जनकपुर
BY Suryakant Pathak18 Jun 2017 9:28 AM GMT

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Suryakant Pathak18 Jun 2017 9:28 AM GMT
जनकपुर की बात छिड़ते ही, किसी भी पुरुष के मन, मस्तिष्क में ससुराल, साला, साली, ससुर, सास, सरहज, साढू, सढुवाइन, सरपुत की ध्वनि गुंजायमान होने लगती है। 'स' शब्द का अदभुत अनुप्राश है ससुराल। व्याकरण में किसी भी शब्द का प्रत्यय यदि 'स' जोड़ कर किया तो इसका एकमात्र कारण होता है, दो को एक साथ बताना जैसे- सरस, सप्रेम, सहर्ष, सपत्नी, सस्वर, सशस्त्र, सपरिवार आदि।
ऐसे अदभुत 'स' के संयोग का सार है ससुराल। इस सारहीन संसार में सारवान यदि कुछ है तो ससुराल है तभी तो भगवान शिव अपनी ससुराल हिमालय के कैलाशवासी हैं तो भगवान विष्णु क्षीरसागर के।
क्षीराब्धौ हरिः सेते हरः सेते हिमालये।
असारे खलु संसारे सारं श्वसुरं मन्दिरम्।।
ये जगत नियंता लोग, जिनमें यह समस्त सृष्टि पालित, पोषित और लयित होती है ऐसे प्रभु, समर्थ, सक्षम देव अपनी ससुराल में रहते नहीं, सेते अर्थात् सेवन करते हैं उसका, सेवन अर्थात् सेवा लेते हैं।
हमारे सभी देवी-देवता विवाहित और बाल बच्चे वाले हैं परंतु इनके ससुराल का कुछ अता-पता-लापता होने से स्वर्ग में रहते हैं और हम पृथ्वी के प्राणी ससुराल में नहीं रह पाने के कारण मरने के बाद स्वर्गवासी हो जाते हैं। नारीवादी विचारक हैरान, परेशान न हों जहाँ नर रहेगा नारी स्वतः वहाँ रहेगी ही, आ जाए गी ही, लादी जाए गी ही। महिषासुर समर्थकों को भी चिंतित नहीं होना चाहिए उनके लिए रस से भरा रसातल है ही।
खैर, तो मैं ससुराल पर था।
प्यारे सखाओं, सखियों एवं राखियों(बहनों)!
पृथ्वी पर की पहली प्रसिद्ध ससुराल हिमालय अर्थात् उत्तराखंड है, लेकिन शिवजी के डर से यह उतना प्रसिद्ध नहीं हो पाया, वैसे भी जो बंदा हिमालय चढ जाएगा वह और कहीं चढने लायक रह ही नहीं पाएगा, भला हो भोलेनाथ का जिनपर भाँग, धतुरादि कैसे चढ जाते हैं, इन्हीं झंझटो से बचने के लिए ये हमेशा के लिए वहीं डेरा डण्डा जमा लिए शायद।
तो पहली ससुराल तो उत्तराखंड है। तब से यह प्रथा निकल गई कि जो नर जहाँ विवाह करे वहीं रह जाए।
विवाह तो उसे कहते हैं जिसमें बारात जाए, शिवजी की बारात के अलावा दूसरी बारात का उल्लेख राम जी के बारात का ही देखने को मिलता है जब अयोध्या से बारात जनकपुर गई, पर जनकपुर वालों ने राम-सीता विवाह में हर चीज़ तोड़ा, वहाँ के माली ने फूल नहीं तोड़ा तो जिन पर समस्त फूल स्वतः न्योछावर हो जाते हैं उन राम जी ने फूल तोड़ा, एक सीता के लिए दस हजार राजा बुलाए ये जनकपुर वाले और धनुष उठाने की शर्त रख कर उन दस हजार राजाओं का दिल तोड़ा, जब मेरे सुदर्शन, सुकोमल, सुकुमार, राम ने धनुष उठा लिया तो ये मिथिला वाले कहने लगे की तोड़ कर दिखाओ तो राम ने धनुष तोड़ा और जब रामजी वहाँ रहने की तैयारी करने लगे तो पूरे अयोध्याजी को गाली दे दे के उनके दिलों को तोड़ा और तब से पुरुषों के ससुराल में रहने का नियम टूट गया जिसके कारण पहली बार ससुराल आई कन्या का विवाह संकटों से जूझता हुआ अंत में टूट ही गया।
नियम तोड़ने वाले ये जनकपुर, मिथिला, बिहार या मगध वाले सुना है, मथुरा के किसी सोलह कलाओं से सम्पन्न श्रीकृष्ण को प्रति कला एक हजार सुंदरियाँ दे दिया, पर विवाह नहीं कराया केवल इसलिए कि वह कृष्ण बिहार में न रह जाए कहीं।
अंत में नगर वधू की परंपरा वाले बिहारी, यूपी के मायावती के यारों की संख्या पूछते हो, हाथी से प्यार है उन्हें एकदिन उनका हाथी जो खोला लिया न तो न लालटेन बचेगा न तीर फिर यूपी को दी हुई दहेजी टूटही साइकिल चलाना समझे, अभी तो बड़ी मुश्किल से कमल का फूल दिखा के हाथी को बाँधा गया है।
नमस्कार!
आलोक पाण्डेय
बलिया उत्तरप्रदेश
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