अथ श्री दिल कथा.........इं प्रदीप शुक्ला
BY Suryakant Pathak26 Jun 2017 5:00 AM GMT

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Suryakant Pathak26 Jun 2017 5:00 AM GMT
देखिये, प्राचीन काल से ही लोगों को इस बात की बड़ी तकलीफ, बड़ी समस्या रही है कि,.. "काश कई सारे दिल होते मनुष्य के पास !!" ये समस्या इतनी बड़ी है कि,.. हर इंसान अपनी जवानी में इस बात पर, कम से कम एक बार तो, दुःख अवश्य व्यक्त कर लेता है !!
अच्छा और ये समस्या विश्वव्यापी है, या यूँ कहें कि विश्वातीत भी है !! इस बात को हम इस तरह से भी समझ सकते हैं, कि ये समस्या स्त्रीलिंग और पुल्लिंग का भी विभेद नहीं करती है, एक लाइन से सभी ही समस्या से दो-चार हुए ही होते हैं !!... तो अब आप ये समझ ही चुके हैं कि,.. ये एक बड़ी ही विकट समस्या है !!
(वैसे कुछ महान लोग तो किडनी और लीवर की सीमित संख्या की समस्या पर भी दुखी होते हैं, पर हम आज सिर्फ दिल की बात करेंगे !!)
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तो,.. लोगों की इस महान व्यथा को हमने बचपन में ही महसूसिया लिया था !! फिर हमने कड़ी, कठोर, घनघोर तपस्या किया (ये नहीं बताऊंगा कि किसकी तपस्या किया), और कई सारे दिल प्राप्त किया !! मने एक क्या, कितने भी हमारे दिल टूट जाएँ, दो चार दिन में ही नया उग ही आता है !! और हम फिर से पल्लवित और प्रफुल्लित हो जाते हैं !! यही हमारी सुख, शांति और प्रसन्नता का आधार है !!
नहीं तो हमहूँ आप जईसे साधारण मानवों की तरह, या तो ये गा रहे होते कि ,..."ऐ काश कहीं ऐसा होता, कि दो दिल होते सीने में!! एक टूट भी जाता इश्क में तो, तकलीफ ना होती जीने में!"
या फिर गोपियों की तरह उधो के सामने ये विरह गीत गा गा कर दुखी होते कि,...
"उधो, मन ना भये दस बीस,
एक हुतो सो गए फलाने संग,
को अवराधे ईश्,
उधो, मन ना भये दस बीस"
सो हे मितरों, दिल टूटने का गम ना किया करो !! हमरी तरह थोड़ी तपस्या कर लो,.. फिर मस्त रहो,.. लेकिन तनिक व्यस्त भी रहा करो!!
जन साधारण की भलाई के लिए, इस तपस्या का विलुप्त और अत्यंत ही गुप्त मन्त्र आपको दे दे रहा हूँ जो इस प्रकार है,.. "शुकुलम शरणम गच्छामि"
ये इकहरा मन्त्र दुहराया करें जब भी मौका मिले, किरपा भाग के आएगी,..
इं प्रदीप शुक्ला
गोरखपुर
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