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भोजपुरी कहानिया

बलिया से मोतीझील आश्रम यात्रावृतांत....!!

बलिया से मोतीझील आश्रम यात्रावृतांत....!!
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सुबह के सात बजे हैं ।मैं जैसा ही अपना मोटरसाईकिल धोने और पेट्रोल भराने के लिए निकाला वैसे ही मेरा मोबाइल का सिंगटोन बजा
-"गवना करइल ए हरि जी "
मैंने तुरंत रिसीव किया ।
-हैलो ।
-ह हेलो नीरज! !
-जी ।
-हम आलोक।
-जी भैया बोलीं ।
-का होता? ?
-जा तानी मोटरसइकिलया में पेटरउल भारवाए।जायके बा नू गोपालगंज ??
-दूर मरदे ।सूनू सूनू एगो मजेदार बात ।
-का भैया का ।
-अरबिन भैया फारचूनर लेके आवतबाडन ।
-इ कवनो नमकीन के नाम ह का भईया?
-एक दम बकलोले रहि गइल तू ।
इ चारचाका गाड़ी के नाव ह रे बूडबक।
-ए भइया हमरा नियर टेरेन मे बेदाउट टिकट जातरा करे बाला आदमी का जानी ।
-हमरो त उहे हाल बा।चलू भायवा एबेरे चील्ही के जनम छोड़ा लिहल जाव ।
-ना भइया ना ।ढेर समय लाग जाई जाए मे ।हमार सालाह मानी मोटरसइकिलवे ठीक रही ।ए से एगो अउरी फायेदा रही जब चाही अदमी एगो किक मार के भागी चली ।एइसहू सुनतानी बारात मारजाद बा ।
-ए बाबू तोहरा जवन करेके मन करे तवन कर ।भले देर हो जावो जाये मे चाहे दस दिन लाग जाव लवटे में ।चाहे हामार बबीता छोड़ के हामारा के भागी जासु ।लेकिन हम अब फारचूनरे पर चढी के जाईब।

आलोक पांडेय की बात सुनकर मैं आश्चर्यचकित ठीक उसी प्रकार हो गया जिस प्रकार उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव का रिजल्ट देखकर सपाई और बसपाई हो गये थे ।
जैसे -जैसे समय का पहिया आगे बढ़ रहा था आलोक पाण्डेय जी के दिल के धड़कन की गति उतनी तेज होने लगा ।
अरबिन भैया के नम्बर पर 1578 बार लोकेशन लेने के बाद वह घडी आ गया जब नगरा बाजार में एक गाड़ी का हार्न बजा और प्रथम बार फारचूनर पर बैठने के दीवा स्वप्न में खोए आलोक पांडेय का ध्यान भंग हुआ ।
-अरे ! ये क्या? ?ये तो धुकधुकिया जीप है ।आलोक पांडेय का फारचूनर पर बैठने का जोश ठीक वैसे ही ठंडा हो गया जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद नीतिश कुमार का प्राइममिनिस्टर बनने का ।
अपने दोनो हाथ सर पर रखकर आलोक पाण्डे नगरा बाजार में जमीन पर थम से बैठ गये ।
-आलोक भैया! ए आलोक भैया!
अरबिन भैया ने आलोक पांडेय का शरीर झकझोरा ।
-ह भैया !
-गोपालगंज चलना नहीं है क्या? ?
-आलोक पांडे के गले से स्वर ही नहीं निकल रहा था ।
-"गाड़ी को पिछे से धक्का मारिये ।" अरबिन बो भाभी ने भी हंसते हुए कहा ।
-आलोक पांडेय का फारचूनर पर बैठने का अरमान मिट्टी मे मिल गया ।
तभी पान के दुकान पर एक गाना बजा "दिल के अरमां आंसुओ


नीरज मिश्रा
बलिया
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