Janta Ki Awaz
भोजपुरी कहानिया

"बबितेश्वर"

बबितेश्वर
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अपना टूटा हुआ मन ले के न जा।
मेरी बैचैनी का सिला मुझे दे के न जा।।

न जा कि शाम शब उदास रहती है।
पूनम के चाँद सुन ईद मेरी ले के न जा।।

एक कतरा हूँ चाहता हूँ मिलूँ तुम में ।
तू खुशियों का समन्दर तो मेरा ले के न जा।।

जाने जां इश्क रसाल रसीला ठहरा।
बढ़ जाये सुगर इतना भी तो दे के न जा।।

ये भाग गुणा घटाव भीड़ तो देखो।
जिन्दगी योग ही नहीं ये ज्ञान दे के तो जा।।

नरेंद्र पाण्डेय
बलिया
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