सुनो तिवराइन !! तुमको क्या लगता है ?

Update: 2017-07-07 03:57 GMT
सुनो तिवराइन !!
तुमको क्या लगता है ? तुम हमारी मासूम मोहब्बत के मानक तय करते रहोगी और हम अपनी शुद्धता का प्रमाण देते फिरेंगे ?? 
अरे ई काहें भूल जाती हो बारी तो इज़राइल की भी आती ही है भले 70 सालों में एक ही दफे सही ।

देखो बता दे रहे हैं ई जो तुम लूलिया के साथे मिल के हमार हुलिया बिगाड़ने का जो खेला खेल रही हो न इसको हमारी भाषा मे अधभेसरी कहते हैं और हम तो ऐसे खेल को टिटकारी मार के खेलते खेलाते हैं...!
अच्छा कभी ई सोची हो ?
इहे काम अगर हम सिकुचीया संगे मिल के खेल दे न तो तुमको तुम्हारी लूलिया की कसम दबोच के घोट जायेंगे ।

ए करेजा !
पहली बात तो ये है कि डेढ़ फुट के सोच से 9 फुट के छानी छाने का प्लान नहीं बनाते रे बुरबक !
दूसरी की हर बार बबूल के नीचे आम नहीं मिलता , कई बार आम के लालच में काम तमाम भी हो जाता है ।

अरे मेरी मांझा की धार ...माइग्रेन बुखार...जब तुम्हारे गोरे गोरे गाल , गोल गोल आँख और सुन्नर मुन्नर छोटकी नाक देखते हैं न तो हमारे दिल मे ख्यालों का नोटिफिकेशन आता जाता है 
"तुम क्रांति नहीं शांति के लिये बनी हो जान, व्यर्थ की 'चीनी' कम क्यों ही करने पर तुली हो "
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नोट : अच्छा सुनो ! उ लूलिया के भाई से बोल देना इस्टाइल कॉपी न करे , बड़ी कड़की है आजकल ।☺
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संदीप तिवारी 'अनगढ़'
 "आरा"

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