विवादों से पुराना नाता रहा है कैराना के हुकुम सिंह का, जानिए पूरी कहानी

Update: 2016-06-17 02:16 GMT
नई दिल्ली। यूपी का कैराना गांव पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में हैं। हिंदुओं के पलायन की खबर क्या सामने आई तमाम सियासी दलों की सियासत भी शुरू हो गई। मीडिया के कैमरे 24 घंटे इस गांव की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। सबसे पहले हिंदुओं के पलायन की लिस्ट जारी करने वाले बीजेपी सांसद हुकुम सिंह भी आजकल काफी चर्चा में हैं। आखिर कौन है हुकुम सिंह, पढ़ें उनकी जिंदगी से जुड़ी कहानी।

हुकुम सिंह कैराना के ही रहने वाले हैं उनका बचपन कैराना की गलियों में खेलते-कूदते गुजरा। उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई भी इसी कैराना से की। 12 वीं के बाद हुकुम सिंह आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद चले गए। इलाहाबाद यूनिर्वसिटी से उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। वकालत की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने प्रैक्टिस शुरु कर दी।

हुकुम सिंह ने पीसीएस जे की परीक्षा भी पास कर ली थी और जज बनना चाहते थे। उसी दौरान चीन ने भारत पर हमला कर दिया। हुकुम सिंह के अंदर देशभक्ति का भावना जाग उठी और उन्होंने जज की नौकरी छोड़ सेना में भर्ती होने का फैसला किया। 1963 में हुकुम सिंह सेना में अधिकारी हो गए। 1965 में जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो अपनी सैन्य टुकड़ी के साथ हुकुम सिंह ने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया।

1969 में हुकुम सिंह ने सेना से इस्तीफा दे दिया और मुजफ्फरनगर वापस आकर फिर वकालत शुरू कर दी। हुकुम सिंह का राजनीतिक सफर 1974 में शुरू हुआ वो कांग्रेस के टिकट पर वो दो बार विधायक चुने गए। 1980 में हुकुम सिंह ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया और लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा। तीसरी बार 1985 में भी उन्होंने लोकदल के टिकट पर ही चुनाव जीता और इस बार वीर बहादुर सिंह की सरकार में मंत्री भी बनाए गए।

हुकुम सिंह ने 1995 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और एक बार फिर विधायक बने। कल्याण सिंह की सरकार में वो मंत्री भी बने। 2009 में हुकुम सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वो हार गए।

2013 में मुजफ्फरनगर दंगों में हुकुम सिंह के ऊपर भी कई आरोप लगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में हुकुम सिंह को कैराना सीट पर विजय मिला। यूपी में बीजेपी को मिली अभूतपूर्व जीत के बाद उनको यकीन था, कि उन्हें मंत्री मंडल में भी जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा हो न सका।

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