हास्य लेख बबितेश्वर पुराण

Update: 2017-10-25 12:02 GMT
विगत कई वर्षों से बबिता वियोग में विलख-विलख बीमार चल रहे आलोक पाण्डेय को जब यह पता चला कि बबीता जी इस छठ पर्व के सुअवसर पर अपने मायके आयीं हैं तो इनके खुशी का ठिकाना न रहा और वे कल्पना लोक में चले गये कि कैसे छठ घाट पर वे दूर से ही बबिता जी के साथ अपनी आँखे चार करेंगे !
मौका मिलते ही कैसे वे सूर्य अर्घ्य देने के बहाने बबिता जी का नजदीक से दीदार करेंगे! 
कैसे बबिता जी की काली घनी जुल्फों की सुगंध से ये अपने को सुगंधित करेंगे! 

पाण्डेय जी जैसे जुल्फों के बारे में सोचने लगे इनको अपने हाफ गायब जुल्फों की चिंता सताने लगी ।
दस वर्ष पहले हैंडसम दिखने वाले पांडेय जी का बबिता वियोग के चिंता में सर का आधा बाल झड़ चुका था और आधा जो बचा भी था वह पक गया था ।अब पाण्डेय जी अपने इस हाल में बबिता के सामने आयें भी तो कैसे आयें? इस संकट की घड़ी में इनके परम मित्र मुंबई में रहने वाले सिद्धार्थ प्रियदर्शी का याद आया ।एक भी सेकेंड का नुकसान न करते हुए इन्होंने तुरंत अपने नोकिया 1108 मोबाइल से सिद्धार्थ को फोन किया ।
-"ट्रिंग ट्रिंग $$$ट्रिंग ट्रिंग"
उधर से आवाज आई "हैलो! कौन? "
आलोक पांडेय -"ह,,,हह,,,ह हेलो हेलो "
हम आलोक पांडेय बोल रहे हैं ।
सिद्धार्थ -कौन आलोक? ?
आलोक पाण्डेय -"अरे ! हमको नहीं पहचाने का? "
हम हूँ,कहानीकार गोपालगंज निवासी सर्वेश तिवारी श्रीमुख के कहानी बबितेश्वर पुराण का मुख्य पात्र, "आलोक पाण्डेय "।
सिद्धार्थ - "अरे हां ,,हां।याद आ गया ।बोलिए पाण्डेय जी मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ ।"
आलोक पाण्डेय -"भाई मैं अपनी भूतपूर्व प्रेमिका एवं बबितेश्वर पुराण की नायिका ,बबिता से मिलना चाहता हूँ ।कोई तरीका बताओ ताकि मेरा चेहरा अमरिश पुरी से बदल कर चाॅकलेटी भोजपुरी हीरो,निरहुआ जैसा दिखने लगूँ ।"
सिद्धार्थ -"इसके लिए आपको सर का पूरा बाल छिलवा ना पडेगा और नकली बालों वाला वीग लगाना पडेगा एवं चेहरे के चमक के लिए पतंजलि का फेसवाश ठीक रहेगा।
उसके बाद थोड़ा पतंजली पाउडर लगा ,,,,,,,।"
पाउडर का नाम सुनते ही सिद्धार्थ की बात को बीच में ही काटते हुए पाण्डेय जी तुरंत बोल पड़े।
-"पाउडर खत्म हो गया है ।इसके जगह पर कोई और सौंदर्य प्रसाधन का नाम बताओ।"
सिद्धार्थ -"पाउडर नहीं है तो रहने दिजिये ।जितना बताया हूँ उतना ही किजिये।"
पाण्डेय जी -"भाई सिद्धार्थ! एक बात बताओ!
इतना सब करने के बाद बबिता मुझसे इम्प्रेस हो जायेगी न !"
सिद्धार्थ -"हंड्रेड पर्सेंट ।"

अपने सर के गायब बालों का विकल्प सुनकर पाण्डेय जी ऐसे उछल पड़े जैसे उत्तर प्रदेश मे बीजेपी की सरकार बनने पर सभी भाजपाई ।

छठ का दिन था पाण्डेय जी सुबह से ही सजने-धजने लगे ।
इनको देखकर हैरान इनकी पत्नी नीतू जी से रहा नहीं गया और वह बोल पड़ी- "आज छठ पर्व है ।आपकी दुसरी शादी नहीं है जो इतना सज -संवर रहे हैं ।"
पाण्डेय जी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया ।वो जानते थे कि यदि कुछ बोलेंगे तो खामोखाह नीतू जी का चरणपादुका प्रहार सहना पड़ेगा ।
नकली बालों का वीग लगाकर, फेसवाश से चेहरा चमकाकर, पाउडर के जगह पतंजलि का थोड़ा आटे का चेहरे पर छिड़काव कर छठ पूजन सामग्री रखी टोकरी सर पर लिए पाण्डेय जी छठ घाट के तरफ चल दिए ।
इनको दूर से ही देखकर बबिता जी खुश हो रही थी ।
दोनो के नैन एक दुसरे से मीठी-मीठी बातें करने रहे थे।
तभी एकाएक पाण्डेय जी एक कुत्ते से टकराकर असंतुलित होकर गिर पड़े ।गिरते ही इनके सर का नकली वीग दूर जा गिरा।इनको गिरा देख वहां खड़े सभी लोग हंसने लगे ।बबिता जी का तो हंसहंसकर बुरा हो गया ।
उधर कुत्ता खिड़कियां हुए इनका वीग मुँह में दबाकर भाग खड़ा हुआ और इधर छठघाट प्रबंध कमेटी की लाउडस्पीकर से गाना बज रहा था-

"कान में झुमका नाक,,,,,,,,,बुढी घोड़ी लाल लगाम"।

नीरज मिश्रा 
बलिया (यूपी)।

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