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भोजपुरी कहानिया

लघु कहानी "पर उपदेश कुशल बहुतेरे "

लघु कहानी     पर उपदेश कुशल बहुतेरे
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खुसरू पुर गाँव में एक गोष्ठी का आयोजन हुआ था जिसका प्रकरण था "दहेज "। गाँव के ही नौजवानों ने उस गोष्ठी को सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया था। मंच सजावट,माईक, फर्श पर बिछाने के लिए गद्दा एवं दूर-दूर से आमंत्रित विद्वान अतिथियों के नाश्ता-पानी के लिए आपस में ही चंदा इकट्ठा किया था । इस आयोजन का नेतृत्व उसी गांव के प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले होनहार नौजवान महेश ने किया था ।गोष्ठी प्रारंभ हुआ । एक-एक करके वक्ता गण ने अपना- अपना विचार प्रकट किया ।किसी ने दहेज को दानव के विशेषण से विभूषित किया तो किसी ने कहा ,"दहेज लेना-देना असंवैधानिक है ।"अंत में कार्यक्रम के संयोजकों नें शपथ भी लिया कि वे अपनी शादी में दहेज नहीं लेंगे ।शपथ लेने वालों में महेश आगे खड़ा था ।कुछ दिन तक इस अच्छे आयोजन का चर्चा खुसरू पुर गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्गों के जबान पर था ।एक साल के अंदर ही महेश का चयन सिविल सर्विस में हो गया । गांव में खुशी का लहर दौड़ गया । चार साल के बाद महेश की शादी के लिए रिश्तेदार आनें लगे । उन्हीं रिश्तेदारों में एक रिश्तेदार के साथ वार्ता -
महेश के पिता -"जी हमें योग्य वधु चाहिए ।"
रिश्तेदार- "मेरी बेटी हाईस्कूल से लेकर एम एस सी फर्स्ट डिवीजन पास है ।घर का सारा काम कर लेती है ।"
महेश के पिता -अच्छा, और कुछ? ?
रिश्तेदार -मतलब? ??
महेश के पिता -(मुस्कुराते हुए )लेनदेन? ?
रिश्तेदार - जो आप कहें।
महेश के पिता - आप तो मार्केट का रेट जानते ही हैं ।
रिश्तेदार - आप बोलिए तो सही ।कितना? ??
महेश के पिता - वैसे तो मुझे जानकारी नहीं थी मगर कल महेश ने ही मुझे फोन करके कहा कि आजकल मार्केट में उसके जैसे अफसर का रेट एक करोड़ रूपया चल रहा है ।

महेश के पिता और रिश्तेदारों की उपरोक्त बातें उसका गाय खिलाने वाला नौकर सुंदर ने सुन लिया । कार्यक्रम का वह दृश्य सुंदर के आंखो के सामने आ गया जिसमें दहेज के खिलाफ महेश ने बहुत लम्बा-चौड़ा व्याख्यान दिया था तथा दहेज नहीं लेनें का शपथ भी खाया था ।

नीरज मिश्रा
बलिया (उत्तर प्रदेश )
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