"ढिशुम " : धनंजय तिवारी
BY Suryakant Pathak4 Jun 2017 1:07 PM GMT

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Suryakant Pathak4 Jun 2017 1:07 PM GMT
"भौह ,भौह …................... " के आवाज से काच नींद टूट गईल। घडी पर नजर गईल त रात के दू बजत रहे। मुश्किल से २०मिनट पहिले ही हम सुतल रहनी। आजु नया घर में हम शिफ्ट कईले रहनी, ए वजह से सुतला में बिलम्ब हो गईल रहे। भौके वाला कुकुर पर बड़ा खिस आयिल फिर भी हम अनठिया के सुते के कोशिश कईनी। पर उ त चुप होखे के नाम ही ना लेत रहे। अब सुतल मुश्किल रहे। हम उठ के बैठ गईनी। हमरा पीछे पीछे श्रीमतीजी अउरी दुनू बच्चा भी उठ के बैठ गईल लोग। उहो लोग भी आवाज से ना सूत पावत रहे लोग। मन में अतना रीस आयिल कि अगर हाथ में बन्दूक भा खंजर रहित त ए कुकुर के जीवन लीला समाप्त क देती । भगवान पर भी बड़ा खीस बरल की कइसन जीव कुकुर बनवले बाड़े। एकनि के जिंदगी में कवनो समय के महत्व ही नइखे, जब मनमे आवे भौके लागेल सन, केहु के घर में घुस जाल सन अउरी इंसानन के एतना मनला के पर भी जब मन में आवेला काट लेल सन। कुल मिलाके वो बेरा दुनिया के सबसे नालायक अउरी नकारा जीव हमके कुकुर महसूस भईल। दुनिया के अइसन कवनो बुराई ना रहे जवन की कुकुर में ना लउकल। सिक्योरिटी गॉर्ड पर भी खूब खीस बरल कि चोट्टा सब रात भर जागे के पइसा लेके सूत गईल रहल सन। आखिर में ए कुकुर के चुप करावल ओकनी के ही न काम रहे।
कुकुर के कुछ त इलाज कईल जरूरी रहे, इहे सोच खिड़की के दरवाजा सरकवानी। पर बाहर त केहु के नामोनिशान ना रहे।
"नीचे त एको कुकुर नईख़सन। " हम आश्चर्य से कहनी।
"पापा ऊपर देखी। ओइजा बा कुकुर। " हमार लड़की हमके ऊपर देखावत कहली।
बिलार के कद के करिया मुह अउरी उजर झबरा बाल वाला एगो विदेशी नस्ल के कुकुर तीसरा माला के खिडकी से भोकत रहे। हमार फ्लैट दूसरा माला पे रहे अउरी दुनू फ्लैट एक दूसरा से कोना पर जुडल रहल सन।
"इ त केहु क पालतू लागता। " श्रीमती जी कहली।
"हूँ " हम मायूसी से कहनी। कुकुर से सबक सिखावे के हमरा योजना धराशायी हो गईल। एतना रात के केहु के पालतु कुकुर के जाके मारल ना संभव रहे ना बुद्धिमानी रहे।
तभिए वो खिड़की पे एगो औरत लउकली, शायद ओकर मालकिन रहली।
" व्हाट हैप्पेनड बेबी। कूल डाउन ( का भईल बाबू। शांत हो जा।" उ मधुर आवाज में कहली अउरी वाकई में उनका आवाज में जादू रहे, उ चुप होके उनका गोद में चल गईल। फेरु उ खिड़की के स्लाइडिंग बंद क देहली अउरी हमनी के राहत के सांस लेहनी जा।
अगिला दिने शाम के जब ऑफिस से अयनी त, हमार दुनू बच्चा लोग खिड़की पे जमल रहे लोग अउरी साथ में ढिशुम ढिशुम चिल्लात रहे लोग। हमहू उत्सुकतावश खिड़की से बाहर झकनी त रातवाला कुकुर अपना खिड़की पर भौह भौह करत नजर आयिल। हमके लागल की शायद ओके सबक सिखावे खातिर बच्चा लोग ढिशुम ढिशुम कहता लोग।
"ई ढिशुम ढिशुम का कइले बाड़ लोग। ओके भोके द लोग। तह लोग खिड़की बंद क द। " हम कहनी।
"एकर नाम ही ढिशुम बा। " श्रीमती जी कहली। इ मेहता परिवार के पालतू कुकुर ह।
मतलब साफ़ रहे कि श्रीमती जी के लगे कुकुर अउरी ओकर परिवार के पूरा इतिहास अउरी वर्तमान आ गयील रहे। वैसे हम औरत लोग के त्वरित अउरी गोपनीय से गोपनीय सूचना प्राप्त करे के क्षमता के कायल हई । हमरा अक्सर लागेला की रॉ अउरी अन्य सारा ख़ुफ़िया विभाग में सिर्फ महिला लोग के ही भर्ती होखे के चाही। अच्छा या बुरा कवनो बात, चाहे गाव होखे या परदेश , जेतना आसानी से औरत लोग मालूम क लेला लोग उ पुरुष लोग के बस के बात नइखे । बहुत बार त पुरुष लोग के बहुत बात के पता भी ना चलेला।
हमरा श्रीमती जी में इ गुण कुछ ज्यादा ही रहे। हमरा पुरनका घर के याद आ गईल कि कैसे हम एक साल तक अकेले रहला के बाद भी अपना फ्लोर के एको पडोशी के बारे में ना जान पवनि और शादी के बाद जब पत्नी जी के लिययिनी त उ चौबीस घंटा में ही सबके जानकरी ले लेहलीं। पडोशी लोग से जान पहचान भईल अच्छा लागल पर हमरा बारे में ओ लोग के राय जानके दुःख भी भईल। चुकी एक साल तक हम वो लोग से कवनो संवाद ना कईले रहनी उ लोग हमके तरह तरह के बुरा नाम से सम्बोधित करे लोग जैसे की - खडूस, काइया, सनकी, मुर्ख, स्याणा आदि आदि।
खैर श्रीमती जी जानकारी देहली कि ढिशुम मेहता के कुकुर ना होखे उनकर तीसरा बच्चा रहे अउरी ओके उ अउरी उनकर मेहरारू जी जान से माने लोग। वो लोग के एगो लड़िका अउरी एगो लड़िकी भी रहे।
अब शाम के इ नियम जइसन हो गईल, हम जब घरे आई त हमार दुनू बच्चा लोग खिड़की पर ढिशुम ढिशुम करत मिले लोग। ओ लोग के अइसन करत देख हमरा अंदर के भी बच्चा जीवित हो जाउ अउरी हमहू ओ लोग के साथै ढिशुम ढिशुम करी। शुरू शुरू में ढिशुम के वयवहार दुश्मनी वाला लागे पर अब ओकरा हाव भाव से लागे के वोहू के ऐमे आनंद आवे।
सुबह के जब ऑफिस निकली त मेहता परिवार के एगो सदस्य ढिशुमवा के लेके रोड पर मिल जाउ। उ शौच खुला में ही करे। हमके देख के हमरा पास आवे चाहे पर ओकरा पहिले ही हम आगे बढ़ जाई। कुकुर कुल से पता ना काहे हमके बचपन से ही डर लागे। हम त आगे बढ़ जाई पर गली मुहल्ला के सारा आवारा कुत्ता ओके दूर से ही भौह भौह करके धमकाव सन। साफ़ जाहिर रहे की इ ओकनी के ईर्ष्या के परिणाम रहे। एकहि बिरादरी में जनम लेहले के वावजूद ढिशुमवा जहा ठाट बाट से रहे वही उ कुल दर दर के ठोकर अउरी लोगन के गारी मार खा सन। जब अपना के सबसे विकसित अउरी सभ्य कहेवाला मनुस्य जाती के ९९ % लोगों में ईर्ष्या भरल बा फिर त इ निपढ अउरी नाकारा बाड़ सन। वैसे भी जेतना आदमी अपना आभाव से दुखी ना होला ओकरा से ज्यादा दुसरा के एश्वर्य से दुखी होला। ए वजह से एकनि के इ व्यवहार स्वाभाविक ही रहे।
कद काठी में छोट भईला के वावजूद ढिशुमवा गजब के हिम्मती रहे। उ एकनि के भोकला से तनिको ना डेराऊ और जैसेही ओके ढील मिले , ओकनी के तरफ झपट पड़े अउरी फेरु सारा आवारा कुकुर लोग के भागे के पड़े। वैसे इ एगो पहेली रहे कि रास्ता के कुकुर कुल ढिशुंवा से डेरा सन या ओकरा मालिक से। इ त युद्ध भईला के बाद ही तय हो सकत रहे।
दिशुमवा के ऐश्वर्य से खाली कुकुर कुल के ही जलन ना रहे बल्कि सोसाइटी के लोग भी जले। जब मिसेस मेहता या मिस्टर मेहता ओके लेके घूमे लोग त ओ लोग पर तमाम तरह के कमेंट पास होखे। ओके देख के लागे की अगर केहु के समाज में आपन मजाक उड़वावे के बात कुकुर पाल लेउ।
धीरे धीरे समय बीते लागल अउरी हमनी के ढिशुंवा के साथे इ आँख मिचौली जारी रहे। एक दिन शाम के हम घरे अयिनी त बच्चा लोग खिड़की पे ना रहे। ढिशुंवा भी खिड़की पे ना रहे। शायद कही गईल रहे। हम हाथ मुह धोके नास्ता करे लगनी। फ्लैट के दरवाजा खुलल रहे। कुछ देर बाद ढिशुमवा के लेके मेहता जी सीढी से आवत लउकले।
"बाबू हउ देख। " हमार लड़की चिहा के कहली " ढिशुम "
लड़की के देखके ढिशुमवा ऊपर ना जाके सीधे हमरा घर में घुस गईल अउरी फिर हमनी के त अइसन हालत हो गईल जैसे घर में शेर घुस गईल होखे। डर के मारे हमार हालत ख़राब। हम दौड़ के बेडरूम में भगनी अउरी फिर हमरा पीछे दुनू बच्चा लोग। श्रीमती जी किचेन में रहली। ढिशुमवा भी हमनी के पीछे भागल। अइसन लागे कि हमनी के रोज चिढ़वला के बदला लेबे खातिर ही अंदर घुसल रहे। दुनू बच्चा कुल हमसे सपट गईल सन। बचाव के कवनो हथियार ना लउकल त हम बेड के तकिया उठा लेहनी।
"भाग। " हम हीम्मत बाध के कहनी।
पर उ त अपना जगह से हिले के तैयार ना रहे। बेड पर हम बच्चन के साथै अउरी निचे उ भौ भौ करत रहे।
मेहता जी बाहर दरवाजा से ही ओके आवाजे देत रहले। चुकी हमनी के परिचय ना रहे , ऐ वजह से अंदर आवे से संकोच करत रहले।
आवाज सुनके श्रीमती जी भी अंदर आ गईली।
"शांत ढिशुम। " श्रीमती जी कहली अउरी उ चुप हो गईल। श्रीमती जी के हिम्मत देख के हम हैरान रह गईनी। दुनू बच्चा लोग भी हमरा गोदी से कूद के माई के पास चल गईल लोग। उनका पास ओ लोग के ज्यादा सुरक्षा लगत रहे।
उ ओकर पट्टा पकड़ लेहलीं अउरी फिर उ एगो आज्ञाकारी शिष्य जइसन सर झुका देहलस। ओके शांत देख बच्चन के हिम्मत बढ़ल अउरी उहो लोग ओके छूवे लागल । ढिशुमवा भी प्यार से जबाब देहलस और कूद के बेड पर बैठ गईल। बच्चा लोग ओकरा साथै खेले में मगन हो गईल और हम बाहर आके मेहता जी से बात करे लगनी। पाहिले जान पहचान भईल, फिर उ अंदर आके चाय भी पियले और जब ढिशुमवा जाए के तैयार ना भईल त उ ओके छोड़ के चल गईले।
अब इ रोज के दिनचर्या हो गईल। हम जब भी शाम के घरे आई त ढिशुमवा हमरा ईहा ही मिले। दुनू बच्चा लोग के उ बढ़िया दोस्त बन गईल रहे। शाम के एक घंटा उ लोग ओकरा साथै खेले। खेलवना त ढेर सारा रहे, पर जवन आनद ओकरा साथ खेल ले बच्चा लोग के मिले उ बयां नइखे कईल जा सकत। बच्चा लोग ही काहे अब हमरो ओकरा से डर ना लागे। ओकरा साथै खेलला में आनंद आवे। ओ छोट जानवर में हमके अब तमाम तरह अच्छाई नजर आवे। अब मेहता परिवार के कुकुर पोशला पर मजाक उड़ावे वाला लोग के ज्ञान पर हमके तरस आवे। हमके लागे की जवन भी आदमी कुकुर के पहिला बार बफादार जानवर के ख़िताब देले होई, उ वाकई अपना समय के सबसे बुद्धिमान आदमी रहल होइ।
नया घर में अईले एक साल कैसे बीत गईल पता ही ना चलल और फिर बच्चा लोग के गर्मी के छुट्टी हो गईल। दू महीना के छुट्टी गावे बितावे के रहे। गावे जाए के लेके बच्चा लोग में उत्सुकता और आनंद त रहे पर साथ ही ढिशुंवा से बिछुड़ला के दुःख भी रहे। भारी मन से बच्चा लोग गावे रवाना हो गईल लोग। हमरा एक महीना बाद जाए के रहे।
ओ लोग के गावे पहुँचला के बाद हम जब भी फ़ोन करी त उ लोग खाली ढिशुमवा के ही हाल चाल पूछे लोग। कभी कभी हमहू ढिशुमवा के पास फ़ोन ले जाके ओकेर भौह भौह सुना दी। उहो ओ लोग के बड़ा बेसब्री से खोजत रहे।
एक महीना बाद हमहू गावे चल गईनी। एक महीना के समय कैसे बीत गईल पता ही ना चलल और जब गाव से चले के भईल त आवे के इच्छा ना रहे। इहे बच्चा लोग के भी हाल रहे पर ढिशुमवा से मिले के ख़ुशी में उ लोग ज्यादा उदास ना रहे।
मुंबई वापस आके जैसेही घर में घुसनी जा बच्चा लोग खिड़की पे जा बइठल लोग अपना अईला के सूचना ढिशुमवा के देवे खातिर। पर खिड़की पर त ढिशुमवा के पता ना रहे। शायद कही गईल होइ या सुतल होई। कुछ देर बाद हम समान लियावे निचे चल गईनी और जब अयिनी त श्रीमती जी दुनू बच्चा लोग के साथ शोकमग्न रहली। ओ लोग के अइसन देख हम घबरा गईनी। श्रीमतीजी रुआंसा होके कारन बतवली जवना पर विश्वास ही ना होत रहे।
मेहता जी कुछ दिन पहिले पूरा परिवार के साथै शिरडी गईल रहले और वापसी में उनकर कार के एक्सीडेंट हो गईल। एक्सीडेंट में ढिशुमवा के छोड़ के केहु ना बचल और अब ढिशुमवा उनकर छोट भाई के पास ऐइजा से ५ km दूर रहत रहे। भगवान एतना भी क्रूर हो सकत रहले विश्वास ना होत रहे। ढिशुमवा भी एंगा बिछड़ जाई विश्वास ना होत रहे। श्रीमतीजी मेहता जी के भाई से मिलके ढिशुमवा से मिले और ओके मांगे के राय देहली पर हमरा ऐमे कवनो फायदा ना नजर आयिल। दस बीस मिनट मिलला से का होइत। वैसे भी ढिशुंवा के दाम कमसे कम पचास हज़ार रहे। भला अतना के चीज उ मुफ्त में काहे दिहे। हम उनके मना क देहनी।
धीरे धीरे समय बीते लागल और हम काम में व्यस्त हो गईनी। पर बच्चा कुल के उदासी ना गईल। दिशुमवा से बिछड़ के कुम्हला गायिल रहल लोग । मालूम भईला के बाद भी उ लोग घंटा खिड़की खोल के मेहताजी के खिड़की पर टकटकी लगवले रहे लोग की शायद ढिशुमवा लऊक जाइत। कभी कभी त भ्रमवश हमहू खिड़की खोलके देखि और तब याद आवे की ढिशुमवा अब ऐजा ना रहेला।
गाव के अईला के लगभग दस दिन बाद हम शाम के ऑफिस से लौटनी त अपना फ्लैट के ठीक निचे आवारा कुकुर कुल के एगो झुण्ड लउकल। उ कुल बहुत अक्रामक मुद्रा में रहल सन। शायद कवनो जानवर के घेरले रहल सन और ओकनी के भौह भौह चरम पर रहे। तबे ऊपर से अपना बच्चा और श्रीमती जी के खिड़की से चिल्लत देखनी। उ लोग ढिशुम ढिशुम चिल्लात रहे। तनी पैर उचा क के देखनी त उ सचमुच ढिशुमवा रहे। बहुत दिन तक अपना मालिक के दम पर उ एकनि के धमकवले रहे और आज ओकर सारा बदला उ ओइसे ले लेबे चाहत रहल सं। पर उ कहा से ऐजा पहुंच गईल रहे समझ में ना आयिल। पर अब इ सोचे के समय ना रहे। एक सेकंड के विलम्ब भी ओकर जीवनलीला समाप्त क दित। हम पास ही पैदल पत्थर ईगो टुकड़ा उठा के फेकनि त कुछ कुकुर तितर बितर हो गईल सन। फाका पाके ढिशुमवा हमरा लगे आ गईल और हमरा पास आके ओके कुछ करे के हिम्मत कहा रहे सड़क के कुकुर लोग में। उ भौह करत आपन खीज मिटावत चल गईल सन। हम ढिशुंवा के लेके घरे आ गईनी। ढिशुमवा के देख के जवन ख़ुशी बच्चा लोग के मिलल उ दुनिया के कवनो भी दौलत देके ना खरीदल जा सकत रहे। अइसन लागल जैसे बरसो के बिछडल माई बच्चा मिल गईल होखे। तीनो लोग पहिले लोर बहावल और फिर एक दूसरा लोर पोछल और बैडरूम में चल गईल। हम और श्रीमतीजी परेशान रहनी जा की ढिशुंवा ओइजा पहुँचल कैसे।
ढिशुमवा के आईले आधा घंटा बीत गईल रहे और एगो खास मेहमान जइसन ओकर खातिर भाव जारी रहे पर उ ओइजा पहुचल कैसे अभी भी इ पहेली ही रहे।
कुछ देर बाद बेल बजल। दरवाजा खोलनी त दुगो आदमी खड़ा रहे। एक आदमी के शकल मेहता जी से मिळत रहे। शायद उनकर भाई रहले। हम दुनू जाना के अंदर ले अयिनी और हमरा अपना पहेली के उत्तर मिल गईल।
एक जाना मेहता साहब के भाई रहले जबकि दूसर जाना ढिशुमवा के नया मालिक। आज ही उ ढिशुंवा के उनसे पचास हज़ार में खरीदले रहले और लेजात समय ढिशुमवा हाथ छोड़ा के पहिला ठेहा पे भाग आयिल रहे। इ लोग ओकरा पीछे पीछे ऐजा पहुँचल रहे। नाश्ता पानी कईला के बाद उ लोग ढिशुंवा के ले जाए खातिर कहल लोग। पर बच्चा लोग ओके छोड़े के तैयार रहे नाही ढिशुमवा ही ओ लोग से अलग होखे के। हमरा सामने बड़ा अजीब स्थिति रहे। ढिशुमवा पर कानूनी रूप से हमनी के कवनो अधिकार ना रहे और हमरा लाख अनुनय विनय के बाद भी उ लोग ओके छोड़े के तैयार ना रहे। कुछ समझ में ना आवत रहे की का करी। बच्चन के ढिशुमवा से प्यार देखके ओकरा नया मालिक के दया आ गईल और उ पचास हज़ार में छोड़े के तैयार हो गईल। पर अब पचास हज़ार के रकम कहा से लियाई। गाव से अभिये आयिल रहनी और हाथ पूरा तरह से खाली रहे। कुछ कर्ज भी हो गईल रहे। इ बिलकुल संभव ना रहे। हम मना क देहनी। उ लोग जाए के तैयार हो गईल लोग। हम तनी क्रोध से बच्चा लोग के ढिशुंवा के बाहर लियावे के कहनी पर उ लोग हमर बात ना सुनल। फिर अंदर जाके हम ओके छीन के बाहर ले आयिनी। बच्चा लोग के रोअन पिटन चालू हो गईल। ढिशुमवा के आँख से भी लोर बहत रहे पर उ समझ गईल रहे की नियति के आगे सब मजबूर बा। हमरा घर में रहल ओकरा भाग्य में ना रहे। हम ओके लेके बाहर निकलनी त अइसन लागल की अपना पोसल बकरी के कसाई के दे तानी। गाँव में लड़की कुल के विदाई के दृश्य हमरा सामने आ गईल। ढिशुंवा के लेके मेहता जी के भाई और नया मालिक बाहर निकल गईल लोग। दुनू बच्चा लोग के श्रीमती जी मनावत रहली।
"ओकनी के रोकी। " कुछ देर सोचला के बाद श्रीमतीजी कहली और भाग के अंदर गईली।
"काहे ?" हम चिहा के पूछनी।
उ वापस अईली त उनका हाथ में उनकर दू तोला के सोना के चेन रहे।
"हई ले जाई और बेच के ओकनी के पैसा देदी। ढिशुमवा अहिजा रही। "
"का कहतारु। ढिशुमवा खातिर सोना के चेन बेचबु ?"
"औलाद के सुख से बढ़के इ नइखे। ओ गहना पहिनला के का सुख जब औलाद के ही सुख ना होखे। हमार सबसे बड़का गहना हमरा बच्चा कुल के ख़ुशी बा। रउवा ली अब देर मत करी नात उ लोग चल जाई "
हम खिड़की खोलके देखनी त उ लोग निचे के गेट से बहार निकलत रहे। चिल्ला के ओ लोग के रुकववनी।
ढिशुमवा वापस घर में आ गईल और ओके पाके जवन आनंद के अनुभूति बच्चा लोग के भईल उ वाकई में कवनो गहना के पहिनला पर ना हो सकत रहे। हमहू बहुत खुश रहनी। ओ लोग के साथै जाके चेन बेच के पैसा दे देहनी और ख़ुशी ख़ुशी घरे वापस अयिनी।
अब ढिशुमवा हमरा घर के स्थायी सदस्य हो गईल बा। बच्चा लोग के पास खिलौना त ढेर सारा बा पर इ खिलौना सबसे अनमोल और अनोखा बा। सखी सहेली कुल के मोटा मोटा चेन पहिनल देख के श्रीमतीजी के तनिको दुःख ना होला। वैसे त हमरा लगे काम के कमी ना रहल ह पर अब सुबह शाम ढिशुमवा के शौच करावे के काम भी मिल गईल बा। ढिशुंवा के देख के सड़क ले कुकुर कुल के अभी भी उहे व्यवहार बा जवन की पहिले रहे। सोसाइटी के लोग के अभी भी मजाक उड़ावल जारी बा और मजाक के पात्र अब हम बानी पर हमरा एकर परवाह नइखे। हम त ओ आनंद में ही अभिभूत बानी जवान की ढिशुमवा के अईला से हमरा पूरा परिवार के मिलल बा।
धनंजय तिवारी
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