'धिया पूता' : छठि मइया पोता ना पोती के मुंह देखा द
भोजपुरिया सांस्कृति पुनर्जागरण 'पुरुआ' के बैनर तले और बुल्ला टॉकिज द्वारा निर्मित भोजपुरी शॉर्ट फिल्म धिया पूता को यू ट्यूब पर जारी कर दिया गया। बेटी, बेटा से अधिक सहृदय होती है। माता-पिता के एक बुलावे पर बेटी बिना तर्क-वितर्क किये आ जाती है जब कि बेटा को हमेशा समय की कमी होती है। इस फिल्म में बेटी पढाओ, बेटी बचाओ का संदेश भी है। लोक आस्था का पर्व छठ के माध्यम से इसे दर्शकों के बीच ले जाने का प्रयास किया गया है। इसे देखने के बाद दर्शक यह सोचने के लिए विवश जरूर होंगे कि आज के दौर में बेटे से अधिक बेटियां अपने माता-पिता की देखभाल करती हैं।
बेटा भले अच्छी पढ़ाई करने के देश-विदेश में नौकरी करने लगे और इतना व्यस्त हो जाये कि उले माता-पिता का ध्यान ही ना रहे । लेकिन बेटियां हमेशा भावनात्मक रूप से माता पिता से जुड़ी रहती हैं। तभी तो बेटा छठ पर्व में भी गांव आने से बचना चाहता है। बहू छु्ट्टी ना होने के नाम पर और आने जाने में अधिक खर्च होने के नाम पर मां को इग्नोर करती है। वहीं बेटी एक फोन पर मां के पास पहुंच जाती हैं।
राइटर- डायरेक्टर- अमित झा के निर्देशन में बनी इस फिल्म को सुधाकर स्नेह ने अपने मधुर संगीत से सजाया है। कुंदन सिंह और राजू उपाध्याय के गीत ने इस सिनेमा में चार चांद लगा दिये हैं। गीत के एक-एक बोल सोचने और गंभीर विमर्श करने को विवश करते हैं। सिनेमा की शुरूआत बूढ़ी काकी के आंगन से होती है। उनके दरवाजे पर बैठकर एक युवक गीत गा रहा होता है। गीत सुन काकी गुस्से से झाड़ू हाथों में लिए निकलती हैं और कहती हैं कि किसी दूसरे दरवाजे पर जाकर गाओ। सवेरे सवेरे तंग करने आ जाते हो। काकी की तबियत खराब देख वह युवक घर के भीतर से लाकर पानी पिलाता है और पूछता है।
काकी पोता का मुंह देखने के लिए तरस रही है। काकी कहती है कि इस बार छठ परमेश्वरी से वह पोता मांगेंगी। काकी उसी युवक के मोबाइल से बेटे को फोन करती है। बेटे-बहू की ओर से रिस्पांस नहीं मिलने के बाद वह युवक काकी के बेटी को फोन लगाता है और कहता है- काकी बेटे को फोन करके देख लिया अब बेटी को भी फोन करके देख लो ना। मां के एक कॉल पर बेटी-जमाय छठ पर्व में शामिल होने गांव आती है। धूम धाम से छठ की तैयारियां शुरू होती है।
उधर कुछ ऐसा होता है कि बेटा भी अपनी पत्नी के साथ अर्घ्य के समय अपने घर पहुंचता है। काकी मन ही मन खुशी से झूम उठती है और कहती है कि- छठि मैया पोता ना पोती मुंह देखा द। बताते चलें कि पुरुआ एक ऐसा मंच हैं जो भोजपुरी को सशक्त, समृद्ध सम्पन करने में लगा हुआ है। इस सिनेमा को यूट्यूब पर दर्शकों के लिए जारी कर दिया गया है।
कास्ट- सीमा विश्वास (बैंडिट क्वीन) सत्यकाम आनंद (गैंग्स ऑफ़ वासेपुर) राजू उपाध्याय, प्रकाश पंडित, मोना राय, विजय सोनी।
राइटर- डायरेक्टर- अमित झा
संगीत-सुधाकर स्नेह
गीत-कुंदन सिंह और राजू उपाध्याय
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