चंदौली में शराब ठेका बना विवाद ठेका: नई जगह पर लाइसेंसी और सेल्समैन को बनाया गया बंधक, पुलिस बनी रही मूकदर्शक
ओ पी श्रीवास्तव, चंदौली
चंदौली/डीडीयू नगर। खबर जनपद चंदौली से है जहां डीडीयू नगर के काली महाल क्षेत्र में देशी शराब के ठेके को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगभग 17 दिनों से विरोध-प्रदर्शन झेलने के बाद जब ठेका संचालक ने दुकान की जगह बदली, तो विवाद और भी गंभीर हो गया। नई जगह पर पहुंचते ही लाइसेंसी और सेल्समैन को कुछ लोगों द्वारा जबरन दुकान के अंदर घंटों तक बंद करके बंधक बना लिया गया।
इस दौरान न तो स्थानीय प्रशासन ने कोई कार्रवाई की, न ही मुगलसराय कोतवाली पुलिस ने कोई हस्तक्षेप किया। घटना से यह स्पष्ट होता है कि कानून-व्यवस्था को लेकर पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है।जानकारी के अनुसार, दुकान में जबरन ताला डालने और सीसीटीवी तोड़फोड़ जैसे मामलों में पहले ही तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज है। बावजूद इसके पुलिस द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई न होना, राजनैतिक दबाव या संरक्षण की ओर इशारा करता है।स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कुछ छुटभैये नेताओं को ठेके के संचालन में 20 प्रतिशत कमीशन की चाह है। यही वजह है कि वे खुलेआम प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं और दुकान संचालन में बाधा डाल रहे हैं।
विरोध स्थल पर कुछ तथाकथित ‘फाइनेंसर’ तमाम सुविधाओं के साथ जमे हुए हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ को आगामी चुनाव में ‘वोट गारंटी’ के तौर पर समर्थन का सौदा किया गया है, जबकि कुछ को ठेके की साझेदारी में हिस्सा मिलने की उम्मीद है।वहीं आपको बता दें कि धरना स्थल पर रात में खुलेआम जुआ खेले जाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। इसके बावजूद स्थानीय पुलिस की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
हाल ही में प्रशासन ने ठेके को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन इसके बावजूद पुलिस द्वारा सुरक्षा मुहैया न कराना दर्शाता है कि मामले में निष्पक्षता से काम नहीं किया जा रहा है।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि एक तरफ जहां क्षेत्र में कानून व्यवस्था का हाल बदहाल है, वहीं दूसरी तरफ पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता से अराजक तत्वों के हौसले बुलंद हैं।
डीडीयू नगर में शराब ठेका विवाद अब केवल व्यावसायिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह पुलिस की निष्क्रियता, प्रशासन की उदासीनता और राजनीतिक संरक्षण के खतरनाक गठजोड़ का प्रतीक बनता जा रहा है। अगर समय रहते प्रशासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो स्थिति और बिगड़ सकती है।