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हिंदू नव-वर्ष की कुंडली में राहु और मंगल युति से अंगारक योग जाने कैसा रहेगा भारत के लिए

हिंदू नव-वर्ष की कुंडली में राहु और मंगल युति से अंगारक योग जाने कैसा रहेगा भारत के लिए
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प्रेम शंकर मिश्र ....

ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदी नव वर्ष में खगोल मंडल में कई दुर्योग बने हुए हैं।

सर्वप्रथम 2078 के लग्न में बना राहु और मंगल युति से अंगारक योग में है जो महामारी का कारण है।

दूसरा इस वर्ष के राजा और मंत्री मंगल हैं।

शास्त्र के अनुसार, जिस वर्ष राजा और मंत्री दोनों ग्रह पाप या क्रूर ग्रह हों तो वह वर्ष देश समाज के लिए शुभ नहीं माना जाता है।

तीसरा कारण, 26 मई को चंद्रग्रहण है। खग्रास चंद्रग्रहण आंशिक रूप से भारत में सुदुर पूर्वात्तर और पश्चिम बंगाल के कुछ भाग में दृश्य होगा। शास्त्र के मुताबिक, ग्रहण से पहले और ग्रहण लगने से आगे 15 दिनों तक इसका विशेष प्रभाव रहता है।

चंद्रग्रहण भी खगोलीय घटना है। हालांकि, इस तरह की खगोलीय घटना समय अंतराल पर होती रहती है, जिसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता रहता है।

इस साल 2078 में जो सबसे बड़ा दुर्योग बना है वह संवत 2078 (21-22) में भाद्रपद शुक्ल पक्ष 13 दिनों का ही है।

भाद्रपद्र शुक्ल प़क्ष में प्रतिपदा व त्रयोदशी दो तिथियों का क्षय है।

देखा जाए तो किसी भी पक्ष में किसी की हानि और वृद्धि हो सकती है।

13 दिनों का पक्ष हजारों वर्षों के बीच एक बार ही आता है।

इसका वर्णन महाभारत के भीष्म पर्व में है। कहा गया है कि-चत्रुर्दशी पंचदशी, भूतपूर्वा, च षोडशीम। इमाम तो नाभि जाने हम का व स्र्या त्रयोदशी।। अपर्वणामी गृहम याको, उत़्त्तरा शनि क्षय अथ मीक्षत:।।

भीष्म पितामह कहते है कि 14, 15 और 16 दिनों के पक्ष रहते हैं।

इस वर्ष में भी इसी समय 13 दिनों का पक्ष आया है। अत: यह समय प्राणियों के लिए संहारक है। वहीं, दूसरी तरफ ज्योतिष ग्रंथों ज्योतिष निबंधवाली तथा स्मृतिरत्नावली में कहा गया है कि य राच जायते पक्ष त्योतदह विनाशत। भवेनलोक क्षयो मुंडमाला, कृपा मही।।

यहां पर भी कहा गया है कि जिस पक्षों में दो तिथियों का क्षय होता है अर्थात 13 दिनों का ही पक्ष होता है उस वर्ष में भारी जन-धन हानि, बड़ी लड़ाई, भयंकर द्वेष होते हैं।

देखा जाए तो 13 दिनों का पक्ष द्वापर युग के महामभारत काल में पड़ा था। अर्थात कलयुग का यह वर्ष 5122 चल रहा है। 5122 वर्ष पूर्व द्वापर युग था। उस समय 13 दिनों के पक्ष में महाभारत हुआ था। जिसमें भारी जन-धन हानि हुई थी।

कहने का अभिप्राय यह है कि यह 2078 में जहां Corona अधिकाधिक फैलकर मनुष्य को काल के गाल में ले रहा है। अंगारक योग के अनुसार, राजा-मंत्री मंगल का होना किसी भारी आपदा, प्राकृतिक आपदा, भूकंप सुनामी को दर्शा रहा है। 13 दिन का पखवारा धरती पर बड़ी ही महामारी भारी जन-धन की हानि को दर्शा रहा है।

अत: भारत सहित विश्व पटल को 2021 में सावधान रहने की आवश्यकता होगी।

भाद्रशुक्ल का पखवारा 8 सितंबर से प्रारंभ होकर 20 सितंबर तक रहेगा। हो सकता है कि इस वर्ष के 13 दिनों का ही पखवारा होने से महामारी चरम की ओर अग्रसर है। लेकिन 13 दिनों के पखवारे के बाद कुछ कमी जनहानि की होगी। राहत की सांस संवत 2078 के जाने के बाद ही होगी। अर्थात मार्च 2022 के बाद।

भगवती जगदम्बा एवं काशी विश्वनाथ जनमानस की रक्षा करें!

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