व्यंग : मैं पानी क्योंकि चंदन तो प्रभू जी हैं...अजीत भारती
BY Suryakant Pathak17 May 2017 12:35 AM GMT

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Suryakant Pathak17 May 2017 12:35 AM GMT
प्रिय सुरेश प्रभु जी, यू सक!
नमस्कार,
मैं पानी क्योंकि चंदन तो प्रभू जी हैं।
मुझे लगता है भारतीय रेल व्यवस्था ट्विटर पर ट्वीट के रेस्पॉन्स देने से ज़्यादा महीन बात है। सर्दी में कन्नी काट लेते हैं कि फॉग है तो ट्रेन लेट चल रही है। गर्मी में क्या चल रहा है कि आपकी ट्रेन होलसेल रेट में स्लो चल रही है?
रेल में कौन सी चाँदी की ज़ंजीर से आपने टट्टी का मग जोड़ दिया है कि कह दिया जाय कि वाह प्रभु जी गर्दा व्यवस्था है! टॉयलेट गंदा ही है, सीट बुकिंग में भी IRCTC से टिकट की जगह आदमी का कुछ और ही कट रहा है आज भी! ऐसी क्या टेक्नोलॉजी लगा दी गई है कि आप चार्ज पर चार्ज लगाए जा रहे हैं?
टेक्नॉलाजी की ही बात करें, तो एक ऐसा ग़ज़ब का टेक लगाए हैं आप कि गाड़ी रहती है मोकामा और आपका वेबसाइट दिखाता है कि पटना पहुँच गई! ये टेकनॉल्जी बेहतरीन है। या तो ट्रेन अदृश्य चलाते हों जिसे मन की बात, सॉरी, मन की आँख से देखने पर दिखाई देती हो, या आपको दिखना बंद हो चुका है।
आपने ट्विटर पर बहुत बवाल काटा और हवा बना ली, लेकिन वो हवा हवाबाज़ी से ज़्यादा कुछ नहीं। आपका मंत्रालय ले'ज़ के पैकेट की तरह हो गया है जिसमें नाइट्रस ऑक्साइड डाला है 200 ml और चिप्स है चौबीस ग्राम। इतना गैस सूँघकर हँसी भी नहीं आती, और चिप्स इतना कम कि मोटे होने की ख़्वाईश लिए ही निपट जाएँगे!
घर जाते हैं तो माँ कहती है, "कत्ते दुबराय गेलहीं रे!" अंग्रेज़ी में बोलें तो वो कहती है कि हर बिलवेड सन हैज़ गॉट थिनर! अब उसको कौन समझाए कि आपके ट्रेन में बैठने से पहले हम भी ठीक थे, और जेब भी मोटी थी लेकिन घंटों लेट चल रही ट्रेन के लिए तत्काल में टिकट के साथ हमारा भी डायनैमिकली काटा गया है। बाकी की कसर ट्रेन में बिकने वाले स्नैक्स निकाल लेती है।
आपको लगता होगा कि ऐसे कर-कर के, बगल के मंत्रालय के 70 एयरपोर्ट खुलवा देने से हम सब अचानक से खुश हो जाएँगे? खुश बस इसलिए हैं कि 2500 में राजधानी में टिकट नहीं हो पाया तो हवाई जहाज का लिए हैं। और हमारे बाबूजी सुनकर ही गरिया लिए कि 'बाप का जान बैलगाड़ी पर घास काट कर लाने में जा रहा है और बेटा हवाई जहाज से आ रहा है!'
देखिए सुरेश प्रभु जी, ये नहीं चलने वाला है। आम आदमी ट्रेन से ही चलेगा। घाटा हो रहा है तो सहिए क्योंकि आप वेलफेयर स्टेट हैं। इसकी भरपाई बिना सुविधा दिए टिकट पर चार्ज लगाने से नहीं चलेगा। आप हर वो काम कर रहे हैं जिस से हमको कष्ट हो रहा है। हमको हवाई चप्पल पहन कर हवाई जहाज पर नहीं बैठना है। आप बैठ लीजिए या पर्रिकर बाबू को बैठाईये। या केजरीवाल को बैठाईये, काहे कि इन्हीं दोनों को चप्पल पहनने का शौक है। हमको आम आदमी रहने दीजिए, उड़ाने की कोशिश मत कीजिए। पन इंटेंडेड था, इतना तो पता ही होगा!
और अंत में यही कहेंगे कि प्रभु जीऽऽऽऽऽऽ, यू सक!
अजीत भारती
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