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व्यंग ही व्यंग

बुद्ध-आनंद संवाद: लड़के लड़कियों को बाँह के घेरे में लिए काहे चलते हैं?

बुद्ध-आनंद संवाद: लड़के लड़कियों को बाँह के घेरे में लिए काहे चलते हैं?
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आनंद ने बाइक साफ़ की और चाभी इग्नीशन में डालने ही वाले थे कि पास खड़े बुद्ध ने कहा, "लेट मी टेक इट फ़ॉर अ स्पिन, इज़ दैट कूल विद यू?"

अब आनंद क्या कहते, चाभी दे दी और पीछे बैठ लिए। तथागत ने लगातार गियर बदलते हुए, ट्रैफ़िक में बहुत ही द्रुत गति से पूरा बवाल काटते हुए अपने ड्राइविंग का नमूना दिखाकर आनंद को चकित कर दिया। आनंद पूरे समय पीछे के ग्रैब बार को पकड़े गिरने से बचने की कोशिश करते रहे।

"तात्, आप अगर बाइक थोड़ी धीमी करें तो कुछ संशय है उसके बारे में चर्चा करनी थी।" आनंद ने याचनामिश्रित स्वर में कहा।

"क्या बोल रहे हो, कुछ बुझा नहीं रहा है। ज़ोर से बोलो..." बुद्ध ने चीख़ते हुए कहा।

"भौ महाराज! अरे बाइक धीमा कीजिए ना... ऐसे ही चलाते रहे तब बातचीत संभव नहीं," आनंद ने भी चीख़ते हुए कहा तो बुद्ध ने बाइक धीमी कर दी।

"हे तथागत, मेरे मन में एक संशय है! मैंने अभी भी, और पहले भी कई बार, प्रेमी युगलों को देखा है। देखने तक तो ठीक है, आपने भी देखा होगा पर एक बात और देखी है कि जब भी दोनों साथ होते हैं तो कई बार लड़का लड़की को ऐसे बचा रहा होता है मानो किसी दूसरे के स्पर्श मात्र से उसका शीलभंग हो जाएगा। प्रेम में पड़ा लड़का ऐसा क्यों करता है? वो भी तब जब महिलाएँ समान अधिकारों और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ रही हों?"

"देखो ऐसा है कि लौंडे होते लौंडे ही हैं। ये जो प्रेमी युगल कह रहे हो ना, उनमें प्रेम बहुत कम ही होता है बाकी वाह्यावरण है, छलावा है। ये जो 'बचा कर चलने' वाली बात जो कह रहे हो, वो एकदम रैमपैंट है। इसका कारण है। लौंडों को प्रेम के अलावा भी बहुत सारी बातें दिखानी होती हैं..."

"वो क्या प्रभु?"

"अबे बात बीच में मत काट और मेरी बातों में अपना ध्यान बरत कर सुन क्योंकि मैं दोबारा नहीं कहूँगा। लौंडों को कई बात दिखानी होती है। पहला तो ये लड़की को दिखाना होता है कि वो उससे प्रेम करता है। दूसरा ये कि उसे पूरी दुनिया को दिखाना होता है कि वो एक लड़की से प्रेम करता है। अब जब ये दिखावा हो गया तो उसे इसके सेकेंडरी एलिमेंट्स दिखाने होते हैं। जिसमें से एक है कि ' बेबी मैं तुम्हें प्रोटेक्ट कर रहा हूँ।' जबकि कई बार लड़की लड़के से ज़्यादा तंदुरुस्त होती हैं।"

"ये बात तो आपने सही कही। मेरी वाली भी बहुत सही है, वो हमको प्रोटेक्ट करती है! ही ही ही!"

"दाँत निपोड़ना बंद करो और सुनो। इस दिखावे के चक्कर में कि बेबी आइ एम ऑल्वेज गार्डिंग यू, लौंडा कई बार अति कर देता है। वो मेट्रो से निकलते वक़्त बाँहों के दरमियाँ... सॉरी, बाँहों का घेरा बनाकर निकलेगा मानो लड़की ना हुई खुली तिजोरी हो गई कि लोग लूट कर भाग जाएँगे... बात ये नहीं है कि कोई कुछ कर सकता है कि नहीं, बात ये है कि बाँहों का जो घेरा है, वो कोई लक्ष्मण रेखा तो है नहीं कि छूते ही कोई जल जाएगा। हाँ ये बात और है कि वो लड़की पर इम्प्रेशन जमा लेगा कि बेबी आइ वॉज प्रोटेक्टिंग यू फ़्रॉम इडियट्स!"

"मतलब ये फ़र्ज़ी का है? ये मामला है!"

"हेल या, ब्रो," कहते हुए बुद्ध ने बाइक की गति फिर से तेज़ कर दी। थोड़ी देर बाद आनंद ने चीख़ते हुए तथागत के कान में कहा, "बुद्धा इन अ ट्रैफ़िक जाम देखे क्या?"

"पगला गए हो क्या, हम नहीं फँसते जाम में। हमारे हाथ में गाड़ी आती है तो हन-हन उड़ती है..." बुद्ध ने अगले पहिए पर गाड़ी को बैलेंस करते हुए कहा। आनंद बेहोश हो चुका था।


अजीत भारती
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