मेरे गाव की "चौपाल" का कोई सानी नही !!
"ब्रहम् बाबा" के चबूतरा पर "पिपर" के पेड़ के शीतल छाव में "सम-सामयिकी" पर "जोर आजमाइश" करते गॉव के "भइया-काका-बाबा" को देख के तो कसम से उ अपने "भारत की संसद" भी शर्मा जाये !!
का मज़ाल की कौनो विषय "बिछिल" जाये !!
राजनीती से लेकर साहित्य तक , प्रेम से लेकर भक्ति तक ,आर्थिक से लेकर सामाजिक तक ! सब पर बराबर की पकड़ है ,चवँनियो कम नही !!
आज जैसे ही चौपाल पर मनोज भइया पहुँचे रामधनी काका ने लपक के "बात अपने पाले में" करते हुए अपने मुख -मिसाइल से दन से एगो गोला दाग दिए ...का हो सरकारी बबुआ तोहरे लोग के "सुतार" बा ! सुना है सरकार ने "सरकारियन" के महीना बढ़ा दिया है ? पाँचो ऊँगली घी में है !!!!!
"अरे कहाँ काका ? महँगाई इतना जो है ! सरकार से माँग तो पुरे 40 परसेंट बढ़ने की थी , गोया बढ़ी तो केवल 23-24 परसेंट ! कहाँ इससे हो पायेगा ....?"
अपनी वेतन बढ़ने की "गुदगुदाहट" को अपने सरल भाव से कुशल रणनीतिकार की भाँति छिपाते हुए मनोज भइया ने कहा ।
रामधनी काका कहाँ के कम थे झट से दूसरा "बीमर" फेक दिए "अरे उ उपरवार कमाई भी तो है न ? 2 नंबर वाला ! उसमे तो न सरकार का हिस्सा है न समाज के ! अकेले तू ही सब न गपेलेगा ???
हेहेहेहेहे....कहाँ काका ! आजकल मंदी है ! उपर से " उ पइसा भी तो बड़े साहब की टेबल से लेकर चपरासी के कुर्सी तक बटता हैं " अकेले कहाँ माल मिलता है ?
दाँत निपोरते हुए मनोज भइया ने कहा ।
बाल बच्चे है , परिवार है ! दुनों लइकन के बंगलौर भेजे है पढ़ने के लिए 3-4 लाख का खर्चा है पढ़ने में , स्टेटस है , पेट भी है , 30-35 हजार महीना से क्या होता है ,तंगी ही है ।।
मनोज भइया ने सारी लाचारी कह डाली ।
इतना सुनते ही अपनी गोल गोल बड़ी आखो को उम्मीद के आकाश में टिकाते हुये त्रिलोकी काका के मुँख से अचानक ही निकल गया महीना पैतिस्सस्स हजाआआर.....!!
काका सोच में पड़ गए ,उनकी खेती से तो घर भी चलाना मुश्किल हैं , दुगो रोटी भी मनोहरा के माई के बेबसी से भरल काय-काय सुनने के बाद ही मिलता है ! मनोहर तो आंगनबाड़ी मे ही पढ़ कर ककहरा सिख रहा .....!!
और इन सरकारियो को पैतीस हजार भी कम लगता है !!!
इतने में खूँटे पर बंधी गइया की और ध्यान गया , सानी-पानी का वकत हो गया लगता है , कितना "टैम" हो गया बबुआ ?
मनोज भइया ने "ठीकेदार के काम के ऐवज में मिले उपहार" अपने "इम्पोर्टेड रोलेक्स" घड़ी में देखते हुए कहा ..." चार बज गए काका !
इतना सुनते ही सबने आश्चर्य से कहा चार बज गए ?......सब उठ गए और लग गए अपने वही पुराने खेती किसानी - मर मवेशी सँभालने में ।
इधर मनोज भइया के भी "एंड्रोइड मोबाइल" पर भी टिंकू की मम्मी का फ़ोन आ गया " एजी कहाँ है आइए न चाउमिन बानाये है गर्मागर्म ,ठंडा जायेगा तो अच्छा नही लगेगा ....
मनोज भइया ने फ़ोन रखते ही मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख कर कहा "चलो संदीप आज तुम्हारी भौजाई ने स्पेसल बनाया है" .......।।।
संदीप तिवारी
"आरा"