ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, अंतरिम जमानत देने पर जज एकमत नहीं, अब 3 जजों की पीठ करेगी फैसला

Update: 2025-01-22 10:46 GMT

नई दिल्लीः एआईएमआईएम उम्मीदवार और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने ताहिर हुसैन की दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर अलग-अलग आदेश दिया। न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने ताहिर को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जबकि न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने उन्हें दिल्ली चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत दे दी।

अब 3 जजों की पीठ करेगी फैसला

जानकारी के अनुसार, अब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच तय करेगी कि क्या आगे ताहिर को जमानत दी जाए या नहीं। दरअसल ताहिर हुसैन को दिल्ली चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने मुस्तफाबाद से अपना उम्मीदवार बनाया है। ताहिर नामांकन भी दाखिल कर चुका है। एआईएमआईएम उम्मीदवार ने चुनाव में प्रचार के लिए कोर्ट से अंतरिम जमानत देने की मांग की है।

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछे ये सवाल

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि जब दिल्ली दंगों के 9 केस में उसे जमानत मिल चुकी है तो चुनाव लड़ने के लिए एक केस में अंतरिम जमानत क्यों नहीं दी जा सकती? दिल्ली पुलिस के वकील ने इसका जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगा।

ताहिर के वकील ने दिया ये तर्क

कोर्ट में ताहिर के वकील ने कहा कि तीन साल की हिरासत के बाद आरोप तय किए गए गए। इस मामले के बाकी आरोपियों को नियमित जमानत मिल गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस की चार्जशीट दिखाती है कि आप मौके पर मौजूद थे। चार्जशीट में गवाहों के बयान दर्ज है जिसके मुताबिक आप भीड़ को हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के लिए उकसा रहे थे।

कोर्ट ने कहा कि आप ज़मानत पर बहस के बजाए अंतरिम ज़मानत पर क्यों अड़े है। क्या ज़िन्दगी के एकमात्र चीज जो अहमियत रखती है, वो चुनाव लड़ना ही है। जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि हम आपको चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम ज़मानत देने को इच्छुक नहीं हैं।

दंगे में कई लोगों की हुई थी मौत

बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को हिंसा भड़क उठी थी जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। हुसैन फरवरी 2020 में हुए दंगों के एक मामले में आरोपी हैं जो खुफिया ब्यूरो (आईबी) कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत से जुड़ा है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 फरवरी, 2020 को शिकायतकर्ता रविंदर कुमार ने दयालपुर पुलिस स्टेशन को सूचित किया कि उनका बेटा अंकित शर्मा 25 फरवरी, 2020 से लापता है। दंगा प्रभावित क्षेत्र के खजूरी खास नाले से शर्मा का शव बरामद किया गया और उनके शरीर पर चोटों के 51 निशान थे।

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