सुप्रसिद्ध गायिका मेघा श्रीराम डेल्टन जी के भोजपुरी लोकगीत के साथ अनुभव...
2002-2004 में मुझे उतरप्रदेश के लोक गीत में रीसर्च करने का मौका मिला था HRD के तरफ से .... जबके उसी दौरान मैं BHU से BMUSE कर रही थी। ... मेरा रीसर्च पंडित हरिराम जी के सानिध्य में, मैंने पूरा किया था ....भोजपुरी से मेरा को खास नाता नहीं रहा था ... पलामू मेरा जन्मस्थान है जहां पर मगही और खड़ी- बोली प्रयोग में है .।
...खैर रीसर्च के दौरान भोजपुरी को समझने और सुनने का मौका मिला .... हर संस्कार के लिए एक से बढ़ कर एक गीत .... साथ मे अनेक प्रकार भी .....! जीवन के शुरूवात से लेकर मरनी तक के गीत....
ओह अद्भूत भोजपुरी ..... !
समुन्दर के तरह अथाह भोजपुरी .....!
...
नीला आकाश इतना विस्तृत भोजपुरी ...... !
बनारस रहने के दौरान इन गीतों का संग्रह बनाने के लिए काफी प्रयास भी किया था .।.... लोग बनाना तो चाहते थे मेरी आवाज भी पसंद ... पर जो मेरे गीत थे उन पर पैसा लगाने मे रिस्क है ..ऐसा वो कहते थे ....।
जिसमें पैसा लगाया जा रहा था वो मेरे लिए कान में तेज़ाब घोलने की तरह था ..... ।
मैं नहीं गा पायी थी उस भोजपुरी को ..... खैर यह बात 2002 की है ...।
#पुरूआ और #आखर ने भोजपुरी के बाजार मे फैले #फूहड़ता को दूध मे गिरी #मक्खी की तरह निकाल फेंका है .....।
सभी दोस्तों से भी अनुरोध है की हमलोग इनका साथ दें ..... !
प्यार
नम म्योह रेंगे क्यो
छठी मईया दिहीं ना असीस