कहानी : छेदी प्रसाद का कुत्ता ....
BY Suryakant Pathak25 Jun 2017 1:20 PM GMT

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Suryakant Pathak25 Jun 2017 1:20 PM GMT
छेदी प्रसाद जाति के मुसहर हैं... पिता पूर्वोत्तर रेलवे में क्लास टू के अधिकारी थे । छेदी ने रेलवे के ठेके से अपार संपत्ति खड़ी की है , गांव पर एक कान्वेंट जैसा दिखने वाला स्कूल भी खोल रखा है RPM पब्लिक स्कूल ... स्वर्गीय पिता 'रगड़ू प्रसाद' के मेमोरियल के तौर पर । छेदी समाजशास्त्र से परास्नातक और उच्च कोटि के दलित विमर्शकार भी हैं , तमाम सेमिनारों में दलित चिंतन पर व्याख्यान भी दबाकर देते हैं ।
तीन साल पहले छेदी प्रसाद Husky नस्ल का एक puppy ले आये थे पैंतीस हजार में...नाम रखा है टाइगर । टाइगर जैसे जैसे बड़ा हुआ वैसे सरदर्द बनता गया... हस्की नस्ल के कुत्ते जबरदस्त एथलेटिक होते हैं , बर्फ पर स्लेज खींचने के काम में लाये जाते हैं । इनको पर्याप्त एक्सरसाइज न दी जाएँ तो चिड़चिड़े और आक्रामक हो जाते हैं । छेदी प्रसाद टाइगर को AC कमरे में सुला तो देते लेकिन अपनी विशालकाय तोंद के मद्देनजर उसे एकाध मील की दौड़ नही करा सकते थे.. और नौकरों के बस में टाइगर आता ही न था..।
आज सुबह टाइगर ने पुनः एक नवागंतुक सेवक के पिछवाड़े से सौ ग्राम मांस का टुकड़ा निकाल लिया... घर में हड़बोंग मची तो श्रीमती प्रसाद ने नौकर को एक महीने की तनख्वाह , पांच हजार चिकित्सकीय शुल्क और पंद्रह दिनों की मेडिकल लीव देकर गांव भेज दिया ।
छेदी को एक सेमिनार के लिये निकलना है..टाई की नॉट बांधते हुये मिस्टर प्रसाद से मिसेज प्रसाद ने एक प्रस्ताव फेंका - "ए जी..! क्यों न टाइगर को गांव भेज दिया जाएँ..? वहां रहेगा तो उसकी देखभाल ठीक से हो जायेगी..। Vet ने बोला भी था कि खुले माहौल में रहेगा, दौड़े-भागेगा तो उसका अग्रेशन भी कम हो जायेगा ... आखिर स्कूल पर स्टाफ हैं न देखभाल करने को ..!"
छेदी प्रसाद ने गंभीरता से पत्नी को समझाईश दी - "गाँव पर खुले में घूमेगा.. आवारा कुत्तों की संगति में आवारा बनेगा... खुजेली कुतियों के साथ मेटिंग करेगा...। क्या हमने आजतक उसपर लाखों रूपये इसलिए खर्च किये हैं कि गाँवो में हस्की नस्ल के पिल्ले घूमते फिरें..? जरा सोचो..! "
पत्नी के ज्ञान चक्षु तत्काल खुल गये.. "नो नेवर... हमारे टाइगर के पप्पीज गांव की गलियों में नही घूमेंगे... आखिर हमारा टाइगर वर्ल्ड की टॉप की ब्रीड का ओरिजिनल डॉगी है .। "
सेमिनार में छेदी प्रसाद बोल रहे हैं - "सारी अगड़ी जातियां दलित चिंतन के नाम पर धोखा दे रही हैं...। क्या वाकई में कोई अगड़ी जाति का दलित हितचिंतक है जो अपने बेटे की शादी किसी दलित परिवार की बेटी से करने की हिम्मत करके दिखाये..?"
अतुल शुक्ला
गोरखपुर
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