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भोजपुरी कहानिया

सँझिया के बेरवा कि भोली रे चिरईयाँ- अमरेन्द्र कुमार सिंह

सँझिया के बेरवा कि भोली रे चिरईयाँ- अमरेन्द्र कुमार सिंह
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सँझिया के बेरवा कि भोली रे चिरईयाँ-
कईली खोंतवा के ओरिया पयान-1

गईया रँभा ये भईसियाँ पेन्हाये-
कि बछवा बन्हईले बथान-2

दियावा बरईले अगिया जोरईले-
कि थाकी हारी अईले किसान-3

अँगना में अईया गावे सवईया-
कि मईया जी सानस पिसान-4

बुतूरू भी लेके पटिया पतारवा-
कि बाबा भीरी बईठस दलान-5

ई हे रहे पहिले के
चलिया चलनिया-
कि ना रहे कोई परेशान-6

लोग पढ़ी लिखी गईलें
पीरीतिया बँटईलें-
कि हो गईले चोर बेईमान-7

सँझिया खा होखे रोज होखे कीर्तन भजनिया-
कि रामजी के होखे गुन गान-8

बहल कवन हऊवा
आईल बदलऊआ-
कि बदलल मिजवजवा ईमान-9

आईं ए बाबा आईं ए काका-
अबहूँ से दीहीं जा ध्यान-10

नवका के लिहीं पुराना ना भुलीं-
कि एही में हऊवे कल्यान-11

रतिया कुशल से बिताईं सँघतिया-
चली जाईब होतहीं बिहान-12

अमरेन्द्र कुमार सिंह
आरा,बिहार।
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