कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक जारी
नई दिल्ली: कश्मीर के मौजूदा हालात और उन्हें सामान्य करने पर चर्चा करने के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई सभी दलों की बैठक चल रही है, जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. माना जा रहा है कि इस बैठक में विपक्षी दल खासकर कांग्रेस और लेफ्ट सरकार पर यह दबाव बनाएंगी कि वह कश्मीर के लोगों के प्रति एक दृष्टिकोण बनाना चाहिए, उनसे बातचीत करनी चाहिए.
बैठक में संभावित रूप से विपक्ष यह भी मांग करेगा कि सभी पार्टियों का भी एक दल कश्मीर जाना चाहिए, ताकि अलग-अलग पार्टियों, धड़ों से बात कर कश्मीर के लोगों में एक भरोसा पैदा किया जा सके, ताकि उन्हें यह एहसास हो कि दिल्ली उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है. संभावना है कि इस सर्वदलीय बैठक के बाद ऐसा कोई प्रस्ताव या साझा राय सामने आए कि सभी पार्टियां इस मुद्दे पर एकजुट हैं.
बैठक में सभी दलों के नेता पहुंचे हैं, जिनमें सतीश मिश्रा, डेरेक ओ ब्रायन, सुखदेव सिंह ढिंढसा, सुदीप बंदोपाध्याय, शरद यादव, दुष्यंत चौटाला, सीताराम पासवान, अनंत कुमार, कर्ण सिंह, डी राजा, प्रेमचंद गुप्ता, तारिक अनवर, प्रफुल पटेल आदि शामिल हैं.
इससे पहले आज लोकसभा ने भी कश्मीर की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया और वहां लंबे समय से जारी कर्फ्यू, हिंसा तथा लोगों के मारे जाने पर गंभीर चिंता प्रकट की। लोकसभा ने कहा कि यह दृढ़ विचार है कि भारत की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
बात दें कि परसों राज्यसभा में चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से राज्य के हालात सुधारने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई ताकत हिंदुस्तान से कश्मीर को नहीं ले सकती और पाकिस्तान से जब भी बात होगी वो उसके कब्ज़े वाले कश्मीर पर होगी. इससे पहले पीएम ने भी एक रैली के दौरान कहा था कि कश्मीर की तरक्की के लिए पूरा देश उनके साथ है. इसके साथ ही उन्होंने अलगाववादियों पर निशाना साधते हुए कहा था कि उनकी वजह से जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए थी, उनके हाथों में पत्थर थमा दिए गए हैं.
बैठक में संभावित रूप से विपक्ष यह भी मांग करेगा कि सभी पार्टियों का भी एक दल कश्मीर जाना चाहिए, ताकि अलग-अलग पार्टियों, धड़ों से बात कर कश्मीर के लोगों में एक भरोसा पैदा किया जा सके, ताकि उन्हें यह एहसास हो कि दिल्ली उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है. संभावना है कि इस सर्वदलीय बैठक के बाद ऐसा कोई प्रस्ताव या साझा राय सामने आए कि सभी पार्टियां इस मुद्दे पर एकजुट हैं.
बैठक में सभी दलों के नेता पहुंचे हैं, जिनमें सतीश मिश्रा, डेरेक ओ ब्रायन, सुखदेव सिंह ढिंढसा, सुदीप बंदोपाध्याय, शरद यादव, दुष्यंत चौटाला, सीताराम पासवान, अनंत कुमार, कर्ण सिंह, डी राजा, प्रेमचंद गुप्ता, तारिक अनवर, प्रफुल पटेल आदि शामिल हैं.
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इससे पहले आज लोकसभा ने भी कश्मीर की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया और वहां लंबे समय से जारी कर्फ्यू, हिंसा तथा लोगों के मारे जाने पर गंभीर चिंता प्रकट की। लोकसभा ने कहा कि यह दृढ़ विचार है कि भारत की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
बात दें कि परसों राज्यसभा में चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से राज्य के हालात सुधारने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई ताकत हिंदुस्तान से कश्मीर को नहीं ले सकती और पाकिस्तान से जब भी बात होगी वो उसके कब्ज़े वाले कश्मीर पर होगी. इससे पहले पीएम ने भी एक रैली के दौरान कहा था कि कश्मीर की तरक्की के लिए पूरा देश उनके साथ है. इसके साथ ही उन्होंने अलगाववादियों पर निशाना साधते हुए कहा था कि उनकी वजह से जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए थी, उनके हाथों में पत्थर थमा दिए गए हैं.