गांव की दिवाली :
BY Anonymous17 Oct 2017 9:16 AM GMT

X
Anonymous17 Oct 2017 9:16 AM GMT
दिवाली की बहार है घुरहुवा लोधियाना से कमा के आया है अब घुरूहुवा के पास पईसा है बीड़ी नही पीता फिल्टर वाली सिगरेट पीता है मेहरारू के लिये लाल साड़ी पायल लाया है जेका पहन के उ हेमामालिनी जैसे लगेगी साली को आज मेला दिखाने ले जायेगा -वाट्सप पे फुचका खिलाते हुये प्रोफाइल डालेगा -अब घुरहुवा समझदार हो गया है खेसारी लाल यादव का गाना डाउनलोड करवाके वाकमैन पे सुनेगा -पैसा खर्चा उ करे गाना सब सुने ई नही चलेगा !!
विक्रम यादो सुबह से सब पंडि जी लोगन के दरवाजे पे टहल आये है उनके भैस का दूध पी के सब पण्डिते देह बनाये घुमत है पर पैसा देने में ना नुकुर लगाते है दूनो लरिके मिलेक्ट्री में है पर उ भी नही पैसा भेजे त्योहार पे आर्केस्टा करवाना है पैसा कहा से दे समझ नही आ रहा है बाबा दादा के जमाने से चली आ रही परम्परा को तोड़ना भी ठीक न लग रहा है मन मारके तीरथ यादो को पड़िया बेचने के लिये बुलाये है --त्योहार पे अपने लिये न सही पर नाती पोतों मेहरारू पतोह के लिये तो कपड़ा बनवाना ही पड़ेगा !!
झिनकू सिंह बाबू दरवाजे पे बैठे है पुरखो की बनाई हवेली पे चूना लगवाना है सरकार क्रेडिड कार्ड का पैसा माफ कर दी तो बैंक से दुबारा कर्जा मिल गया है बेटे को लेकर निकलवाने गये तो जिद करके नयी मोटरसाइकिल के लिये भी पैसा निकालना पड़ा जवान बेटा 3 दिन से बिना खाये पिये अनशन पे पड़ा था --गाड़ी भी आ गयी है घर की रंगाई पुताई भी हो रही है दिये झालर भी जलेंगे पर बैंक को पैसा कैसे वापस होगा सोच के आंखों के आगे अंधेरा छा रहा है !!
गांव के ज्यादातर लड़के जो हॉस्टलों में पड़े थे आ गये है टीशर्ट्स जीन्स में जान अब्राहम लग रहे है पैलगी जयराम बोलने में शर्म आती है गुड मॉर्निंग ब्रो कहते है गुटखे पान की जगह बियर सिगरेट ने ले ली है !!
बब्बन पाड़े को अलग चिंता दाबे है सबेरे खलिहान में फुलमतिया और एकलौता बेटा दिनेश आधा उघार दिख गये थे कर्मकांडी पन्डित का बेटा मुसहर की बेटी के साथ --समाज मे बात फैल गयी तो विरादरी से बाहर होना तय है जिस यजमानी से घर चलता है वो भी बन्द हो जायेगी कोई पैलगी न करेगा -एक अनजाना सा भय सता रहा है !!
सबसे खुश लालमतिया है रामऔध उसको अबकी शहर ले जायेगा बेटा बहूं के साथ रहेगी गाजियाबाद में --इच्छा तो थी कि जब भी अंतिम समय आये अपने अयोध्या की माटी में ये शरीर मिट्टी में मिले पर भगवान की मर्जी शायद यही है दीपावली पे ही राम की नगरी छोड़नी पड़ रही है ..कांपते हाथ से दिया जला रही है सुबह की गाड़ी से निकलना है -का पता दुबारा आना भी नसीब हो कि न हो !!
दीप सबको जलाना है खुशी सबको मनानी है पीछे गावों की आत्मा भी जल रही है पर सबको नजर नही आती है !!
दीपावली की अग्रिम शुभकामनाये सबको..!!
व्यास तिवारी
मुम्बई
Next Story