ISRO ने तैयार किए बेहद कम लागत के 3 तरह के वेंटिलेटर्स

Update: 2021-06-07 10:03 GMT

DRDO के बाद अब देश का अंतर‍िक्ष संस्थान भी कोरोना महामारी की लड़ाई में आगे आया है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के कई राज्यों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कन्संट्रेटर की मांग बढ़ी है और इन्हें विदेशों से आयात किया जा रहा है. ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन  ने बेहद कम लागत वाले तीन अलग-अलग प्रकार के वेंटिलेटर  तैयार किए हैं. इसी के साथ इसरो ने एक कम लागत वाला ऑक्सीजन कन्संट्रेटर भी तैयार किया है.

डिजाइन और विशेषताओं के आधार पर इन तीनों वेंटिलेटर्स को प्राण, वायु और स्वास्त  नाम दिए गए हैं. ये तीनों ही फुली ऑटोमैटिक और टच-स्क्रीन के साथ ही सभी सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं.  वेंटिलेटर, बैग (आर्टिफिशियल मैनुअल ब्रीदिंग यूनिट) के जरिए मरीज को सांस लेने वाली गैस पहुंचाने के लिए है, वहीं, स्वास्त को बिजली के बिना काम करने के लिए डिजाइन किया गया है और VaU बहुत कम लागत वाला वेंटिलेटर है जो व्यावसायिक रूप से उपलब्ध वेंटिलेटर के बराबर है.

PRANA वेंटिलेटर में एयरवे प्रेशर सेंसर, फ्लो सेंसर, ऑक्सीजन सेंसर, सर्वो एक्ट्यूएटर के साथ-साथ एक्सपायरी और PEEP (पॉजिटिव एंड एक्सपिरेटरी प्रेशर) कंट्रोल वाल्व शामिल हैं. ये वेंटिलेटर डॉक्टरों की तरफ से सेट की गई दर पर मरीजों के फेफड़ों में जरूरी मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचा सकता है. इसमें डॉक्टर्स वेंटिलेशन मोड का चयन कर सकते हैं और एक टच स्क्रीन पैनल के जरिए जरूरी पैरामीटर सेट कर सकते हैं और एक ही स्क्रीन पर प्रेशर, फ्लो, वॉल्यूम और ऑक्सीजन कंसन्ट्रेशन जैसे अलग-अलग मापदंडों की निगरानी कर सकते हैं.

लाइट जाने पर इस वेंटिलेटर में बैकअप के लिए बाहरी बैटरी भी लगाई गई है. इसरो ने कहा कि PRANA वेंटिलेटर इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन मोड दोनों पर काम करता है और अनिवार्य सांस (Controlled by Ventilator) के साथ-साथ सहज सांस (Controlled by Patient) देने में सक्षम है. इसी के साथ, मरीज के सुरक्षित वेंटिलेशन के लिए इसमें एक मजबूत एल्गोरिदम भी लागू किया गया है जो वेंटिलेशन के दौरान बारोट्रामा, एस्फिक्सिया और एपनिया को रोकने के लिए अलार्म बजाकर सेफ्टी वाल्व खोलता है. वेंटिलेशन सर्किट के गलत या अनुचित कनेक्शन या नली या सेंसर के डिस्कनेक्ट होने के मामले में भी अलार्म बज सकता है.

VaU वेंटिलेटर

इसरो ने कहा कि ICU ग्रेड पॉजिटिव प्रेशर मैकेनिकल वेंटिलेटर VaU (वेंटिलेशन असिस्ट यूनिट) सांस की तकलीफ के तहत मरीजों में आसानी से सांस लेने में सहायता कर सकता है. ये वेंटिलेटर हवा या ऑक्सीजन को फिल्टर कर मरीज तक पहुंचाता है. VaU वेंटिलेटर में एक मानव मशीन इंटरफेस (HMI) सिस्टम भी है, जो मेडिकल ग्रेड टच स्क्रीन पीसी पर चलता है, जिससे ऑपरेटर वास्तविक समय में अलग-अलग वेंटिलेशन मापदंडों को सेट और मॉनिटर कर सकता है.

इस वेंटिलेटर में एक बिजली सप्लाई यूनिट की भी सुविधा है, जो 230VAC या एक इंटर्नल बैटरी पैक के साथ काम कर सकती है. VaU को अलग-अलग तरह के मरीजों या वेंटिलेटर ट्रिगर इनवेसिव और गैर-इनवेसिव वेंटिलेशन मोड में काम करने में सक्षम बनाया गया है और इसमें किसी भी तरह की खराबी आने पर उसका पता पता लगाने और ऑपरेटर को सावधान करने के लिए HMI (मानव मशीन इंटरफेस) सिस्टम के जरिए अलार्म बजाने की भी सुविधा जोड़ी गई है.

SVASTA वेंटिलेटर

इसरो के अनुसार, गैस से चलने वाले वेंटिलेटर 'स्पेस वेंटिलेटर एडेड सिस्टम फॉर ट्रॉमा असिस्टेंस (SVASTA) को महामारी के दौरान इमरजेंसी में काम में लेने के लिए बनाया गया है जो मैनुअल मैकेनिकल सेटिंग्स का इस्तेमाल कर अलग-अलग वेंटिलेशन स्थितियों में काम करने में सक्षम है. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में तैयार किए इन तीनों वेंटिलेटर्स के प्रोटोटाइप की टेस्टिंग की गई है और ये तीनों ही अलग-अलग विशेषताओं को पूरा करते हैं.

इन तीन वेंटिलेटर्स के व्यावसायिक उत्पादन (Commercial Production) के लिए टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर किया जाएगा, जिसके लिए इच्छुक उद्योगों या उद्यमियों को 15 जून से पहले आवेदन देने के लिए आमंत्रित किया गया है. इसी के साथ, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने एक मेडिकल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी तैयार किया है जिसे 'शावास' नाम दिया गया है. इसके बारे में कहा गया है कि ये एक मिनट में दो मरीजों के लिए पर्याप्त प्रति मिनट 10 लीटर ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सक्षम है.

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