नारी शक्ति.... आदर्श राय
BY Anonymous18 Feb 2018 1:22 AM GMT
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Anonymous18 Feb 2018 1:22 AM GMT
नारी बिन संसार अधूरा
शृष्टि का श्रृंगार अधूरा
नारी बिन कल्पना करो तुम
क्या संसार को पाओगे
झरनों में माधुर्य है सूना
सूरज में लाली है सूनी
बस ये सूनापन ही तो तुम
इक अपने संग पाओगे
क्यों कृत्य करो ऐसे जो
मानवता पर लांछन हो
नारी की तुम करो आदर
आदर उसको अपने सम दो
वो ज्वाला बन सकती है
वो तूफां बन सकती है
इक क्षण यदि वो पानी है
पाषाण भी वो बन सकती है
उसको समझो न सुकुमार
वो झांसी वाली रानी है
वो ही है अनुसूइया का तेज
वो ही संघर्षों की कहानी है
मातृत्व धर्म के पालन हेतु
कोमल शय्या बन जाती है
अपने बेटे की चाह हेतु
बच्चा मैया बन जाती है
जो तनिक ताप लग गइ पुत्र को
तो वो ठंडी बन जाती है
यदि कोई खतरा पुत्र पर आए
माता चंडी बन जाती है
यदि पतिव्रता की बात कहो
सती वो है वो ही अनुसूया है
इस नारी शक्ति के आगे
दंडवत शीश मैं नवाता रहूँ
मन में आती है यही बात
बस इनके गुण ही मैं गाता रहूँ
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