"बबितेश्वर"
BY Suryakant Pathak21 Jun 2017 9:54 AM GMT

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Suryakant Pathak21 Jun 2017 9:54 AM GMT
अपना टूटा हुआ मन ले के न जा।
मेरी बैचैनी का सिला मुझे दे के न जा।।
न जा कि शाम शब उदास रहती है।
पूनम के चाँद सुन ईद मेरी ले के न जा।।
एक कतरा हूँ चाहता हूँ मिलूँ तुम में ।
तू खुशियों का समन्दर तो मेरा ले के न जा।।
जाने जां इश्क रसाल रसीला ठहरा।
बढ़ जाये सुगर इतना भी तो दे के न जा।।
ये भाग गुणा घटाव भीड़ तो देखो।
जिन्दगी योग ही नहीं ये ज्ञान दे के तो जा।।
नरेंद्र पाण्डेय
बलिया
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