बाबा चुमण्डल का मन : सर्वेश तिवारी श्रीमुख
BY Suryakant Pathak26 May 2017 3:06 PM GMT

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Suryakant Pathak26 May 2017 3:06 PM GMT
बाबा चुमण्डल का मन टनाटन था। सहारनपुर कांड ने जैसे उनके अंदर जान फूंक दी थी। आज महीनों बाद उन्हें इतनी साफ किरान्ति हुई थी, कि पूरा सचिवालय गूंज और गमक उठा था। ख़ुशी के मारे बाबा दो दो मिनट पर किरान्ति कर रहे थे, और मोदी के स्वच्छता अभियान के विरोध के लिए किरान्ति के बाद पानी से सर्जिकल स्ट्राइक भी नहीं कर रहे थे। उनका मिजाज मस्त हो गया था।
बाबा को याद आया कि पिछले दो महीने से ईसाई मिशनरी वालों ने उन्हें नकारा बता कर एक ढेला भी नहीं दिया था। बाबा ने तपाक से एक बड़े पादरी को फोन लगाया और कहा- गुड इवनिंग फादर, हम बाबा चुमण्डल बोल रहे हैं।
पादरी ने बाबा चुमण्डल का नाम सुन के ऐसा मुह बनाया जैसे रामगोपाल का नाम सुन के शिवपाल मुह बनाते हैं। पादरी ने छूटते ही कहाँ- हाँ, बोल बे हरामखोर।
बाबा सटक गये। मेहरा के बोले- ऐसे काहें बोल रहे हैं फादर?
पादरी गरजा- तो कैसे बोलें बे? कुछ काम धंधा करना नहीं है, और जेटली की तरह मंत्रालय पर मंत्रालय चाहिए। पैसा मांगने के लिए फोन किया होगा, और क्या।
बाबा ने धीमे से खींस निपोरते हुए कहा- हें हें हें हें, आप तो अंतरजामी हैं फादर, सब जानते हैं। और यह मत कहिये कि मैं कुछ काम धंधा नहीं करता। सहारनपुर कांड में मैंने कितनी मेहनत की है, यह मैं ही जानता हूँ। जो दंगा दलितों और मुश्लिमों के बीच शुरू हुआ था, उसको घुमा कर राजपूतों से उलझाने में कितनी मेहनत लगी है यह मैं ही जानता हूँ। और अब जब आग लग गयी तो आप देखिये न कि मैं कैसे दलितों को फटाफट ईसाई बनाता हूँ।
पादरी भड़क उठा, बोला- चुप कर हरामखोर। तू कब गया रे सहारनपुर? दिन भर एसी में बैठ के किरान्ति करता है, और पैसा लेने के लिए झूठ बोलता है। सहारनपुर में हमने कौन सा दाव मारा है यह तेरे बाप को भी पता नहीं।
बाबा गिड़गिड़ाते हुए बोले- लेकिन चिन्ता न कीजिये फादर। आप मुझे बस एक लाख रुपया भेजिए, फिर देखिये मैं दस दिन में कैसे धर्मपरिवर्तन का रेला लगाता हूँ।
अबकी पादरी शांति से बोला- बेटा एक बात बताओ, हिजड़ों को नेग कब दिया जाता है?
बाबा बोले- फादर बेटा होने पर।
पादरी बोला- तो तुझे बिना बच्चा हुए ही कैसे दे दें? जा पहले काम कर, सौ पचास को यीशु की शरण में ला, फिर जो कहेगा वह दिलवा दूंगा। तू तो पहले ही करोडो खा कर बैठा है।
बाबा कुछ कहते, इससे पहले ही पादरी ने फोन काट दिया।
बाबा चुमण्डल का पाकिस्तान सुलग उठा। वे बेइज्जती से नहीं डरते, इसकी तो उन्हें आदत थी। उन्हें पैसा नहीं मिलने का क्रोध था। उनके मन में ऐसी आग लगी जैसे सारे ब्राह्मणों को उसी में फूंक देगी। वे झनक कर फेसबुक पर आये तो अपनी पुरानी अदा के साथ ब्राह्मणों को गाली देने लगे। ब्राह्मणों को गाली देने से उन्हें असीम शांति मिलती थी।
बाबा ने एक के बाद एक दसियों पोस्ट डाले और ब्राह्मणों को खूब गालियां दी। इस क्रम में जब कोई ब्राह्मण युवा उन्हें रोकता तो वे पिनक कर लिखते- इसे संस्कृत में लिखो। अगर ब्राह्मण हो तो संस्कृत लिख के दिखाओ। ब्राह्मण भाग खड़ा होता, और बाबा के चेले खूब तालियां पीटते। पर कहते हैं न कि हर शिकारी को कभी न कभी अपने बाप से पाला पड़ ही जाता है। जाने कहाँ से एक बिहारी ब्राह्मण उनकी पोस्ट पर आया और संस्कृत में लिख दिया- भो चुमण्डलः! अहम तव गुदा मध्ये गर्दभस्य लिंगः पुरस्यामि।
बाबा ने कमेंट पढ़ा तो जैसे हिल गये। उनके हाथ अनायास ही पाकिस्तान पर चले गए। वे ब्राह्मण की धृष्टता का जवाब देने के लिए अभी गाली सोच ही रहे थे कि उसने बंगला में दुहराया- आमि तोमार पोदे गाधार बाड़ा घुसिए देबे।
बाबा को छर्र से किरान्ति हो गयी। उन्हें किसी छोकड़े से ऐसे प्रतिरोध की उम्मीद न थी। वे तो सिर्फ संस्कृत पर ललकार रहे थे, इधर लड़का बांग्ला तक आ गया था। बाबा अभी सोच ही रहे थे कि लड़के ने मैथिलि में तिहराया- सार चुमण्डल तोहर गैंर में गदहा #### धर देब।
बाबा ने जब यह कमेंट पढ़ा तो उनका पैजामा सफेद से वैसे ही पीला हो गया, जैसे झारखण्ड के भोले बनवासी हिंदुओ को बहलाने के लिए चर्चों का रंग सफेद से पीला रंग दिया गया था। वे अभी अपना बौद्धिक उत्पाद पोंछ ही रहे थे, कि लड़के ने राजस्थानी में धोया- सार मण्डल, थारी पाकिस्तान मैं गधा का अफगानिस्तान बाढूं।
बाबा तो ऐसे लुंज पुंज हो गए जैसे हैजा हो गया हो। लगा जैसे फालिस मार दिया हो। अब वे सोच भी नहीं पा रहे थे। पर लड़का अभी उनको माफ़ करने के मूड मेँ नहीं था। उसने बुंदेलखंडी में मारा- सार मण्डल, तने पाछे गदहन का डारि देब हौ।
अब बाबा को लगा जैसे मुह से खून की उलटी होने लगेगी। उन्होंने दोनों हाथों से मुह दबा लिया था, तभी लड़के ने छत्तीसगढ़ी में तोप छोड़ा-रे सारा! में तोरा पाकिस्तान में अफगानिस्तान डाल देहूं।
बाबा अब पूरी तरह से लुटे पिटे बलूचिस्तान हो गए थे। उनकी साँस उल्टी हो गयी थी। अचानक उनकी निगाह कमेंटबॉक्स की तरफ गयी तो देखा, लड़के ने भोजपुरी में परमाणु बम छोड़ा था- रै सरवा... तोरा................
बाबा की आँख बंद हो गयी, वे बेहोश हो गए थे।
दो दिन हो गए, बाबा बिछावन पर पड़े कोंहर रहे हैं। उनसे कुछ खाया नहीं जा रहा, कभी कभी कोई चेला मुह दबा के कांडी से हिमालय बतीसा पिला देता है। उम्मीद है बाबा को ठीक होने में हप्ता भर लग जायेगा।
ठीक होते ही बाबा ब्राह्मणवाद का नाश करेंगे।
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
मोतीझील
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