"मन के बात"
BY Suryakant Pathak27 Jun 2017 8:41 AM GMT

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Suryakant Pathak27 Jun 2017 8:41 AM GMT
नेता जी से केहु पूछ दिहल उनका मन के बात।
कहले जीवन भर कुर्सी और नोटन के बरसात।।
सरकारी कर्मचारी से जब पूछाईल मन के बात।
चौगुना बढे सैलरी, साइड में घुस के सौगात।।
वकील साहब भी बतवले अपना मन के बात।
खेती बारी के लफड़ा झगड़ा होत रहे दिन रात।।
बुखार, खोखी- दामा ना भागे, टूटे केहु के दांत।
डॉक्टर बाबू कहले इहे बा हमरा मन के बात।।
अंतिम सांस ले लड़ी, दी देश के दुश्मन के मात।
देश के सैनिक के रहे बस अतने मन के बात।।
खूब मिले वाहवाही औरी रहे भोजपुरी लिखात।
"राजू" कवि बतवले इहे बा उनका मन के बात।।
धनंजय तिवारी
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