मैं महुआ सी मादकता लिए गुड़ सा गमक रहा हूँ
BY Anonymous23 March 2018 1:22 PM GMT

X
Anonymous23 March 2018 1:22 PM GMT
बैशाख जानता है कि टपकने को तैयार महुआ के खेप से भरे पेड़ों को देख कर कैसा लगता है। कल्हुआड़ से निकलती गुड़ की सोंधी महक कैसे मदमत्त कर देती है, यह ऊँख की खेती करने वाला किसान ही बताएगा। बिरजभार के पाठ में जब फुलफुर की डायन बहिनिया फुलिया-फुलेसरी बिरजभार को जादू से सुग्गा बना कर कैद कर लेती हैं, तब बिलखती सती हेवन्ती को देख कर कलेजे में कैसी आँधी उठती है, यह कोई सरल हृदय वाला ठेंठ देहाती ही बता पायेगा।
पर मैं बता सकता हूँ कि आसमान में उड़ना किसे कहते हैं।
डेढ़ सौ फोन, हजार इनबॉक्स मैसेज और हजार पोस्ट्स! अधिकांश का तो उत्तर भी नहीं दे पाया, उन सभी मित्रों से क्षमा याचना के साथ बहुत बहुत धन्यवाद।
मैं महुआ सी मादकता लिए गुड़ सा गमक रहा हूँ। आपने इस देहाती को जो स्नेह दिया है, उसका सुख रानी सारंगा की कहानी से भी से भी अधिक है। नतमस्तक हूँ आप सब के समक्ष...
आभार फेसबुक! तुम न होते तो कुछ न होता।मुझसे पहले जाने कितने अच्छे लेखक आये और अंधेरे में ही खो गए। वो तुम ही थे जिसने हम जैसों को मंच दिया। एक धन्यवाद तुम्हें भी....
आपका, सर्वेश!
Next Story