प्रोफेसर जयदेव सर पटना सिने अकादमी के अध्यक्ष हैं।मगध विश्वविद्यालय में सायकाॅलोजी के आचार्य हैं, फिल्मों के समीक्षक हैं... बहुत कुछ हैं एक साथ। आचार्या जी का हृदय से आभार कि इन्हें इतना सब कुछ करने के लिए समय दे देतीं हैं।
पिछले दिनों फोन पर बातचीत के दौरान जयदेव सर ने बड़ा अजीब सा सवाल पूछा था - असित बाबू फिल्में देखते हैं आप?
मैंने कहा था कि - सर अब तो मेरी उम्र के लड़के निर्माता-निर्देशक होने लगे हैं। अब किस मुँह से फिल्में देखूं मैं?
सर ने कहा था - "धनक" फिल्म आई है सुल्तान के साथ, जरा देखिएगा एक बार। आचार्य प्रवर का आदेश शिरोधार्य करते हुए मैंने अपने कस्बे के सभी फिल्म डाउनलोडिंग सेंटरों से संपर्क किया, लेकिन सबने इस फिल्म से अनभिज्ञता जताई।इसी बीच 'यूनिक फिल्म डाउनलोडिंग सेंटर' वाले सनी बाबू ने 'यू ट्यूब' नामक उपग्रह से आखिर यह फिल्म ला ही दी मेरे लिए।
इस फिल्म में एक बच्चा है आठ साल का जिसका नाम है बाबू लेकिन वो देख नहीं सकता उसकी एक बहन है परी। जिसने बाबू से वादा किया है कि वो उसके नवें जन्मदिन पर उसे 'धनक' दिखाएगी। धनक का अर्थ है इन्द्रधनुष। लेकिन समस्या है कि आँखों के आपरेशन के लिए पैसे कहाँ से आएंगे?
दूसरी और भी बड़ी समस्या है कि बाबू सलमान भाई जान के जबरदस्त फैन हैं और परी शाहरुख खान की। इसलिए दोनों में कदम-कदम पर झगड़े भी है अपने अपने स्वाभिमान को लेकर। अंततः छोटी सी बच्ची परी, बाबू को लेकर निकल पड़ती है शाहरुख खान से मिलने आँखों के आपरेशन के लिए। रास्ता कठिन है लोग अच्छे भी मिलेंगे और बुरे भी...
पूरा फिल्मांकन राजस्थान का है इसलिए राजस्थान की संस्कृति उसका लोकसंगीत, पहनावा, रहन-सहन सब आँखों में रह जाता है, और जो बह जाता है उसे आँसू नहीं 'धनक' ही कहते हैं।
मैं नहीं जानता कि इस फिल्म के निर्माता निर्देशक कौन हैं? संगीतकार कौन हैं? जानना भी नहीं क्योंकि आवश्यकता ही क्या है! हाँ एक बात कहूँगा आप सभी मित्रों से कि इस फिल्म को एक बार जरूर देखें अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर। क्योंकि ऐसी फिल्में सदियों बाद बनती हैं। ऐसी ही फिल्मों को समाज का प्रतिनिधित्व करना था, लेकिन अफसोस पटना में मात्र चार दिन चली यह फिल्म और वो भी मात्र एक शो।
निवेदन है कि एक घंटे अन्ठावन मिनट दीजिए बस अपनी जिंदगी में से, शायद यह तमाचा होगा करोड़ों रुपये वाली आइटम डांस वाली फिल्मों पर...
असित कुमार मिश्र
बलिया