लघु कहानी - "राजनीति"
BY Suryakant Pathak29 Jun 2017 5:56 AM GMT

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Suryakant Pathak29 Jun 2017 5:56 AM GMT
परमन पुर नामक जनपद उत्तर प्रदेश में अपने अपराधिक कारनामों के लिए प्रसिद्ध है ।यहां लगभग ढाई दशक से दो माफिया,शादाब अहमद और संदेश सिंह के बीच आपस में वर्चस्व की लडाई होती रही है एवं अभी तक दोनो तरफ के सैकड़ों लोग भगवान के प्यारे हो चुके हैं,बहुत लोग दिव्यांग होकर जीते जी मर चुके हैं ।
अक्सर दोनों माफिया राजनीति में भी अपना-अपना भाग्य आजमा चुके हैं, :कभी सांसद बनने के लिए तो कभी विधायक बनने के लिए ।
शादाब दो बार विधायक बन चुका है तो संघर्ष एक बार सांसद ।
उस जनपद की जनता अपने-अपने रहनुमा का चारण भाट की तरह न केवल प्रशंसा बल्कि विरोध में बोलने वालों का जान तक लेने पर उतारू हो जाती है ।
जिसका एक झलक आप सभी पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करने का मैं दुस्साहस कर रहा हूँ ।
भुवन-"मालिक! शादाब के लोग आजकल सीना ताने घुम रहे हैं ।अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में संघर्ष सिंह को कोई नहीं जानेगा ।आप जीते जी इतिहास बन जायेंगे ।"
संघर्ष सिंह -"क्या ? यदि ऐसा है तो उसके गैंग के दो-चार लोगों को टपकवा दो ।नहीं तो यदि मेरा प्रभाव कम हो जाएगा तो आने वाले विधानसभा चुनाव मेरे हाथ से निकल कर शादाब के हाथ में चला जाएगा ।पता चला है कि शादाब का काफिला नेशनल हाईवे से करीब तीन बजे गुजरने वाला है ।अपने आदमियों को लेकर जाओ और हमला कर दो ।"
अपने मूँछों को ऐंठते हुए व चेहरे पर कुटिल मुस्कान लिए संघर्ष सिंह सामने टेबल पर रखा शराब का गिलास अपने मुँह से लगा लिया ।
भुवन-"जो हुक्म मालिक ।" यह कहकर भुवन वहां से चला गया ।"
अगले दिन न्यूज पेपर का हेडलाइन था ।
"गैंगवार में शादाब के चार गुर्गे मारे गए ।पुलिस की शक की सुई संघर्ष सिंह पर ।"
-"शाबाश भुवन !"न्यूज पेपर को पढ़कर टेबल पर फेंकते हुए संघर्ष ने भुवन को गले लगा लिया ।"
- "यह तो मेरा फर्ज है मालिक ।अब मुझे बचा लिजिए ।मुझे बहुत डर लग रहा है ।"संघर्ष सिंह का पैर पकड़ते हुए भुवन गिडगिडाने लगा ।
-"मैंने मुख्यमंत्री से बात कर लिया है ।तुमको कुछ दिन के लिए जेल जाना पडेगा ।वहां तुमको सारी सुविधाएं मिलेंगी ।बस थोड़े ही दिनों में मैं तुम्हारा बेल करवा दूँगा ।" भुवन को ढांढस बंधाते हुए संघर्ष सिंह ने उसका पीठ थपथपाया ।
अगले ही दिन भुवन ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया ।
दिन,महिने व साल गुजरते गए ।जेल में भुवन का बेल करवाना तो दुर संघर्ष सिंह के आदमी उसका हाल -चाल भी लेने नहीं गये । इधर संघर्ष सिंह के गैंग में युवा अपराधियों की फौज खड़ी हो गयी ।इसलिए इसको भुवन की कमी नहीं महसूस होता था ।
-"तुम दोनो जाकर आज मालिक से मेरी रिहाई की बात करो न ।" अपनी बेटी और पत्नी से भुवन ने यह बात तब बोला जब वह अपनी मां के साथ भुवन से मिलने जेल गयी थी ।
-"ठीक है ।"आज शाम को हम दोनो जाएंगे ।
रात का खाना खाने के बाद भुवन की पत्नी और बेटी जैसे ही संघर्ष सिंह के बैठका में पहुँचे।दोनों की आँखे फटी की फटी रह गयीं।वहां इन दोनों ने देखा कि शादाब अहमद और संघर्ष सिंह एक साथ बैठकर शराब पी रहे थे ।
-"तुम दोनो यहां क्या करने आयी हो?" दमदार आवाज में संघर्ष सिंह ने बोला ।
-"मालिक भुवन को जेल से निकलवा दीजिए ।हमारे खाने को लाले पड़े हैं ।"हाथ जोड़कर भुवन की पत्नी संघर्ष सिंह से विनती करने लगी ।पास में खड़ी उसकी बेटी का अश्रुधार मानो रूकने का नाम नही ले रहे थे ।
-"ये मां-बेटी तो देखने में रसदार हैं रे संघर्षवा "
अपनी आंखो में वासना लिए शादाब ने संघर्ष से बोला ।
-"हा हा हा ।
आओ हम दोनो अपने जिस्म का भूख मिटाते हैं ।" दोनो राक्षसों ने पूरी रात अपना मुँह काला किया ।
सुबह लुटे -पीटे ये भुवन के पास गये और रो रोकर आप बीती सारी घटना बताए।
यह सुनकर भुवन को बहुत तकलीफ हुई ।और उसने संघर्ष सिंह को मारने का प्रण लिया ।
एक दिन न्यूज पेपर में उसके जेल से पेशी के दौरान फरार का खबर छपा और उसके कुछ ही दिन बाद उसके द्वारा संघर्ष और शादाब के मारे जाने का खबर छपा और स्वयं सरेंडर कर जेल गया ।जरायम की दुनिया मे उस जिले अब भुवन का नाम प्रसिद्ध है ।पिछला विधानसभा चुनाव
जीतकर विधायक भी है ।
नीरज मिश्रा
बलिया उत्तर प्रदेश ।
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