"मौनिटर"...: धनंजय तिवारी
BY Suryakant Pathak30 May 2017 10:26 AM GMT

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Suryakant Pathak30 May 2017 10:26 AM GMT
"जल्दी से याद कर लोग नात मुहटेढ़ा के मार से केहू ना बचायी." विरेंदरा कहलस.
कक्षा के सगरी लईका ओकर हा में हां मिलवल सन अउरी अंग्रेजी शब्दन के हिंदी अर्थ याद करे लगल सन. शब्द भी कुल्ही बीस रहे. ई अर्थ याद करे के काम काल्हिये मिल गईल रहे पर हमनी के क्लास में घरे पढ़े वाला शायदे केहू रहे. एकरा अलावा अंग्रेजी के क्लास सातवी घंटी में पड़े अउरी छठवी घंटी खाली रहे. ए वजह से अधिकतर लईका जब भी अंग्रेजी विषय में कुछ घर पर याद करे के मिले छठवी घंटी में ही याद कर सन. एकर एगो खास वजह रहे. सारा बच्चा रटन्तु विद्या के मास्टर रहल सन. तत्काल रट्टा मरला से भुलायिला के सम्भावना कम हो जाऊ अउरी अंग्रेजी वाला मास्टर के मार से बचे के मिल जाऊ. पूरा स्कूल में ओतना निर्दयी मास्टर केहू ना रहे. अंग्रेजी मास्टर हमेशा ए ताक में रहस कि बच्चा लोग कवनो गलती करे अउरी हम आपन छड़ी के मोर्चा छोड़ाई. इहाँ तक कि स्कूल के दूसरा विषय के मास्टर लोग भी अपना घंटी में बदमाशी करेवाला बच्चा के सजाई अंग्रेजी मास्टर से दियवावे लोग. कहल जाला कि कुछ नाम के भी प्रभाव होला. जईसे अंग्रेज कुल हमनी के पूर्वज लोग पर अत्याचार कर सन अउरी तनिको दया ना देखाव सन, ठीक वैसे ही अंग्रेजी वाला मास्टर भी हमनी पर कवनो रहम ना देखावस. इहाँ तक कि उनकर चाल ढाल अउरी बेवहार भी एकदम अंग्रेजन वाला ही रहे. बस वेशभूषा में मार खा जास. प्राइवेट स्कूल के मास्टर भईला के कारन उनकर कोट पेंट पहिने के औकात ना रहे अउरी मजबूरी बस उ धोती कुरता पहिनस. वईसे उनकर बस चलित त उ स्कूल में सूट बूट के साथे हैट अउरी हंटर लेके ही यिते. अइसन क्रूर अउरी भयानक मास्टर के लईका कुल भला सम्मान से बोलायिह सन. ना जी बिलकुल ना. उनकर टेढ़ मुह से प्रेरणा लेके उनकर नाम मुह टेढ़ा रखायिल रहे. उनकर इ नाम कई साल पहिले हमनी के सीनियर रखले रहल सन अउरी तबसे अयिमे कवनो बदलाव ना भईल रहे.
"तू याद ना करब का हो संजय." छोटेलालवा हमनी के कक्षा के मौनिटर संजय से पूछलस.
"हम काहे याद करी. हम त काल्ह आयिले ना रहनी." संजयिया कहलस. ओकरा बात में मौनिटर भईला के दंभ साफ़ साफ़ झलकत रहे. देखल जाऊ त वोहू के तर्क ठीके रहे. लेकिन मुहटेढ़ा मास्टर के कोरट में शायद उ ना चलित.
"अभियो समय बा." हम सलाह देहनी " याद क ल नात उनका मार से दयिबो ना बचायिहे."
"हुह. उन्ही के हिम्मत बा कि हमके मरिहे." उ घमंड से कहलस "जानत नईख हम मौनिटर हई."
अब कुछु ओके समझावल बेकार रहे. बाकी बच्चा कुल के साथे हमहु रट्टा मारे लगनी.
जईसे ही चतुर्गुन चपरासी सातवी घंटी बजवले, अंग्रेजी वाला मास्टर अन्दर अयिले अउरी दनदनात परीक्षा लेहल चालू क देहले. आज त चमत्कार हो गयील रहे. कक्षा में कभी उत्तर ना देबेवाला महेंद्रा अउरी छोटेलालवा भी सही उत्तर दे देहल सन, पर मौनिटर संजय जबाब ना दे पवले अउरी देते भी कईसे जब याद ही ना कईले रहले. परिणाम स्वरुप उहे भईल जवना के हमनी के उम्मीद अउर संजय के नाउम्मीद रहे. अंग्रेजी मास्टर के छड़ी से उनकर हाथ लाल हो गईल. गिनती त ठीक से याद नईखे पर २० सोटा त जरूर ही पवले होईहे. संजय के पिटाई के बाद मास्टर क्लास छोड़ के चल गईले.
संजयिया के क्रोध के कवनो सीमा ना रहे. उ गेहुवन साप जइसन फुफुआत रहे.
"इ त सरासर नाजायज बा. संजय के मारला के त कवनो तुके ना रहल ह." महेंद्रा कहलस.
सहमती में सारा लईका मुड़ी हिलवलसन.
"मौनिटर भईला के फायदा का जब ओहू के नाजायज सजाई मिले." छोटेलालवा कहलस.
"अब हम मौनिटर ना रहेब." संजयिया कहलस अउरी पूरा क्लास में बम फूट गईल.
ओकर पक्ष के लोग दुखी हो गईल त ढेर सारा लईका जवन की मौनिटर बने के सपना रखले रहल सन खुश हो गईल सन. ओयिमे हमहु रहनी. संजयिया देर ना कईलस. तुरंत आपन इस्तीफा लिखलस अउरी जाके त्यागपत्र दे आईल. ओकरा हिसाब से प्रधानाचार्य महोदय ओके इस्तीफा ना देबे के बहुत विनती कईले पर उ ना मानल, पता ना सच्चाई का रहे.
नया मौनिटर के चुनाव अब अवश्यम्भावी रहे. भले ही कवनो बहुत बढ़हन पद ना होखे पर तबहियो इ क्लास के बहुते ख़ास पद रहे. सब छात्र में पहिला स्थान त रहबे कईल मौनिटर के भले पढाई में उ दसवा नंबर पर भी काहे ना आवे.
बरसो के देखल सपना के सच होखे के समय आ गईल रहे. भले सारा क्लास के बच्चा मुहटेढ़ा मास्टर के गरियाव रहल सन पर हम त तहेदिल से उनकर शुक्रगुजार रहनी. आज उनका वजह से हमरा मॉनिटर बने के अवसर मिळ सकत रहे.
वैसे मौनिटर बने के उम्मीदवार त हम छठवी क्लास से ही रहनी पर बाबूजी प्रधानाचार्य के कहले रहनी कि हमके ए सब झमेला में ना डालल जाऊ. उहा के हिसाब से अईसे पढाई प्रभावित हो जाला. उहा के का मालूम रहे कि मौनिटर के केतना डिमांड अउरी मान जान रहेला. खैर छठवी में ना सही आठवी में. इ एगो अइसन सपना रहे जवन की हम बचपन से देखले रहनी पर सातवी क्लास तक बस सपना ही रह गईल रहे. अब एके सच करे के समय आ गईल रहे.
देखल जा त हमरा में कवन गुण मौजूद ना रहे जवन की एगो मौनिटर में होखे के चाही. कक्षा में टॉप तीन में रहनी भले पहिला स्थान ना ले आई, खेल कूद में भी यही स्थिति रहे, प्रार्थना त छठवी से हमही करायी. शारीरिक बनावट में भी हम संजयिया से कमजोर ना रहनी. बस अगर हमरा में कवनो गुण ना रहे त उ रहे संजयिया खान लम्बा लम्बा फेकल. पर इहो कवनो गुण ह. बाकि सब गुण के मिलाके देखल जाऊ त मॉनिटर बने के सबसे आदर्श उम्मीदवार हमही रहनी. संजयिया के अलावा भी ढेर सारा लईका मौनिटर बने के प्रत्याशी रहल सन पर हमरा राह में उ रोड़ा ना रहल सन. हमरा राह के सबसे बड़का रोड़ा त बाबूजी रहनी. पर दू साल पुरान बात प्रधानाचार्य के याद होई, हमरा त एकर तनिको उम्मीद ना रहे. बस खतरा रहे की बाबूजी के मौनिटर के चुनाव के बारे में पता ना चले. हम तय क लेहनी की उहा के कानो कान खबर ना होखे देब. एक बार मौनिटर बन गईला पर उहा के का करब.
लोहिया स्कूल में हमरा लगे मौनिटर बने के इ आखरी अवसर रहे, चुकी इ सिर्फ आठवी तक ही रहे. हम लोहिया स्कूल में छठवी में आईल रहनी काहे से की ओकरा से पहिले जवन स्कूल में हम पढ़त रहनी उ पाचवी तक ही रहे. भले पाचवी ले ही रहे, पर उ मांटेसरी रहे. हमरा इलाका अउरी शायद जिला के एकमात्र चल विद्यालय जवना के कवनो स्थायी ठिकाना ना रहे. बारिश के महिना में कही अउरी क्लास चले, त जाड़ा में कही अउरी, अउरी गर्मी के त बात ही निराला रहे. चल भईला के साथे इ स्कूल अंतर्राज्यीय भी रहे. चुकी हमार गाव बिहार और up के बॉर्डर पे बा. कभी स्कूल बिहार में चले त कभी up में. कुर्सी बेंच के कवनो झंझट ही ना रहे. स्कूल जहा जाऊ लईका कुल बोरा बिछा के बईठ जा सन. हमरा इ मांटेसरी स्कूल के संचालक अउरी प्रधानाध्यापक रहले विद्या मास्टर जे की हमार गुरु भईला के साथे रिश्तेदार भी रहले अउरी बाबूजी के भईया कहस. पर रिश्तेदार भईला के फायदा त हमके कवनो ना मिले, उलटे कास करायी उ हमरा पर ज्यादा रखस. हमरा के डाटे डपटे अउरी रौब जमावे के उ आपन जन्मसिद्ध अधिकार बुझस अउरी गाहे बगाहे हमके कनईठीयावत रहस. हमरा ओ स्कूल में बिलकुल मन ना करे पढ़े के. पर एकलौता बेटा के बाबूजी मांटेसरी स्कूल के रहते कवनो दूसरा स्कूल पे पढ़ाएब, एकर त सवाले ना रहे.
हमार दीदी लोग लोहिया स्कूल में पढ़े लोग अउरी जब भी हम लोहिया से अपना मांटेसरी के तुलना करी त लागे की केतना तुच्छ जगह पर हम पढ़ तानी. लोहिया के उचा बिल्डिंग अउरी सारा क्लास में बेंच अउरी मेज. एक बार हम विद्रोह क के अउरी मांटेसरी में ना जाके सीधे लोहिया में चल गईनी. लोहिया के प्राइमरी के हेडमास्टर कंडेरा जी ख़ुशी ख़ुशी हमार स्वागत कईले अउरी हमके सम्मान देत सबसे आगे वाला लाइन में बईठवले. तिवारी जी के लईका उनका स्कूल में पढ़े आईल रहले ई उनका खातिर मान के बात रहे. हमरा भी ख़ुशी के ठिकाना ना रहे. पर हमार इ ख़ुशी क्षडिक साबित भईल. जईसे ही विद्या मास्टर के इ पता चलल, उ हमरा स्कूल के मुस्टंड पाच छः लईका कुल के साथे अयिले अउरी उ हमके वापस मांटेसरी में टांग ले गईल सन. कंडेरा मास्टर मुह ताकत रह गईले अउरी हम वापस ना जाए खातिर चिल्लात रह गईनी. ओह दिन के बाद मन में बस रोज इहे ख्याल आवे के कईसे पाचवी पूरा होखे और हम लोहिया में जाई.
लोहिया स्कूल के बारे में हमार शुरू शुरू में इ धारणा रहे की लोहिया जी हेडमास्टर रामनक्षत्र के बाबूजी या बाबा के नाम ह. बहुत बाद में पता चलल की इ त बहुत बढ़हन समाज सेवक के नाम रहे अउरी इहा के रामनक्षत्र के खानदान से दूर दूर तक नाता ना रहे.
आठवी घंटी कवनिगा बीतल पता ना चलल अउरी फेरु हम रास्ता भर कल्ह के बारे सोचत गईनी. काल्ह का का सामने बाधा आ सकेला, ओकर का निदान होई, अयिपर विचार भईल अउरी घर पहुचत पहुचत आश्वस्त हो गईनी की मौनिटर त हमही बनेब.
घरे पहुचनी त एगो और ख़ुशी इंतज़ार करत रहे. हमार एकलौता मामाजी आईल रहनी. उहा के आईला के मतलब ढेर सारा मिठाई अउरी हमरा खातिर कवनो उपहार. पर इ का मामा जी के त मुह लटकल रहे. हम गोड लगनी त उहा के एकदम ठंढा आशीर्वाद देहनी. माई के भी चेहरा लटकल रहे अउरी बाबूजी भी गहन चिंता के मुद्रा में रहनी. अब तनी हमरो शंका भईल पर एकरा पहिले कि हम कुछु पूछी, माई ओकर निवारण क देहली.
पता चलल की नानी के तबियत बहुत जयादा ख़राब रहे अउरी मामाजी माई के लिया जाए आईल रहनी. हमार त सारा ख़ुशी काफूर हो गईल. माई के गईला के मतलब रहे की हमरो जाए के पडित. माई हमरा के छोड़ के कही ना जास. जब आदमी के स्वार्थ ओकरा ऊपर हावी होला त उ सारा रिश्ता नाता, मोह माया, सब भुला जाला. जवन नानी हमके एतना मानस, उनकर सारा प्यार भुला गईल. हमरा सामने हमार स्वार्थ लउकत रहे अउरी मन में कोसी की उनका अभिये बेमार पड़े के रहल ह. एतना बडहन मौका हमरा जिंदगी में आईल बा अउरी उ ओके ख़राब करतारी. हम तय कईनी की चाहे कुछु होखे पर मामा किहा ना जाएब.
"हम मामा किहा ना जाएब." हम साफ़ कह देहनी.
जबाब में बाबूजी आपन लाल लाल आँख देखवनी त हमार इरादा कमजोर हो गईल अउरी कुछ ही देर में हमार ना हां में बदल गईल. जिंदगी में अइसन पहिला बार भईल रहे कि हम ममहर बिना मन के जात रहनी. एकरा से पहिला हर बार ममहर हसत जाई अउरी रोवत आई. ऐ बेरी हम रोवत जात रहनी.
मामा किहा एक हफ्ता रूकनी अउरी हर समय ध्यान स्कूल में ही लागल रहे. मोबाइल के जमाना रहित त वोहू से पता चल जाईत कि का भईल मौनिटर के. नानी अब ठीक हो गईल रहली अउरी हमनी के वापस चल देहनी जा. स्कूल अगर ना खुलल रहित अउरीरूकती जा पर इ संभव ना रहे.
मामा किहा से आके अगिला दिने स्कूल खातिर घर से निकलनी त मन के कवनो कोना में उम्मीद रहे की मौनिटर के चुनाव अभी न भईल होई. आखिर स्कूल में हमार भी त कवनो महत्व रहे. हमरा बिना कईसे मॉनिटर के चुनाव होईत.
स्कूल पहुच के जवन समाचार मिलल उ त सोच से बिलकुल परे रहे. कान पर विश्वास ना होत रहे. मौनिटर के चुनाव हो गईल रहे अउरी हमार मौनिटर बने के सपना टूट गईल रहे. पर अचरज के बात इ ना रहे बल्कि सबसे बड़का अचम्भा वाला अउरी नाकाबिले बर्दाश्त के बात रहे कि मुह्दुबर वीरेंदर के मौनिटर बना दिहल रहे. इ त बिलकुल स्वीकार्य ना रहे. मरियल पिल्ली जैसन आदमी के आखिर कवना गुण के आधार पर मौनिटर बनावल रहे. आज ले उ हमरा कॉपी से कॉपी क के परीक्षा पास कईले रहे. क्लास में जवना के मन करे उहे ओके धकिया देऊ अउरी अइसन आदमी कक्षा के नायक, इ त सरासर गलत रहे. ओकरा से त लाख गुना अच्चा लखेरा छोटेलालवा या महेंद्र रहल सन.
हम तय कईनी की एकर विरोध करेब. विरोध कवनिगा करे के बा एकरा ही प्लानिंग में रहनी की पता चलल की वीरेंदर मौनिटर बनके ढेर सारा नियम कानून बनवले बा. चपरासी चतुर्गुन बेमार रहले अउरी अब क्लास में झाड़ू लगावे के काम अउरी श्यामपट्ट करिया करे के काम लईका लोग में बटा गईल रहे. इ सुनके त हमार दिमाग अउरी सनक गईल. मन में लगनी मनावे की वीरेंदर हमरा के कवनो काम अराह्वे अउरी हम ओके कुही. वैसे भी ओकर विरोध करे के ही रहे.
हमरा गुस्सा से अनजान उ आके हमके अकवारी में भर लेहलस. हम चाहे ओके कुछु बुझी पर उ हमके आपन गुरु बुझे. मजबूरी में हमके ओके बधाई देबे के पडल. उ ख़ुशी से बतवलस की इ कुल काम में हमार नाम नईखे अउरी एकर टेंशन लेहला के जरुरत नईखे.
इ जानके हमार किरोध तनी कम भईल. फेरु अउरी छात्र आ गईल सन अउरी पिछला एक हफ्ता में का का भईल पता चलल.
वापिस जिनगी अपना रफ़्तार पर आ गईल अउरी हम मौनिटर ना बने के दुःख से उबरे लगनी. सच कही त अब हमके ख़ुशी होखे मौनिटर ना बनके. वीरेंदर के दिन भर परेशां देखि. झाड़ू से लेके श्यामपट्ट अउरी कक्षा के अनुशासन खातिर उ दिन भर कुकुर खान भोके अउरी लईका कुल ओके महत्व ना द सन. दबंग कुल के जब बारी आवे त रास्ता में देखे के धमकी द सन अउरी ओकनी के जगह उ खुदे सारा काम करे. ओने प्रधानाचार्य महोदय भी ओके हमेशा कवनो ना कवनो बात पर डाट्स. अइसन लागे की उ स्कूल के छात्र ना होखे चपरासी होखे. अब हमके बाबूजी के बात सच लागे अउरी बुझाऊ की सही में इ बड़ा बेकार काम अउरी पढाई में बाधक बा. वीरेंदरा के परेशानी देख अब हमके ओकरा से सहानुभूति होखे जबकि पूरा क्लास में संजयिया सबसे ज्यादा खुश रहे. उ बार बार जतावे की मौनिटर बनल केतना मुस्किल होला.
ठीक एक महिना बाद छठवी घंटी में छोटे लालवा अउरी महेन्द्रा में जर्दा पान के लेके बहस होत रहे. महेंदरा के गोपाल जर्दा पसंद रहे त छोटेलालवा के बाबा. धीरे धीरे बहसा बहसी बिकराल रूप ले लेहलस अउरी दुनु फ़ायटा फ़ायटी पर उतर गईल सन. फेरु दुनु कुश्ती चालू क देहल सन. मौनिटर भईला के नाते विरेंदरा गईल छोड़ावे अउरी उ दुनु आपन झगडा छोडके लगल सन ओके कुहे. पूरा लईका तमाशा देखत रहल सन. हमसे ना बर्दाश्त भईल अउरी हम जाके ओके छोडवनी. तबले विरेंदरा के बरियार मार देले रहल सन दुनु.
तुरंत ही खबर मास्टर लोग के साथै पहुचल अउरी प्रधानाचार्य महोदय पूरा दल बल के साथै क्लास में आ गईले. मुहटेढ़ा मास्टर के आँख चमकत रहे. कई दिन बाद बढ़िया शिकार मिलल रहे. हाथ में बड़का लाठी लेले रहले उ. विरेंदरा रो रोके पूरा घटना बतवलस अउरी ओकरा से सहानिभूति जताए के बदले प्रधानाचार्य ओही के लगले धुनें. संजयिया मुस्कियात रहे.
अब बारी रहे जरदा खायिनिहार लोग के. पर इ का प्रधानाचार्य महोदय मुहटेढ़ा मास्टर से लाठी छीन लेहले अउरी पूरा क्लास में छोटेलालवा अउरी महेंदरा के लगले दौड़ा दौड़ा के पिटे. मन भर मरला ले बाद उ महेंदरा के गिरा के ओकरा छाती पर बईठ गईले. अइसन लागे जैसे उ ओकर जीवनलीला ही समाप्त क देते. ओइसन शांत आदमी के रौद्र रूप देख के खाली लईका लोग ही न बल्कि अपना के पिटाई के चैम्पियन बुझे वाला मुहटेढ़ा मास्टर भी हरान परेशान रहले. एतना साल से लईका लोग के पिटाई कईला के बाद भी उ आजतक लईका कुल में उ भय न पैदा कईले रहले जवन की प्रधानाचार्य महोदय एकदिन में ही क देले रहले. वोइदीन पता लागल कि काहे मास्टर के उपर हेडमास्टर होला. कवनोगा से प्रधानाचार्य के समझा बुझा के महेंदरा के छाती से उतारल गईल.
फेरु अगिला दिने उहे भईल जवना के उम्मीद रहे. विरेंदरा के इस्तीफा आ गईल. हमार त मन पहिले ही बदल गईल रहे अउरी केहू दुसर मौनिटर बने के तैयार ना भईल. ओकर बाद से लेके आज ले लोहिया स्कूल के आठवी क्लास में मौनिटर के पद खाली बा. रौवा सब के त उम्र ना होई पर अगर रौवा सब के घर में कवनो पढ़े वाला लईका होई अउरी ओके मौनिटर बने के मन होई त लोहिया में एडमिशन करा दी. आसानी से उ मौनिटर बन जाई.
वईसे कही रौवा सब के इ जाने के इच्छा होई कि वीरेंदर मौनिटर अउरी बाकि लईका कुल के का भईल त रौवा के बता दी वीरेंदर अब, मोड़ पर सब्जी बेचे ले. महेंदरा खुद त पान खाईल छोड़ देले बा पर सारा दुनिया के पान खियावेला अउरी मोड़ पर ओकर पान के टंकी बा. छोटेलालवा चाय पकौड़ी बेचे ला जबकि संजयिया लकड़ी के दुकान पे मुनीम बा.
हमरा बारे में त रउवा जानते बानी की हम लेखक हई अउरी सगरी भाषा( हमरा सगरी भाषा में खलिहा भोजपुरी, हिंदी अउरी अंग्रेजी शामिल बा) में साहित्य के सगरी विधा(कहानी, कविता, नाटक,उपन्यास, फिल्म के कहानी) में लिखेनी, जेकरा रचना के प्रकाशक पढ़े से पहले ही अस्वीकार क देला, फिल्म के निर्माता निर्देशक हमार नाम सुनते ही फ़ोन काट देला अउरी फेसबुक पर भी कबो दसगो से जयादा लाइक ना मिलेला.
खैर लाइक मिले चाहे ना पर जले फेसबुक पे पोस्ट होक सुविधा बा हमार रचना रउवा सबके मिळत रही.
धनंजय तिवारी
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