12 रुपये में मुंबई में भर पेट भोजन की वकालत करने वाले राज बब्बर क्या कांग्रेस को बचा पाएंगे?
बालीवुड में खलनायिकी के जरिये अपने फिल्मी कॅरिअर को बचाए रखने वाले राज बब्बर क्या यूपी कांग्रेस में जान फूंक पाएंगे? राज बब्बर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सियासी गलियारों में ऐसी ही प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव से पहले केवल 12 रुपये में मुंबई में भर पेट भोजन की वकालत कर विवादों में घिरे राज बब्बर को गाजियाबाद में भाजपा उम्मीदवार वीकेसिंह से करारी हार का सामना करना पड़ा था। बब्बर न केवल गाजियाबाद में कांग्रेस के उम्मीदवार थे बल्कि पार्टी ने उन्हें अपना प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष भी बनाया था।
कांग्रेस के पक्ष में आने वाले नतीजे गवाह हैं कि राज बब्बर को पार्टी के प्रचार प्रभारी के तौर पर कितनी बड़ी नाकामी मिली थी। इसके बावजूद यूपी में डगमगाती कांग्रेस की नैया संभालने का जिम्मा सौंपने को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।
वह भी तब जबकि 2019 से पहले यूपी के सबसे कठिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने खुद को प्रदेश में पुनर्जीवित करने की बड़ी चुनौती है। वैसे कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग से आने वाले राज बब्बर के साथ ही दलित, अल्पसंख्यक व सवर्ण खास तौर पर ब्राह्मण वर्ग को साधे रखने के लिए पार्टी में एक साथ वरिष्ठ उपाध्यक्ष की नियुक्ति भी साथ-साथ कर दी।
कांग्रेस के पक्ष में आने वाले नतीजे गवाह हैं कि राज बब्बर को पार्टी के प्रचार प्रभारी के तौर पर कितनी बड़ी नाकामी मिली थी। इसके बावजूद यूपी में डगमगाती कांग्रेस की नैया संभालने का जिम्मा सौंपने को लेकर सवाल उठना लाजिमी है।
वह भी तब जबकि 2019 से पहले यूपी के सबसे कठिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने खुद को प्रदेश में पुनर्जीवित करने की बड़ी चुनौती है। वैसे कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग से आने वाले राज बब्बर के साथ ही दलित, अल्पसंख्यक व सवर्ण खास तौर पर ब्राह्मण वर्ग को साधे रखने के लिए पार्टी में एक साथ वरिष्ठ उपाध्यक्ष की नियुक्ति भी साथ-साथ कर दी।