बॉर्डर पर जारी गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान पर भारत-चीन सहमत
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नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले 1 महीने से जारी गतिरोध को खत्म करने के प्रयास में शनिवार यानी 6 जून को दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता हुई। इस बातचीत पर अब विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता सौहार्दपूर्ण एवं शांतिपूर्ण माहौल में हुई। दोनों पक्ष द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक सीमाई इलाकों में स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान पर सहमत हुए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति आवश्यक है।
मंत्रालय की तरफ से कहा गया, 'सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति का हल निकालने और शांति सुनिश्चित करने और लिए दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक तौर पर जुड़े रहेंगे। दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्वक हल निकालने के लिए सहमत हुए हैं, ये फैसला विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों और नेताओं के बीच हुए समझौते को ध्यान में रखते हुए लिया गया है कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।' विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने माना कि इस साल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ है और वे इस पर राजी हुए कि इस मसले के तत्काल समाधान से संबंधों का और विकास होगा।
The two sides will continue the military&diplomatic engagements to resolve the situation & to ensure peace and tranquillity in the border areas: Ministry of External Affairs on the meeting held between Corps Commander based in Leh & Chinese Commander y'day in Chushul-Moldo region pic.twitter.com/8PJcwIDo20
— ANI (@ANI) June 7, 2020
6 जून को हुई सैन्य वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिले के कमांडर कर रहे थे। सूत्रों ने कहा कि दोनों सेनाओं में स्थानीय कमांडरों के स्तर पर 12 दौर की बातचीत तथा मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत के बाद कोई ठोस नतीजा नहीं निकलने पर शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर बातचीत हुई। समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी, पैंगोंग सो और गोगरा में यथास्थिति की पुन:बहाली के लिए दबाव बनाया।