रोहतक में गैंगरेप हुआ, लेकिन वो निर्भया नहीं बनी : अजीत भारती

कल्पना कीजिए तेईस साल की लड़की है। उसको छः लोग कहीं ले जाते हैं, बलात्कार करते हैं। पाँच बलात्कारी उसके जानने वाले हैं। फिर उसके सर पर ईंट मार-मार कर टुकड़े कर देते हैं। फिर उसकी छाती फाड़ दी जाती है और आहारनाल, ऐसोफेगस, निकाल ली जाती है। फिर उसके प्राइवेट पार्ट में कुछ नुकीली चीज़ें डाल दी जाती हैं। फिर उसे कार से रौंद दिया जाता है। फिर उसे किसी खेत में फेंक दिया जाता है जहाँ कुत्ते उसकी सड़ती लाश को खाने की कोशिश कर रहे होते हैं।
ये वाक़या हरियाणा के रोहतक का है। इसकी क्रूरता देखी जाए तो आपको निर्भया काण्ड याद आएगा लेकिन वो भी इसके सामने फीकी पड़ जाती है। दिल्ली में काँग्रेस की सरकार थी। हरियाणा में भाजपा सरकार है। ये मुद्दा मीडिया में आ रहा है लेकिन चैनलों पर नहीं। ना ही इसे आप सोशल मीडिया पर देख रहे होंगे।
इससे क्या साबित होता है? कुछ लोग इसे भाजपा सरकार का मीडिया मैनेजमेंट कह रहे हैं। मैंने निर्भया वाले काण्ड में भी सरकार को इस कटघरे में नहीं रखा था। बलात्कार के मामलों में सरकार क्या कर सकती है, मुझे आज तक पता नहीं चला। बलात्कार एक सामाजिक समस्या है, राजनैतिक नहीं। सरकार का काम ये है कि उसने सारे गुनहगारों को पकड़ लिया है और उसे सज़ा दिलवाए। हाँ, यहाँ यदि सरकार अपराधियों के ख़िलाफ़ सख़्ती नहीं बरतती और धर्म या जाति के नाम पर ढीला केस बनाती है तब गरियाना ज़ायज है।
सरकार कितनी भी चुस्त हो जाए, आप जान-पहचान वालों को कैसे रोक लेंगे? पुलिस हर घर में तैनात कर दिया जाय फिर भी लड़की अपने चाचा, मामा, कज़न आदि के साथ तो बाहर जाएगी? किसी दोस्त के साथ तो जाएगी? किसी के घर तो जाएगी? और बलात्कार का जितना आँकड़ा है उससे यही पता चलता है कि अधिकतर मामलों में गुनहगार जान-पहचान का ही होता है।
इस पर मैं बहुत लिख चुका हूँ, और लिखता रहूँगा। इस पर बात करना ज़रूरी है। मीडिया धंधे के हिसाब से डिसाइड करती है। हो सकता है कि एक-दो दिन बाद आपको सब इसी पर काँव-काँव करते दिखें। तब तक अगर केजरीवाल का बवाल, कुलभूषण जाधव, चीन का रोड, भारतीय मॉडल का बेयर्स इट ऑल आदि का इम्पैक्ट ख़त्म होगा तो फिर चैनल हमारे समाज का क्रूर चेहरा दिखाएँगे।