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भोजपुरी कहानिया

कृष्ण कौन है....

कृष्ण कौन है....
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दरबारी शोर है..थाप कठोर है... घुंघरू अधीन है...इतिहास नृत्य में लीन है...मति बाधित है...दृश्य साधित है...दिशाएं क्रंदित हैं....शांति भंजित है....शक्ति दुराचार है...रक्त ही व्यापार है ।

निराशा सत्य है....पापी अमात्य है....घिर चुका चाँद है...बादलों का बांध है...ये कैसी साँझ है.?? उम्मीद से जो बाँझ हैं...चेतन अबूझ है...मद की जो गूंज है ...काम विचार है...क्रोध संचार है...शंकित संसार है ।

मृग आकुल है...सिंह व्याकुल है...कस्तूरी मृत है....गंध चित है...जंगल सुन्न हैं...शीत खून है....पस्त धुन है ....जलन की प्यास है...मोहब्बत उदास है...धर्म चुप है...सौदर्य रूप है ।

दुःसाहस न्याय है....समर्थ आय है....सामना शक्ति है....तारीफ़ भक्ति है...क्रूरता चरम है....दरियादिली भरम है...शासन अचल है...शासक खल है...कृष्ण कौन है...? पार्थ मौन है...बात मर्ज है...दर्द की तर्ज है ।।

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संदीप तिवारी 'अनगढ़'
"आरा"
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