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भारत सरकार की नई गाइड लाइन और होम आइसोलेशन

भारत सरकार की नई गाइड लाइन और होम आइसोलेशन
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कोरोना महामारी के नए वेरियंट ने पूरी दुनिया ऐसी तबाही फैला दी है । उसे देख कर ऐसा लग रहा है जैसे कहीं पृथ्वी पर मानव जीवन ही नहीं समाप्त हो जाए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री मीडिया के सामने चाहे जितनी प्रभावी बातें कर रहे हों। लेकिन सही बात तो यह है कि भारत की स्थिति हर दिन ज्यादा खराब होती जा रही है। आम आदमी की बात कौन करे, सत्ताधारी दलों के विधायकों और सांसदों की भी आए दिन मौत हो रही है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में अभी तक कोरोना संक्रमण की वजह से चार विधायकों की मौत हो चुकी है। कोरोना महामारी के आगे सभी लोग असहाय दिख रहे हैं। इस संबंध में जब मैंने समाजवादी पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल से बात की, तो उन्होने कहा कि व्यक्ति एवं देश के सामने अकल्पनीय संकट है। ऐसे में हानि – लाभ, जय पराजय के मोह से ऊपर उठ कर हिम्मत और धैर्य से एक सन्यासी की तरह एकाग्रचित्त होकर जीवन की रक्षा करें। जीवन रहेगा, तो अवसर भी मिलेंगे। मेरे कई मित्र चले गए। सत्ता, धन कुछ काम नहीं आया। केवल हिम्मत, धैर्य और कर्म ही आपके सारे संकटों को चूर चूर कर सकेगा। जगत नियंता पर भरोसा रखिए और अपने आप पर भी। कोरोना महामारी ने जो विकट स्थिति उत्पन्न कर दी है। कानपुर के संसद सत्यादेव पचौरी ने जो पत्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा है। उसे पढ़ कर ही लगाया जा सकता है। उन्होने अपने पत्र में कानपुर में कोरोना महामारी की वजह से हो रही मौतों पर चिंता जाहीर करते हुए उनसे यह अपेक्षा की है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर की जो भविष्यवाणी की जा रही है। उसके लिए अभी से जिला प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पहले से ही तैयारी करने के निर्देश दें। अपने पत्र में उन्होने इस बात का भी जिक्र किया है कि रोगियों को समय से उपचार नहीं मिल पा रहा है और वह अपने घर, एंबुलेंस या अस्पतालों के बाहर दम तोड़ रहे हैं। कोविड-19 महामारी की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। देश तथा विदेश के अनेक विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि भारत में कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर आ सकती है जो अपेक्षाकृत सबसे अधिक घातक होगी। इस कारण उत्तर प्रदेश सरकार को पहले से ही इसकी तैयारी करनी चाहिए। मेडिकल स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन, दवाओं तथा टीकाकरण की समुचित व्यवस्था करनी होगी । ताकि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर में लोगों को मुश्किलों का सामना न करना पड़े। उन्होंने लिखा कि वह यह भी महसूस करते हैं कि हर किसी को महामारी के दौरान चिकित्सीय सहायता मिलनी चाहिए। यह मनोदशा सिर्फ उत्तर प्रदेश के राज्य सभा सांसद प्रोफेसर राम गोपाल और कानपुर के लोकसभा सभा सदस्य सत्यदेव पचौरी की नहीं है। बल्कि ऐसी ही मनोदशा इस समय भारत के सभी राज्यों के विधायकों और सांसदों की है।

भारत में कोरोना महामारी से हो रही तबाही अपने चरम पर कब पहुंचेगी, अभी इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती । देश में कोरोना वायरस के मामले हर रोज पहले दिन का रिकार्ड तोड़ रहे हैं। इसी कारण कोरोना महामारी का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। आज तो यह चार लाख कर आकडा भी पार कर गया। स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 414,433 नए मामले दर्ज किए गए और 3920 लोगों की मौत हो गई।

इस तरह से देश में कोरोना संक्रमण के कुल 2,14,84,911 हो गए और मृतकों की संख्या 2,30,168 पर पहुंच गई। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 35,66,398 है, जो संक्रमण के कुल मामलों का 16.92 प्रतिशत है। कोविड-19 से स्वस्थ होने वाले लोगों की राष्ट्रीय दर गिरकर 81.99 प्रतिशत हो गई है। बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,75,97,137 हो गई है, जबकि मृत्यु दर 1.09 प्रतिशत है। कोरोना महामारी की भारी बढ़ोतरी के साथ भारत के 16 राज्यों में संक्रमण की दर उच्च हैं। इनमें से 10 राज्यों तो और खराब है। गोवा में संक्रमण दर सबसे ज्यादा 48 फीसदी है। दूसरे नंबर पर हरियाणा है, जहां 37 फीसदी संक्रमण दर है। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में 33, दिल्ली में 32 तथा पुडुचेरी में 30 फीसदी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 29 फीसदी, कर्नाटक में 28 तथा चंडीगढ़ में 26 फीसदी है।

होम आइसोलेशन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार द्वारा जो होम आइसोलेशन के लिए नई गाइड लाइन जारी की गई है। उस पर आने के पहले दूसरी लहर में आई कोरोना महामारी के विषाणु के नए वेरिएंट के संबंध में भी जान लेते हैं। भारत में पिछले 14 दिनों से लगातार 3 लाख से ऊपर संक्रमित मिल रहे हैं। देश में अब तक 2 करोड़ से ज्यादा लोग इस महामारी का शिकार हो चुके हैं। B.1.617 नाम से जाने जाने वाले भारतीय वैरिएंट की शायद दूसरी या तीसरी पीढ़ी बड़ी तेजी से फैल रही है । जो चिंता का विषय है। लेकिन राहत की बात यह है कि भारत में आवश्यक जीनोम सिक्वेंसिंग क्षमता है। अगर यहाँ किसी चीज की कमी है तो वह जागरूकता की है। इतना सब कुछ होने के बाद भी लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। आज भी लोग बिना मास्क के यहाँ वहाँ घूमते नजर आ जाते हैं। साथ ही दो गज की दूरी का भी परिपालन नहीं हो पा रहा है। इसका पालन कराने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकारों को पुलिस की मदद लेनी पड़ रही है।

लेकिन कोरोना वायरस का जो दूसरा आक्रमण हुआ है। उसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकारो ने किसी प्रकार की कोई तैयारी नहीं की थी। पहले चरण में कोरोना महामारी की बड़े ज़ोर-शोर से चर्चा हुई। वैक्सीन की भी रोज चर्चा होती रही। लेकिन उस दिशा में वाकई केंद्र और प्रदेश सरकारो ने कोई काम नहीं किया। उल्टे जब दूसरा म्यूटेशन आया, तो देश के प्रधानमंत्री सहित अधिकांश मंत्री चुनाव प्रचार में मशगूल रहे। इसी करना कोरोना संक्रमण को बड़ी तेजी से फैलने का मौका मिला। जबकि विश्व के अन्य देशों ने अपने यहाँ वैक्सीनेशन करके इसे काफी हद तक नियंत्रित कर लिया। भारतीय स्ट्रेन के डबल म्यूटेंट वायरस के जीनोम में दो बदलाव परिलक्षित हुए हैं। जिसे ई484क्यू और एल452आर नाम से अभिहित किया जा रहा है। दोनों वायरस स्पाइक प्रोटीन पर असर डालते हैं। और इसी के सहारे वे मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं। ऐसा भी देखा जा रहा है कि भारतीय वैरिएंट यूके के बी.1.1.7 वैरिएंट पहले की अपेक्षा 70% ज्यादा संक्रामक है। जबकि भारत के लोग इस बार भी उसकी आक्रामकता पर विश्वास नही कर रहे हैं। भारत में दी जा रही कोवैक्सिन और कोवीशील्ड दोनों वैक्सीन काफी हद तक कारगर हैं। इस संबंध में यूनिसेफ ने भी भारत को आगाह करते हुए कहा है कि भारत में कोरोना के हालात भयावह हैं। यह हम सभी के लिए खतरे की घंटी है। इसकी गूंज वायरस से हुई मौतों, वायरस में बदलाव और आपूर्ति में देरी के संदर्भ में क्षेत्र और दुनिया में तब तक सुनाई देगी, जब तक कि दुनिया भारत की मदद के लिए कदम नहीं उठाएगी। यूनिसेफ ने भी हाल ही में भारत को 20 लाख फेसशील्ड और दो लाख मास्क सहित अहम जीवनरक्षक सामान की अतिरिक्त की आपूर्ति की है। इसके अलावा इस समय हर छोटा बड़ा देश भारत की मदद कर रहा है। उसने 500 से ज्यादा उच्च प्रवाह नासिका नलिकाएं और 85 आरटी-पीसीआर मशीन भी भेजी हैं। वह पूर्वोत्तर और महाराष्ट्र में 25 ऑक्सीजन संयंत्र को खरीदने और स्थापित करने में भी मदद कर रही है और देश के अलग-अलग हिस्सो में 70 से ज्यादा थर्मल स्केनर स्थापित किए हैं। भारत में जो दृश्य हम देख रहे हैं, वह विनाशकारी है। सबसे अधिक असुरक्षित परिवार इस प्राणघातक महामारी की भारी कीमत चुका रहे हैं।

इस सम्पूर्ण अध्ययन के बाद कोई भी यह कह सकता है कि भारत के लिए कोरोना महामारी की दूसरी स्ट्रेन काफी भयावह स्थिति उत्पन्न कर रही है। जितनी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं। सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों में उन्हें भर्ती करना और इलाज देना असंभव सा प्रतीत होता है। ऐसे में होम आइसोलेशन ही एक ऐसा उपाय है। जिसका उपयोग करके सभी संक्रमित लोग अपना इलाज करा सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हॉस्पिटलों की अपेक्षा होम आइसोलेशन बेहतर है। जहां पर समुचित इलाज के साथ-साथ पुन: संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता है। इसी कारण भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना महामारी के नये म्यूटेशन को ध्यान में रखते हुए नई गाइड लाइन जारी कर दी है। जिससे संक्रमित मरीज को समुचित इलाज के साथ साथ आत्मविश्वास में भी वृद्धि हो।

सरकार ने बिना लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों को लेकर विशेष दिशा निर्देश जारी किया है। अपने निर्देश में उसने स्पष्ट कहा है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज बिना किसी डॉक्टरी सलाह के किसी भी प्रकार की दवा का प्रयोग न करें। सोशल मीडिया पर जो इलाज बताए जा रहे हैं। उस पर बिलकुल विश्वास न करें। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। बल्कि होम आइसोलेशन होने के पहले किसी चिकित्सक के पास जाएँ, और उससे जांच कराएं कि उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण है कि नहीं। इसके बाद डाक्टर जैसा दिशा निर्देश दें। उसके अनुसार ही होम आइसोलेशन में जाएँ और ऐतिहात बरतें । पहले केवल संक्रमित व्यक्ति ही 14 दिन के लिए क्वारंटीन होता था। लेकिन अब पूरे परिवार को 14 दिनों के लिए होम क्वारंटीन होना पड़ेगा। होम क्वारंटीन लोगों की देखभाल के लिए एक प्रशिक्षित व्यक्ति रहेगा। जो केवल देख रेख ही नहीं करेगा। बल्कि वह डाक्टर के संपर्क में भी रहेगा। और उसे संक्रमित मरीजों के अपडेट देगा। नई गाइड लाइन में यह भी दिशा निर्देश दिया गया है कि अगर किसी व्यक्ति की उम्र 60 वर्ष से अधिक है और वह रक्तचाप, मधुमेह, हृदय, किडनी जैसी बीमारियों से ग्रसित है। तो उसे डाक्टर के सलाह के बाद भी होम आइसोलेशन में रहना चाहिए। वैसे तो कोशिश यही करना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति किसी दक्ष चिकित्सक की देख रेख में ही इलाज कराएं, यही उत्तम रहेगा। क्योंकि ऐसे मरीजों का कब क्या बढ़ जाए, इसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।

भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार संक्रमित के संपर्क में रहने वाला हर व्यक्ति डॉक्टरी सलाह से ही निश्चित मात्रा में विहित दवा का सेवन करेगा। जो भी संक्रमित मरीज होम आइसोलेशन में है। अगर उसे किसी प्रकार की तकलीफ होती है। तो उस संबंध में वह तत्काल अपने चिकित्सक से संपर्क करे और आगे जो दिशा-निर्देश उनके द्वारा दिये जाएँ। उसका परिपालन करें। कोरोना संक्रमण के अलावा अगर उसे कोई दूसरी बीमारी हो, तो डाक्टर से उस संबंध में बात कर लें। यानि डाक्टर की सलाह पर उसकी भी दवा जारी रखें। अपने मन से दवा बंद न करें। अगर दवा लेने से किसी प्रकार की दिक्कत हो तो डाक्टर से जरूर बताएं । अगर होम आइसोलेट मरीज को बुखार, खांसी, नाक बहना और अन्य तकलीफें हैं तो उन्हें ठीक करने के लिए डाक्टर द्वारा लिखी हुई दवाइयाँ लेते रहे। इसके साथ ही होम आइसोलेट मरीज दिन में कम से दो बार गरारा करें और भाप लें, इससे श्वांस नलिका साफ रहेगी। अगर पैरासीटामॉल 650एमजी दिन में चार बार लेने के बाद भी बुखार नियंत्रित नहीं हो रहा है तो अपने डॉक्टर से बात करें। अगर डॉक्टर सलाह दें, तो स्टेरॉयड का इस्तेमाल करें। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत आइवरमेक्टिन दवा का इस्तेमाल जरूर करें। बुखार और खांसी लगातार 5 दिन बाद भी है तो इन्हेलेशन से दी जाने वाली दवाएं लें। बुखार और खांसी जैसे संक्रमण के सात दिन बाद भी है तो डॉक्टर से विमर्श के बाद ही स्टेरॉयड की हल्की डोज ले सकते हैं। भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार होम आइसोलेशन में रहने वाले लोग रेमडेसिविर का इस्तेमाल न करें। यह डॉक्टर की निगरानी में ही लगेगी। नई गाइडलाइन के अनुसार पहली बार लक्षण आने के दस दिन बाद मरीज स्वस्थ महसूस कर रहा है तो होम आइसोलेशन खत्म कर सकता है। बिना लक्षण वाले रोगी सैंपल देने के दस दिन बाद आइसोलेशन खत्म कर सकते हैं। ध्यान रहे, इससे तीन दिन पहले बुखार नहीं आना चाएि। आइसोलेशन पूरा होने पर जांच की जरूरत नहीं है। वहीं इसका संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह निर्देश जारी किया है कि होम आइसोलेशन के लिए सम्बन्धित व्यक्ति को अनिवार्य रूप से मेडिकल किट उपलब्ध करायी जाए। कोविड अनुकूल व्यवहार, मास्क, ग्लव्स, सैनिटाइजेशन और वैक्सीनेशन के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जाए। इसके साथ ही होम आइसोलेशन संक्रमित व्यक्तियों के लिए आक्सीजन सिलेन्डर भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गए हैं। भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार होम आइसोलेट संक्रमित मरीज को भी हर सुविधा दी जा रही है। इसलिए होम आइसोलेशन को अपना कर खुद को स्वस्थ करने की दिशा में लोगों को आगे आना चाहिए।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी/समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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