चश्मे का लेंस : व्यास तिवारी
BY Anonymous20 Jan 2018 7:22 AM GMT

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Anonymous20 Jan 2018 7:22 AM GMT
बद्री पांडे अपने कंकाल होते शरीर को देख रहे कितना अच्छा था बचपन जब इलाके के नामी पहलवान में गिनती होती थी पिताजी के आंख के तारे थे अम्मा भी सबसे ज्यादा उन्हें ही मानती थी पर वो मनहूस दिन जब पिताजी को कोई बस वाला साइड मार दिया सारी खुशियां निगल गया ...पिताजी महीनों अस्पताल में पड़े थे जर जमीन महाजन के पास गिरवी रखकर दवा कराई पर बचे नही ..मां रामदुलारी तो जैसे शून्य हो गयी ..घर परिवार की जिम्मेदारी आ पड़ी ..छोटा भाई केदार नाथ अभी इंजियंरिंग में अभी एडमिशन ही लिया था दो बहन शादी योग्य हो रही थी आमदनी का कोई साधन नही मुआवजे में जो कुछ पैसे मिले थे वो पिताजी के तेरहवीं आदि में खर्च हो गये पूरे परिवार पे विपत्ति सी आ पड़ी ..!!
कहते है बुरे वक्त में अपना साया भी साथ छोड़ देता है खानदान रिश्तेदारों ने भी साथ छोड़ दिया इंटरपास लड़के को कौन सी जॉब मिलती ?..बद्री पाण्डेय जो अब बुरे वक्त के कारण बदरिया पाड़े हो चुके थे कोई रास्ता न देख ऑटो चलाने लगे छोटे भाई केदारनाथ पाण्डेय पढ़ाई में लग गये फीस के पैसे समय पे पहुच जाते थे इधर बदरी पाड़े दिन रात ऑटो चलाते खाने पीने की सुध बुध छोड़ने के कारण स्वास्थ से कमजोर होते गये कुछ तो ड्राइवर लाइन में पड़ के हौके मौके नशा पत्ती भी करने लगे ..दोनों बहनें गुजरते वक्त के साथ इसकदर बढ़ने लगी ज्यो लता पुष्प बारिश में बढ़ते है देर रात जब बदरी घर लौटते तो अम्मा रामदुलारी खाना बना के इंतजार करती मिलती लाख कहते कि अम्मा तुम खांना खा लिया करो पर कहावत है न " माई कै जिव गाय कै " बिना बेटे को खिलाये खुद कैसे खा ले ..
कभी कभी अम्मा कहती रेखा मनीषा अब सयानी हो रही है तो बदरी पाड़े ठठा के हंस पड़ते - " क्या अम्मा तुमको मेरी बहने भार लगती है अरे केदारनाथ को इंजियंरिंग करके आने दो वो किसी कम्पनी में साहब होगा फिर दोनों बहनों की शादी धूम धाम से करूंगा राजकुमार जैसा दूल्हा खोजूंगा जहा जायेंगी राज करेंगी बहने मेरी "
दोनों बहनें लजा के कमरे में भाग जाती अम्मा बनावटी गुस्से में कहती -- हा हम ही तुम्हारे दुश्मन है जो अब तक तुम्हारे लिये रोटी सेंकने की सजा मिल रही है एक बहुरिया लाओ घर मे कुछ दिन नाती खिला ले तो हमको भी स्वर्ग मिले "
अच्छे दिन की कल्पना से दिन भर की थकान मिट जाती थी .!!
समय सबका बदलता है पांडे परिवार का भी बदला केदारनाथ पाण्डेय अच्छे नंम्बर से पास हुये कैम्पस सेलेक्शन में एक अमेरिकन कम्पनी में जॉब मिल गया कुछ पैसे भी एडवांस मिल गये बांड भरते ही ..बद्री पाण्डेय की छाती फिर चौड़ी हो गई पूरे गांव में खुशखबरी बांटी गई हमारा केदार अब अमेरिका जायेगा गांव भर को निमंत्रण दिया गया पूड़ी पकवान बने जितनी घर मे लकड़ी न जली उससे ज्यादा पड़ोसियों रिश्तेदारों के दिलो में ईर्ष्या की आग जली .!!
इधर केदारनाथ पांडे अब कुछ अलग हिसाब से रहने लगे है गोबर से लिपाई किया आंगन उन्हें बदबूदार लगने लगा है बचपन में जिस बड़े भाई के पेट पे एक पैर एक हाथ जब तक न रख लेते थे नीद नही आती थी उसको भइया बोलने के बजाय भाई साब कहना ज्यादा ठीक लगता है बहनों को बात बात में डांट देते है घर का खाना भी पसन्द नही आता दिन रात फोन पे लगे रहते है एक दिन रामदुलारी ने बद्री से कहा -बेटा केदार को क्या हुआ है कुछ बदला बदला सा रहता है लक्षण ठीक न लग रहे है !!
बद्री पाण्डेय हंस के बोले -- अम्मा तुम भी निरी पागल हो अपना केदार अब साहब बनने वाला है अफसरी तौर तरीके में न रहेगा तो लोग हसेंगे उसपे --जब टकटक अंग्रेजी बोलता है तो बिल किलन्टन जैसा लगता है
अम्मा - ई कौन है बेटा बिल्लकिलीनटिन ? गजब फुहड़ माई बाप थे उसके नाम भी रखना न जाने .!!
कल केदारनाथ को अमेरिका जाना है घर मे सब उदास है बेटा परदेश जा रहा है केदारनाथ खांना खाते वक्त मौका देख के अम्मा से बोले -- अम्मा भाई साहेब को बोलिये अपनी शादी कर ले ...मेरे साथ एक लड़की पढ़ती है जुली नाम हैउसे भी अमेरिका में जॉब मिल गयी है उसके डैडी शादी के लिये प्रेशर बनाये है एकलौती बेटी हैं उनकी ..सोच रहा हूं ग्रीन कार्ड मिलते ही कर लू डैडी की कोई देखभाल करने वाला नही है उन्हें भी उधर ही बुला लूंगा मुझे भी पिता का प्यार मिलने लगेगा लाइफ भी सेट हो जायेगी ..भैया की पहले हो जाती तो ठीक था न तो सोसायटी में लोग क्या कहेंगे ...जो जमीन गिरवी पड़ी है उसे बेच दीजिये महाजन के पैसे काट के जो बचेगा उसमे से मेरा हिस्सा भैया को बोलियेगा मेरे एकाउंट में डाल देंगे हा दोंनो बहनों के लिये एक एक अंगूठी उसी पैसे में से बनवा दीजियेगा ..मेरी तरफ से शादी में गिफ्ट समझ के ...मैं तो आ नही पाऊंगा सबकी फोटो भेजते रहियेगा ...अरे मैं भी कितना भुलक्कड़ हूं आपके लिये चश्मा लाया था आपकी नजर कमजोर है न ..लगा के देखिये बहुत दूर तक दिखेगा !!
राम दुलारी ने चश्मा केदार को पहनाते हुये रुंधे कंठ से कहा -- बेटा मेरी नजर अभी ठीक है तू पहन तेरी नजर कमजोर है जिसे राम जैसा बड़ा भाई नही दिख रहा घर की जिम्मेदारी न दिख रही है ...मेरी बूढ़ी आंखों ने जो नही देखना था वो भी देख लिया !!
केदारनाथ पांडेय ने झट से चश्मा उतार दिया जिम्मेदारी के लेंस वाले चश्मे ने उनकी आंखों को चुधियाना शुरू कर दिया था -!!
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