11 फरवरी को है मौनी अमावस्या, जानिए शुभ मुहूर्त

पौराणिक ग्रंथों में मौनी अमावस्था का विशेष महत्व बताया गया है। साल 2021 में इस बार मौनी अमावस्या फरवरी माह की 11 तारीख को मनाई जाएगी। पौराणिक शास्त्रों के मुताबिक माघ महीने की अमावस्था तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है और इस दिन मौन व्रत रखने और मुख से कटु शब्द ना निकलने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। सुबह से इन दिन मौन व्रत रखा जाता है और ध्यान चिंतन आदि करना चाहिए। गौरतलब है कि पूरे साल में 12 अमावस्या होती है। इसमें से मौनी अमावस्या का अपना खास महत्व है। ऐसा मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन संगम तट पर और गंगा में देवताओं का वास रहता है, जिससे गंगा स्नान करना ज्यादा फलदायी होता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि हरिद्वार कुंभ में पवित्र डुबकी लगाई जाएगी। ग्रहों का दुर्लभ संयोग बनने के कारण इसका महत्व को कई गुणा बढ़ गया है।
महोदय योग में इन चीजों का करें दान
मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा और 6 ग्रह मकर राशि में होने से महायोग बनेगा। इस योग को महोदय योग कहा जाता है। महोदय योग में कुंभ की डुबकी और पितरों का पूजन करने करने से शुभ फल मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन महोदय योग में तिल का दान और भगवान विष्णु को तिल और दीप अर्पित करना शुभकारी होता है। इससे पाप का क्षय होता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यता है कि सतयुग में जो हजारों वर्ष तपस्या करने का पुण्य है, वह कलियुग में मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने और गंगा स्नान करने से प्राप्त हो जाता है।
मौनी अमावस्या मुहूर्त
- 10 फरवरी की रात 1 बजे से अमावस्या तिथि लगेगी।
- 11 फरवरी को रात 12.36 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी।
- मौनी अमावस्या पर 11 फरवरी को दिन में 2.5 मिनट तक पुण्य काल रहेगा।
- 11 फरवरी को दिन में 2.5 मिनट तक श्रवण नक्षत्र और महोदय योग रहेगा।
मौनी अमावस्या पर जरूर करें ये काम
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा गया है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व मौन रहकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और भगवान विष्णु को घी का दीप दान करना चाहिए। भगवान को तिल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद तिल, गुड़, वस्त्र और अन्न धन का दान करना फलदायी होता है। किसी लाचार या गरीब व्यक्ति को दान जरूर देना चाहिए। साथ ही इस दिन पीपल को जल देना और पीपल के पत्तों पर मिठाई रखकर पितरों को अर्पित करना चाहिए। इससे पितृदोष दूर होता है और पितरों की आत्मा को शांति भी मिलती है