"मेरा हीरो " : धनंजय तिवारी
BY Suryakant Pathak8 Jun 2017 7:58 AM GMT

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Suryakant Pathak8 Jun 2017 7:58 AM GMT
"अरे रे संभाल के, पानी के छीटे इधर ना आ जाए ? क्या कर रहा है है बॉस ? देखता नहीं इधर हम लोग खड़े है और तू सफाई कर रहा है।" एक आदमी की कर्कश आवाज प्लेटफार्म के बाथरूम में गूंजती है बाकी लोगो का ध्यान बरबस ही उधर चला जाता है।
सफाई वाला बॉस नहीं है पर ये मुंबई की भाषा है। सामान्यतः लोग यहाँ सामने वाले को बॉस कहके संबोधित करते है।
सफाई कर रहा आदमी जबाब में मुस्कुरा के रह जाता है।
"बॉस तू जल्दी क्यों नहीं आके साफ़ सफाई कर लेता है?" एक दूसरा आदमी सलाह देता है "गर्दी के ही समय तेरे को साफ़ करना रहता है। तेरे वजह से हमको दिक्कत होती है।"
बस बात वही रूक जाती है। शायद सफाई वाले की स्थिति देखके भी यात्री लोगो का गुस्सा ठंढा पड़ जाता है। उसके दोनों पैर बेकार है और वह पूरी तरह सिर्फ अपने हाथो पर निर्भर है।
सुबह के पौने आठ बज रहे है और मुंबई में लोगो के दिन की शुरुआत हो रही है। भागती दौड़ती जिंदगी के सफ़र की शुरुआत सुबह ट्रेन पकड़ने से शरू होती है। बहुत सारे लोग लघु शंका के लिए यूरिनल में खड़े है।
ये रोज की ही बात है। कोई न कोई उस सफाई वाले को डाटता है, सलाह देता है और वो सिर्फ मुस्कुरा के रह जाता है।"
मेरे जेहन में भी ये सवाल अकसर उठता है कि आखिर ये जल्दी आके क्यों नहीं सफाई का काम निपटा लेता है।
"गुरु तू सुबह जल्दी क्यों नहीं आके काम निपटा लेता ?" मैने आज उससे पूछ लिया।
"सर चाहता तो मै भी यही हूँ पर समय नहीं मिलता। " गुरु विनम्रता से कहता है "सुबह भाई को स्कूल भेजना रहता है"
गुरु की बात से मै चौक गया। बाकी घर के लोग क्या करते है कि इसे भाई को स्कूल भेजना पड़ता है।
"कभी आईये न सर मेरे घर" वो कहता है और फिर अपना पता भी बता देता है। हालाँकि उसे भरोसा नहीं है की मेरे जैसा आदमी उसके घर आएगा।
मै भी जल्दी में हूँ और ट्रेन के आने का समय हो गया है। उसके घर आने का वादा कर मै तेजी से बाथरूम से बाहर निकल जाता हूँ।
ट्रेन नियत समय पर आती है और थोडा बहुत संघर्ष के बाद मै अपनी नियत लाइन में खड़ा हो जाता हूँ। मै जिस लाइन के खड़ा होता उस तरफ कॉलेज के बच्चो का एक समूह भी रोजाना सफ़र करता है। रोज उनके पास एक नया विषय रहता है बहस के लिए और आज का उनका टॉपिक है मेरा हीरो। पर हीरो से उनका आशय सिर्फ अभिनेता से नहीं है।
सब लोग अपने पसंद के हीरो के नाम बताते है और ये भी बताते है की वो क्यों उन्हें पसंद है। बच्चो के समूह के पसंदीदा हीरो में, खान त्रिमूर्ति, अक्षय कुमार, अजव देवगन अभिनेताओ से लेके धोनी, तेंदुलकर और कोहली जैसे नाम शामिल है। कुछ सहयात्रियो के नजर में राजनेताओ का नाम है तो कुछ के सूची में पुलिस और कुछ लोगो के नजर में दबंग। मिलिट्री अंकल की नजर में फ़ौज वाले से बढ़के कोई हीरो नहीं है। अपनी अपनी पसंद के हीरो होने के बाद भी सब लोग अंकल की बात से सहमत है। वाकई में सेना के लोग देश के हीरो है।
सबने अपनी पसंद बता दी है बस एक मै ही बाकी हूँ। सब लोग बार बार मुझसे मेरी पसंद पूछ रहे है पर मुझे अभी तक अपना हीरो नहीं मिल रहा है। आखिर में किसी को हीरो मानने के लिए उससे प्रभावित होना चाहिए। मै उनसे एक दो दिन की मोहलत मांगके जान छुड़ा लेता हूँ।
शाम के चार बज रहे है और मै वापस अपने स्टेशन पहुच चुका हूँ। कुछ घरेलू काम के वजह से ऑफिस से जल्दी निकल गया था। वापस मोटरसाइकिल स्टैंड की तरफ जाने से पहले मै बाथरूम का रूख करता हूँ पर इस समय गुरु वहां नहीं है। अभी ड्यूटी बदल चुकी हूँ। मै ड्यूटी वाले स्टाफ से गुरु के बारे में पूछता हूँ तो पता चलता है कि अभी वो घर चला गया है। फिर अचानक गुरु से मिलने का विचार जन्म लेता है चुकी मेरे पास समय काफी है।
ठीक पंद्रह मिनट बाद मै गुरु के दरवाजे पर खड़ा हूँ। उसका घर एक १० * १० का चौल है। मै दरवाजे पर दस्तक देता हूँ और गुरु ही दरवाजा खोलता है। वो मुझे देख के हैरान है। उसे विश्वास नहीं है की महज औपचारिकता में उसके निवेदन को स्वीकार कर शाम को ही उसके घर आ धमकुंगा। उसे समझ में नहीं आता की क्या कहे।
"अरे भाई अन्दर आने को नहीं कहोगे?" चुप्पी को तोड़ते हुवे मै ही कहता हूँ।
"क्यों नहीं सर" वो झेपते हुवे कहता है और अन्दर आने का रास्ता देता है।
मै कुर्सी पर बैठ जाता हूँ। वो कुछ नास्ते के इंतजाम के लिए अन्दर जाना चाहता है पर मै उसे रोक देता हूँ।
"इधर कैसे आना हुआ सर?" वो पूछ पूछता है।
"बस युही" मै बात बनाते हुवे कहता हूँ "इधर से गुजर रहा था तो सोचा की तुमसे मिलता चलू"
फिर कुछ देर के लिए ख़ामोशी फ़ैल जाती है।
"और बताओ कौन कौन है तुम्हारे घर में है" मै सवाल करता हूँ।
"मै और मेरा छोटा भाई" वो दिवार पे टंगे फोटो जिसपे की फूलो की माला लगी हुई है, के तरफ इशारा करते हुवे कहता है "ये मेरे माँ बाप है जो एक दुर्घटना में चल बसे और मै अपाहिज हो गया। छोटा भाई नानी के यहाँ था इसलिए वो बच गया"
"ओह ये तो बहुत बुरा हुआ" मै उसको सांत्वना देता हुआ कहता हूँ "नियति पर किसी का अधिकार नहीं है"
मेरा मन उसकी सच्चाई से द्रवित हो जाता है। तो ये कारण है कि इसको वहा काम करना पड़ता है और सबकी झिडकी सुननी पड़ती है।
"मै मानता हूँ सर की नियति पे किसी का अधिकार नहीं है। पर हम अपने आपको नियति पे तो नहीं छोडके बैठ सकते। मै पढाई में हमेशा अव्वल आता था और मेरा सपना था की मै बड़ा अधिकारी बनू पर ऐसा नहीं हो सका।
पर मेरा सपना सच नहीं हुआ तो क्या हुआ। मेरे ऊपर अब भाई की भी तो जिम्मेदारी है। दुनिया में अब हमारा कोई अपना नहीं है। अब मै अपने सपने को उसमे सच होता हुआ देखता हूँ। मै चाहता हूँ की वो कल बड़ा अधिकारी बने भले ही उसके लिए मुझे कोई भी काम क्यों न करना पड़े। अपाहिज हूँ इसलिए अपने मनपसंद काम नहीं कर सकता पर काम तो करना ही है। लोगो ने सलाह दीकी मै भीख मांगके गुजारा करू पर ख़राब तो सिर्फ मेरे अंग हुवे है मेरा हौसला नहीं। अगर मै काम नहीं करू तो फिर मेरे भाई को काम करना पड़ेगा और मेरे साथ साथ उसके भी सपनो की मौत हो जाएगी। वो नन्ही सी जान कौन सा काम करेगा इस उम्र में। किसी होटल में वर्तन धोएगा या फिर ट्रेन में भीख मांगेगा।"
"हा ये तो है" मै हामी भरता हूँ "पर सुबह तुमको देर क्यों हो जाती है?"
"भाई का स्कूल सुबह 7 बजे का है। उसको तैयार करने और छोड़ने में देर हो जाती है नहीं तो मै तो 6 बजे ही पहुच के अपना काम निपटा देता"
मुझे गुरुकी मजबूरी पता चल चुकी है। कुछ देर मै और ठहरता हूँ और फिर वापस चल देता हूँ अपने घर की तरफ।
रास्ते में दिमाग में बस एक ही सवाल है। क्या गुरु से भी बेहतर कोई हीरो हो सकता है। पैर बेकार होने के बाद भी बेगार की न खाने की सोचके मेहनत करना यही तो हीरो का लक्षण होता है। अपने सपनो को मौत होने के बाद भी उसे नहीं मरने देना यही तो हीरो करता है। लोगो की गन्दगी साफ़ करके भी अपने विचारो को साफ़ रखना, यही तो हीरो में होता है। घर पहुचते पहुचते मै इस निष्कर्ष पे पहुच गया हूँ की मेरा हीरो गुरु से बेहतर और कोई नहीं हो सकता है। मेरी नजर में हीरो वो नहीं है जो सपने बेचता है, सपने दिखाता है बल्कि हीरो वो है जो लाचार और मजबूर होने के बाद भी उन सपनो को मरने नहीं देता है और अगर खुद वो सपने सच नहीं कर सकता तो दुसरो से अपने सपने सच कराता है।
मन बेताब है की कल जल्दी से जल्दी आए और मै ट्रेन में पहुच के अपने हीरो का नाम और काम लोगो को बताऊ।
धनंजय तिवारी
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