हास्य लघु कहानी (इश्क वाला लभ)
BY Suryakant Pathak4 July 2017 1:19 PM GMT

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Suryakant Pathak4 July 2017 1:19 PM GMT
सेक्रेटरी -"अब सो जाओ डार्लिंग ।"
अरविंद -"नहीं ।पहले एक गाना सुनाओ न ।"
सेक्रेटरी -"आफिस में तो पूरे दिन सुनते ही रहते हो ।"
अरविंद -"ओ प्लीज ।सुनाओ न"
-"हेताना राती के का घुसुर फुसुर होता जी टेलीफूनवा प ?"
Arvind Kumar Singh अचानक चौंक गये और रजाई से मुँह बाहर निकाल कर इधर-उधर देखने लगे ।सामने हाथ मे दूध का गिलास लिए हुए बीबी से बहाना बनाते हुए हकलाते हुए बोले
-"एएएएएएअर टटटटटटेल कस्टमर केयर वाली से ।हामार नोकिया 1108 मोबाइलवा हैंग होगईल बा नू ।"
उनके और उनकी आफिस सेक्रेटरी के फोन पर हो रही बात-चीत को सुनकर अरबिन बो भउजी दो सौ पचीस डेसीबल तक के आवाज में डांटी।
देर रात को अपने पति को किसी दूसरे औरत से टेलिफोन पर बातचीत को सुन कोई भी पतिव्रता पत्नी के लिए गुस्सा करना सौ प्रतिशत जायज है ।
अरबिन बो भउजी पतिव्रता की पूरी परिभाषा थी ।
अरबिन बो भउजी सुबह-सुबह उठकर अपने पति का पैर छूती तत्पश्चात चाय बनाकर परोसती एवं अरबिन भइया के खाने के बाद ही अन्न ग्रहण करती थीं।पति के आफिस जाने के बाद भी वो फोन से हाल-चाल लिया करती थी ।मगर जन्म से ही करेकटर ढील कुमार अरविन्द पैदा होते ही नर्स तक को भी आँख मारना नहीं भूले थे ।मौका मिलते ही चौका मारना उनके आदत में शुमार था ।स्कूल से लेकर कालेज के दिनों तक उनको कोई किशन कन्हैया तो कोई लभ गुरू जैसे सम्मानजनक उपनाम से विभूषित किया करता था ।
नौकरी लगने के बाद उनका अफेयर उनकी सेक्रटरी से हो गया ।फिर दोनो का प्रेम कब परवान चढ़ गया किसी को कानोकान खबर तक नहीं हुई ।लेकिन कहते हैं न
'खैर,खून,खाँसी खुशी,प्रीति,मोह मदपान,।
रहिमन दाबे ना दबे जाने सकल जहान ।।'
सेक्रेटरी के प्यार में पागल अरविंद रात की नींद से लेकर और दिन का चैन तक भूल गये थे ।एक दिन ये आफिस बिना लंच बॉक्स लिए ही चले गये ।अपने पति का लंचबाक्स लेकर जैसे ही भउजी इनके आफिस पहुंची वहां का नजारा देख भउजी का भेजा गरम हो गया ।भउजी ने देखा कि उनके पति अपने सेक्रेटरी को अपने हाथो से खाना खिला रहे थे और सेक्रेटरी मधुर गीत गुनगुना रही थी -
'तुम मगर साथ देने का वादा करो, मैं यूं ही मस्त नगमे सुनाता रहूँ ।'
इतना देखते ही भउजी लंच बॉक्स को अरिबन सिंह के सर पर और पानी का बोतल सेक्रेटरी के सर पर दे मारी ।
नीरज मिश्रा
बलिया ।
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