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भोजपुरी कहानिया

आ रहल बात देशभक्ति के, त देशभक्ति खाली बात बतियावला से होला?

आ रहल बात देशभक्ति के, त देशभक्ति खाली बात बतियावला से होला?
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सब भाई भतीजा नात नतकुर के टिकाधर मिसिर के राम राम, आ देश के गणतंत्र दिवश के शुभकामना। आज ई बड़ी खुशी के बात बा कि AARYA the school of excellence वाला सर्वेश मास्टर साहेब हमरा के एह तिरंगा झंडा के नीचे बोले के मौका देहले हं, भगवान उनकर बढ़न्ती करस।
का कहीं बबुवो, आजु के दिने सचहुँ करेजा दरियाव हो जाला। तू लोग त आजादी के लड़ाई के खाली किताब में कहानी पढले बाड़s लोग, बाकिर हम आँखि से देखले बानी। हम देखले बानी कि कइसे जवार के जवान देश खातिर आपन सब कुछ छोड़ के लड़ाई में कूद गइल रहलें। ढेर त ना, बाकिर बयालीस के आंदोलन में चकिया कोठी के अंग्रेजन के हाथे दू चार लाठी हमहुँ खइले रहनी, बाकिर एक महीना खातिर कोठी बन्द करा देहले रहनी सन। उ गज़ब के दिन रहे।
बाकिर ए बेटा, एह घरी के जमाना में जब कवनो अपना के हुसियार बुझे वाला गदहा देश के खिलाफ बात बतियावेल सन, त बड़ी दुःख होला। सुनले रहनी जे देश के सबसे बड़का इस्कूल में अपने देश के बर्बाद करे वाला नारा लगवले रहलन स। बड़ी दुःख होला बाबु ई कुल्ह सुन के,बाकिर एहिमे ओकनी के कवन दोष बा, ई त संस्कार के बात ह। गुलामी के दिन में भी सिंधिया खानदान जइसन गद्दार रहलन स, इहो ओकनिये के खून-बुन होइहन स। एकनी के बाप दादा बतवले रहित कि देश के आजादी खातिर कवन कवन लीला भइल रहे, तब नु एकनी का ओकर भाव बुझाइत। ई त बुझत होइहन स जे "दुका छुआ दरोगा हुआ" के तर्ज पर आजादी मिलल बा, जवन मन करी तवने बोल दिहल जाइ।
एगो अउरी नया चलन उपटल बा देश में, कि कुछ हुसियारका हर साल पन्द्रह अगस्त आ छब्बीस जनवरी के लोग के रिगावेलन स, कि खाली एकही दिन के देशभक्ति बा,लोग एक्के दिन देशभक्ति गीत गायी। भेंट होइत त पूछतीं कि रे ससुरा, ते का बारहो महीना झंडे फहरावेले आ गीत गावेले? असल में ई कुल्ह बतकट हवन स, हर बात में फ़ीस काढ़े वाला। काम ना धंधा, पादेके ठंढा। आरे भारत त एगो अइसन देश ह जहवाँ हर मौसम आ हर परब के गीत गावल जाला। बियाह के, तिलक के, पूजा के, छठ के, चौथ के, रोपनी के, सोहनी के, फागुन के, चइत के, सावन के, भादो के... ओहि तरे देश के परब के गीत बा, उ परब के दिने ना त का बारहो महीना गावल जाइ? रे केहू भादो मे चैता गावे त लोग का कही?
आ रहल बात देशभक्ति के, त देशभक्ति खाली बात बतियावला से होला? अरे देशभक्ति त ई ह कि आदमी कहीं रहो, अपना देश अपना माटी से प्रेम करत रहो। कवनो जरुरी थोड़े बा, जे आदमी दिन भर भारत माता के जयकारा लगावत रहो?
आरे महतारी कहीं अपना बेटा के बांध के राखेले? महतारी त तब खुश होले जब ओकर बेटा खुश रहो।
अब काल्ह के ही त बात ह, हथुआं वाला सुधीर के बेकतिया के देखुइं, गोपालगंज के बड़का मॉल में समान किनत रहुए। नवका दू हजरिया नोट त अइसे बिगत रहुए जइसे ठींकडा होखो। गर्दनवा में आठ दस भर के अंगूठा जइसन मोट सेल्ही पहिरले रहुवीं। ओकरा के देख के सचहुँ करेजा जुड़ा गउवे, भगवान ओकर सोहाग बनवले राखस। जानs तारs बाबु, सुधीर आज साल भर से विदेश बाड़न। अगर उहो महतारी के सेवा करे खातिर गांवही रहि जयितें, त का एतना सुख चैन रहित? आरे माइ बाबूजी त हमेशा ई चाहेलें कि बेटा कहीं रहो सुखी संपन्न रहो।
ओइसहीं धरती माई भी चाहेली कि उनकर बेटा कहीं रहो खुश रहो। उ ई ना चाहेली कि उनकर बेटा भीख मांगों आ उनकर जयकारा लगाओ। भारत माता त एतने पर खुश होइहन कि उनकर बेटा आजुओ उनकर परब धूमधाम से मनावेलन स। उनकर लड़िका जेतने आगे बढिहें उ ओतने खुश होइहें।
त बबुआ हम त आजु के दिने इहे कहब कि खूब मेहनत करs लोग, खूब बढ़न्ती करs लोग, आपन माथ ऊंच करs लोग, तबे देश में माथ ऊंच होइ। आ कवनो बेहूदा आदमी देश के साथे गद्दारी पर गोड़ बढ़ावे त ओकर मुह थुरे में तनिको सँकोच मत करिह लोग।
ढेर का कहीं, तहरा लोग के बहुत बहुत आशीर्वाद।
माई भारती के धुजा लहरत रहो......

टिकाधर मिसिर,
भारत के कवनो राज्य के कवनो जिला से...

सौजन्य से मोतीझील वाले बाबा
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