचपन में मुझे सिगरेट पीने की लत गयी।अभी सिगरेट पीने का क्रम दो- चार दिन ही चला था तभी गांव के ही निवासी, 'भूषन सिंह '
जो पापा के मित्र हैं ने देख लिया और न केवल उन्होने मुझे दंडित किया बल्कि पापा से कहकर भी दंडित करवाया ।तबसे मैंने सिगरेट पीना छोड़ दिया । आज भी मैं सोचता हूं कि अगर उस समय यदि उन्होने मुझे नही रोका होता तो क्या मैं अभी इतना स्वस्थ होता ?
शायद जीवित भी नहीं होता ।
नीरज मिश्रा
बलिया (उत्तर प्रदेश )।।