अर्णब गोस्वामी को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने के लिए मिला 3 हफ्ते का समय, तब तक गिरफ्तारी पर रोक
नई दिल्ली, । न्यायमूर्ति डॉ डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अर्णब गोस्वामी द्वारा दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर दी है। यह याचिका देश के विभिन्न हिस्सों में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देती थी। अर्नब के लिए मुकुल रोहतगी पेश हुए। महाराष्ट्र के लिए कपिल सिब्बल, छत्तीसगढ़ के लिए विवेक तनखा, राजस्थान के लिए मनीष सिंघवी समेत कुल 8 वकील जिरह के लिए मौजूद रहे। सुनवाई शुरू होते ही जज ने पूछा कि एक नए मामले के लिए इतने वकील क्यों आए हैं।
-अर्णब गोस्वामी को अग्रिम जमानत अर्ज़ी दाखिल करने के लिए 3 हफ्ते का समय दिया गया। यानी तब तक गिरफ्तारी पर रोक लगी रहेगी। कोर्ट ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को रिपब्लिक टीवी के दफ्तर को सुरक्षा देने के लिए भी कहा है।
-अर्णब के वकील ने कहा, नागपुर में दर्ज FIR को मुंबई ट्रांसफर किया जाए। अर्नब पर हुए हमले की भी साथ में जांच की जाए। हमारे दफ्तर को भी सुरक्षा दी जाए।
-कोर्ट ने कहा- हम सभी FIR में किसी भी तरह की कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा देते हैं। तब तक याचिकाकर्ता अपनी अर्ज़ी में संशोधन करें। सभी FIR को एक साथ जोड़ें। फिर आगे सुनवाई करेंगे। एक ही मामले की जांच कई जगह नहीं हो सकती।
-छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश होने वाले वकील विवेक तन्खा ने अर्णब गोस्वामी पर इस तरह के बयान देने पर रोक लगाने की मांग की है। चंद्रचूड़ ने कहा, मीडिया पर कोई अंकुश नहीं होना चाहिए। मैं मीडिया पर किसी भी तरह की पाबंदी लगाने का विरोधी हूं।
-सिब्बल ने कहा कि FIR दर्ज हुई है। ऐसे FIR रद्द नहीं हो सकती। देखेंगे कि मामला बनता है या नहीं। पुलिस को काम करने दिया जाए।
-अर्णब के वकील रोहतगी ने उनपर हमले को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया। कपिल सिब्बल ने जवाब में अर्नब का बयान पढ़ कर सुनाया और कहा कि सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की बातें अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में नहीं आ सकतीं।
-अर्णब गोस्वामी के वकील रोहतगी ने जज को पालघर घटना के बारे में बताया। कहा अर्णब ने इस पर 45 मिनट का शो किया, लेकिन बदले में कई राज्यों में FIR करवा दी गई। वकील रोहतगी ने कहा कि सभी जगह दर्ज FIR की भाषा एक जैसी है। साफ है कि योजनाबद्ध तरीके से उन्हें परेशान किया जा रहा है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बयान जारी करते हुए रिपब्लिक टीवी चैनल के वरिष्ठ संपादक अर्णब गोस्वामी और उनकी पत्नी के खिलाफ शारीरिक हमले की निंदा की। बयान में कहा गया कि किसी भी शारीरिक हमले, किसी भी पत्रकार के खिलाफ घृणा या मौखिक दुर्व्यवहार के लिए उकसाना एक निंदनीय कार्य है। एडीटर्स गिल्ड ने कहा था कि यह किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। बता दें कि हमले की इस घटना पर केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री, विधि मंत्री और भाजपा अध्यक्ष की तरफ से भी निंदा की गई। ़
भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा सहित कई नेताओं ने निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। नड्डा ने कहा कि कांग्रेस वही पार्टी है, जिसने देश में आपातकाल लगाया और वह अब भी अभिव्यक्ति को दबाने की इसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि किसी भी पत्रकार पर किया जानेवाला कोई भी हमला निंदनीय है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी राज्य सरकार से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
बता दें कि बुधवार रात अर्णब गोस्वामी अपनी पत्नी के साथ लोअर परेल स्थित स्टूडियो से घर लौट रहे थे, उसी समय बाइक सवार दो युवकों ने उनकी कार के आगे आकर बाइक रोक दी और बंद खिड़की पर मुक्के से प्रहार करने लगे। युवकों ने कार पर स्याही भी फेंकी। तब तक अर्णब के पीछे दूसरी कार में चल रहे उनके अंगरक्षकों ने तुरंत आकर दोनों युवकों को पकड़ लिया और उन्हें एन.एम.जोशी मार्ग पुलिस को सौंप दिया गया।
हालांकि, उस दौरान रात को ही अर्णब गोस्वामी ने अपने ऊपर हुए इस हमले के लिए जिम्मेवार कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को ठहराया। इस दौरान कहीं गई बातों से नाराज आकर कांग्रेसियों ने देश में कई राज्यों के थानों में तहरीर दी, केस दर्ज कराया।
अर्णब गोस्वामी के खिलाफ इन एफआइआर के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की खंडपीठ शुक्रवार की सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई करेगी।
उधर नेशनल युनियन ऑफ जर्नलिस्ट (एनयूजे) इंडिया ने भी अर्णब पर हमले की निंदा की है। बता दें कि मंगलवार को अर्णब ने पालघर में हुई दो संतों समेत तीन लोगों की हत्या पर बहस करते हुए पूछा था कि इस हत्याकांड पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चुप क्यों हैं।