अहिंसा........आदर्श राय
BY Anonymous5 Feb 2018 11:28 AM GMT

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Anonymous5 Feb 2018 11:28 AM GMT
जिस धरती पर आतंकी बन लोकप्रतिनिधि घूम रहे
जिस धरती के आका आतंकवादियों के चरण हैं चूम रहे
जहां खौफ के साए को मानी जाती आज़ादी हो
ऐसे बेचारे मुल्क की कैसे न बर्बादी हो
जेहादी कानून जहां पर जहां हुकूमत श्वान बने
जहां भेड़ बकरियों की तरह मासूमों की जान बने
ऐसे झूठे लोगों से तुम रखते झूठी अभिलाषा
कहां कौरवों ने थी मानी शांति सुलह की भाषा
तुम पृथ्वी के स्वर्ग में विष के बीज यूँ ही बो जाओगे
तुम झूठे मज़हब के नाम पर जेहाद मचाओगे
गाँधीवादी बनकर के न समर विजय मिल सकती है रणभूमि बस रही उसीकी जिसके हाथों में शक्ति है
इसीलिए पथराव छोड़कर अपना जीवन बचा लो तुम भारत माता के टुकड़ों के सारे अरमान मिटा लो तुम
कहां निशा से हार सकी है बोलो प्रातः की लाली
चाहे कितनी ही क्यों न रात हुई हो वो काली
पत्थर वाले गालों पर थप्पड़ हम भी बेशक जड़ते
पर इतिहास है कहता ये चूहों से शेर नहीं लड़ते
एक गर्जना कर दो अब बस अंतिम एक प्रहार करो
भारत मां की जय जो न बोले अब उस पर धिक्कार करो
हर हर महादेव
-आदर्श राय
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