Janta Ki Awaz
राष्ट्रीय

इस मैजिक मशीन ने बचाए 10 हजार करोड़

इस मैजिक मशीन ने बचाए 10 हजार करोड़
X

नई दिल्ली: एक ऐसी मशीन जिसने देश के दस हजार करोड़ रुपये बचा लिए हैं. इस मशीन का नाम 'Electronic Point-of-Sale Machine' यानी e-PoS है. ये मशीन राशन की दुकानों पर लगी है. जिससे फर्जी और डुप्लीकेट राशन कार्ड बंद हो गए हैं. राजस्थान में करीब करीब सभी 28 हजार राशन की दुकानों पर ऐसी बायोमैट्रिक मशीनें लगाई गयी हैं.

राजस्थान में लगीं e-PoS मशीन

राजस्थान के टोंक शहर में राशन की दुकान के आगे बहुत भीड़ जुटती है. इसमें छह बच्चों की मां शबाना भी शामिल है. शबाना की अंगुलियों की छाप को ये मशीन नहीं पकड़ पाती है और शबाना को राशन से महरुम होना पड़ता है.

यही हाल अलवर की मनभरी का है. 85 साल की मनभरी को सहारा लेकर राशन की दुकान पर आना पड़ता है. मनभरी विधवा है और घर में दूसरा कोई नहीं है. मनभरी की अंगुलियों को मशीन पहचान नहीं पाती है.

मशीन के जरिए राशन लेने में उपभोक्ताओं हो रही है परेशानी

अन्त्योदय यानि गरीबों की कतार में सबसे अंत में खड़ी मनभरी पर राशन डीलर को तरस आता है, वो उनके हाथ धुलवाते हैं ताकि मशीन किसी एक अंगुली की पहचान कर ले और मनभरी को राशन मिल सके लेकिन मशीन टस से मस नहीं होती.

कैसे काम करती है e-PoS मशीन

राजस्थान में करीब करीब सभी 28 हजार राशन की दुकानों पर ऐसी बायोमैट्रिक मशीनें लगाई गयी हैं. इसमें पहले राशन कार्ड का नंबर और फिर आधार नंबर फीड करना पड़ता है. पहले चरण में मशीन इस का मिलान करती है और फिर राशन कार्ड धारक को अंगुली की छाप का मिलान मशीन करती है. राशन कार्ड पर जितने भी लोगों के नाम दर्ज हैं और अगर उनके पास आधार कार्ड है तो वो अंगूठे की पहचान करवा राशन ले सकता है लेकिन समस्या मनभरी जैसे एकल बुजुर्गों की हैं.

स्थानीय निवासी तरुण अरोड़ा के अंगूठे की पहचान मशीन ने की है. वो खुश हैं. दो मिनट में ही राशन मिल गया. टोंक के जहूर भी खुश हैं कि अब राशन डीलरों की कालाबाजारी रुक सकेगी.

मोदी सरकार का दावा है कि नई तकनीक के बाद एक करोड़ 62 लाख के नाम पर दस हजार करोड़ का फायदा हुआ है.

सरकार को भले ही करोड़ों की बचत हो रही हो लेकिन सैंकड़ों वो जरुरतमंद लोग परेशान हैं जो सस्ते राशन के असली अर्थ में हकदार हैं. एक सर्वे के अनुसार 25 फीसदी जरुरतमंद यानि हर चौथे को ऐसी ही किसी तकनीकी खामी को झेलना पड़ रहा है. स्वंय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हाल ही में कहा था कि नई तकनीक को पूरी तरह से आजमाने और कमियां दूर होने के बाद ही उसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाना चाहिए ताकि एक भी जरुरतमंद सब्सिडी से वंचित नहीं रह जाए. लेकिन टोंक में हमें कई ऐसे ही लोग मिले जो गलत जानकारी की फीडिंग या फिर सर्वर डाउन होने के कारण तीन-तीन चार-चार दिन राशन की दुकानों के चक्कर काटने को मजबूर थे.

मशीन को मोबाइल से जोड़ा गया

लेकिन राजस्थान सरकार का कहना है कि सर्वर डाउन होने का तोड़ निकाला गया है. यहीं स्थानीय निवासी राजेन्द्र प्रसाद जिनकी माताजी की अंगुलियों की छाप नहीं मिलती थी लिहाजा मोबाइल से इसे जोड़ दिया गया है. इस विकल्प का लाभ मनभरी को भी हुआ है. लेकिन हर कोई मोबाइल नहीं खरीद सकता.

मशीन के बाद भी नहीं लगी भ्रष्टाचार पर रोक

एक दूसरी समस्या स्वयं मशीनों को लेकर है. राशन डीलरों का कहना है कि उनसे दस रुपये प्रति क्विंटल ईएमआई के और सात रुपये रखरखाव के लिए लिए जाते हैं लेकिन मशीन के खराब होने की सूरत में जेब से पैसा लगाना पड़ता है. एक अन्य समस्या ये है कि किसी ने किसी महीने राशन नहीं लिया तो उसके हिस्से का राशन लैप्स हो जाता है. यकीनन राशन डीलरों पर शिकंजा कसा गया है लेकिन गोदाम से राशन के दुकान के बीच अनाज कहां गायब हो जाता है उस भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है.

सरकार ने मार्च 2019 तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा

राजस्थान में तो करीब करीब सभी राशन की दुकानों पर ई पोस मशीने शुरु हो गयी हैं. लेकिन देश भर में अभी बहुत काम होना बाकी है. देश भर में करीब सवा पांच लाख राशन की दुकानें हैं लेकिन अभी तक सिर्फ सवा लाख को ही बायोमेट्रिक तकनीक से जोड़ा गया है. इसी तरह देश में 23 करोड़ राशन कार्ड धारक हैं लेकिन 56 फीसद को ही आधार के साथ जोड़ा गया है. सरकार ने मार्च 2019 तक ये काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

Next Story
Share it